ETV Bharat / state

गरीब बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार पाना हुआ मुश्किल, समय पर नहीं मिल रही प्रतिपुर्ति राशि - हरियाणा शिक्षा मुआवजा राशि देरी

शिक्षा के अधिकार के तहत जहां सरकार कानून को बनाकर अपनी पीठ थपथपा रही है. वहीं निजी स्कूल में अभिभावक प्रतिपूर्ति (मुआवजा) राशि और इसकी खामियों को लेकर समस्या से जूझ रहे हैं. ये समस्या अब करोना की मार से आर्थिक रूप से पीड़ित लोगों के लिए और ज्यादा बड़ी हो जाती है.

difficult-to-get-the-right-to-education-for-tohana-poor-children-becuase-because-they-cannot-get-the-compensation-amount-on-time
गरीब बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार पाना हुआ मुश्किल
author img

By

Published : Feb 10, 2021, 4:10 PM IST

टोहाना: सरकार के की तरफ से शिक्षा का अधिकार के तहत निजी स्कूलों को निर्देश है कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े हुए बच्चों को निशुल्क शिक्षा दें. जिसका पैसा सरकार के की तरफ से उनके खातों में दिया जाएगा, लेकिन इस को लेकर निजी स्कूल में अभाव अक्सर आमने सामने रहते हैं. इसी को लेकर जब हमने निजी स्कूल के संचालकों से विभाग को से बात की तो निकल कर आया कि सरकार ने यह अधिकार बना तो दिया, लेकिन इस को लागू करने में कई तरह की खामियां हैं.

हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेश प्रवक्ता विनय वर्मा बताते हैं कि सरकारी कर्मचारी के लिए बच्चे के लिए सरकार के द्वारा 1,125 रुपए की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है, जबकि134 के तहत निजी स्कूल में जो बच्चे पढ़ रहे हैं. उन्हें सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में 200 से 300 रुपए शहरी क्षेत्र में 300 से 400 रुपए प्रतिपूर्ति तय किए गए हैं. जबकि कक्षा 9 से लेकर 12 तक इसके बारे में सरकार का कोई कार्यक्रम सामने नहीं आया है.

गरीब बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार पाना हुआ मुश्किल, देखिए वीडियो

ये पढ़ें- हरियाणा में कई दिन बंद रहा मोबाइल इंटरनेट, शिक्षा से लेकर ऑनलाइन फूड डिलीवरी पर असर

गरीबी को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं हैं- विनय शर्मा

वहीं गरीबी रेखा को लेकर भी कोई स्पष्ट निर्देश नहीं हैं, जिसके चलते असली गरीब तक इसका फायदा नहीं पहुंच पा रहा. विनय वर्मा यह भी बताते हैं की जिला फतेहाबाद में वर्ष 2019- 2020 वर्ष 2020 -2021 के दौरान प्रतिपूर्ति राशि की किस्त नहीं आई है जिसकी वजह से उन्हें करोड़ों काल में बेहद परेशानी का सामना भी करना पड़ा.

ये पढ़ें- नई शिक्षा नीति लागू तो हुई पर क्या बच्चों तक पहुंच पाई? देखिए इस रिपोर्ट में

'प्रतिपूर्ति राशि जरूरत से काफी कम दी जाती है'

वहीं हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के स्टेट लीगल एडवाइजर गौरव भूटानी कहते हैं कि प्राइवेट स्कूल सरकार के शिक्षा के अधिकार कानून का स्वागत करते हैं, लेकिन सरकार के द्वारा जो प्रतिपूर्ति राशि दी जा रही है वह काफी कम है. इसे पंद्रह सौ से दो हजार रुपए तक किया जाना चाहिए. वहीं उनका यह कहना है कि सरकार इस अधिकार के तहत प्रतिपूर्ति राशि की घोषणा जब बजट बनाए तभी करें, साथ में यह भी समय निर्धारित करें कि कितने समय में यह राशि उन तक पहुंच जाएगी, क्योंकि यह राशि प्रदेश के अधिकतर स्कूलों तक नहीं पहुंच पा रही है.

ये पढ़ें- कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में लेक्चरर और कर्मचारियों की कमी, गिर रहा शिक्षा का स्तर

'सरकार ने सर्वे ही नहीं किया है'

गौरव भूटानी कहते हैं कि सरकार को चाहिए निजी स्कूलों के खाते में पैसा डालने की बजाय सरकार सीधा बच्चे के खाते में पैसा डालें, ताकि बच्चा अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी स्कूल में पैसे देकर पढ़ सके. यह राशि उतनी तो जरूर हो जितनी सरकार सरकारी स्कूलों में एक बच्चे पर खर्च कर रही है, क्योंकि सरकार ने बिना सर्वे के काम किया है इसलिए सरकार के द्वारा दी जा रही प्रतिपूर्ति राशि बेहद कम है जो निजी स्कूलों को दी जा रही है इसे बढ़ाया जाना चाहिए.

स्कूलों को समय पर पैसे नहीं मिलते- अभिभावक

शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ा रहे अभिभावक राजकुमार बताते हैं कि उनके बच्चे को स्कूल में पढ़ने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आ रही, लेकिन स्कूल की तरफ से बार-बार यही कहा जा रहा है कि जो पैसे सरकार के द्वारा उनके बच्चे को पढ़ाई जाने के लिए स्कूल के खाते में आने थे. वह नहीं आए, वहीं उनके खाते में भी किसी तरह का पैसा नहीं आया है.

ये पढ़ें- कैथल: जिले के 37 गांवों में खुलेंगे महाग्राम पुस्तकालय

उन्होंने कहा है कि जब सरकार ने उन्हें इस तरह का अवसर दिया है कि उनके बच्चे निजी स्कूल में पढ़ सके, तो सरकार को चाहिए कि निजी स्कूल के खाते में इसकी राशि भी समय पर डालें ताकि निजी स्कूल भी उनके बच्चों को बिना किसी भेदभाव की अच्छी शिक्षा दे पाए.

कोरोना काल में गहराया संकट!

यह भी निकल कर सामने आया है कि अबकी बार करोना काल में 134 के तहत जिस परीक्षा के बाद बच्चे का निजी स्कूल में दाखिला होता था. उसकी परीक्षा नहीं हुई जिसकी वजह से कुछ भी व्यवस्था के अनुसार नहीं चल रहा है. इसको लेकर अभिभावकों के साथ निजी स्कूल भी परेशान है कि अबकी बार उनकी प्रतिपूर्ति का भुगतान कैसे होगा?

ये पढ़ें- सोनीपत: इंटरनेट सेवा बंद होने से ऑनलाइन शिक्षा हुई प्रभावित, विद्यार्थियों को हो रही परेशानी

टोहाना: सरकार के की तरफ से शिक्षा का अधिकार के तहत निजी स्कूलों को निर्देश है कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े हुए बच्चों को निशुल्क शिक्षा दें. जिसका पैसा सरकार के की तरफ से उनके खातों में दिया जाएगा, लेकिन इस को लेकर निजी स्कूल में अभाव अक्सर आमने सामने रहते हैं. इसी को लेकर जब हमने निजी स्कूल के संचालकों से विभाग को से बात की तो निकल कर आया कि सरकार ने यह अधिकार बना तो दिया, लेकिन इस को लागू करने में कई तरह की खामियां हैं.

हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेश प्रवक्ता विनय वर्मा बताते हैं कि सरकारी कर्मचारी के लिए बच्चे के लिए सरकार के द्वारा 1,125 रुपए की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है, जबकि134 के तहत निजी स्कूल में जो बच्चे पढ़ रहे हैं. उन्हें सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में 200 से 300 रुपए शहरी क्षेत्र में 300 से 400 रुपए प्रतिपूर्ति तय किए गए हैं. जबकि कक्षा 9 से लेकर 12 तक इसके बारे में सरकार का कोई कार्यक्रम सामने नहीं आया है.

गरीब बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार पाना हुआ मुश्किल, देखिए वीडियो

ये पढ़ें- हरियाणा में कई दिन बंद रहा मोबाइल इंटरनेट, शिक्षा से लेकर ऑनलाइन फूड डिलीवरी पर असर

गरीबी को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं हैं- विनय शर्मा

वहीं गरीबी रेखा को लेकर भी कोई स्पष्ट निर्देश नहीं हैं, जिसके चलते असली गरीब तक इसका फायदा नहीं पहुंच पा रहा. विनय वर्मा यह भी बताते हैं की जिला फतेहाबाद में वर्ष 2019- 2020 वर्ष 2020 -2021 के दौरान प्रतिपूर्ति राशि की किस्त नहीं आई है जिसकी वजह से उन्हें करोड़ों काल में बेहद परेशानी का सामना भी करना पड़ा.

ये पढ़ें- नई शिक्षा नीति लागू तो हुई पर क्या बच्चों तक पहुंच पाई? देखिए इस रिपोर्ट में

'प्रतिपूर्ति राशि जरूरत से काफी कम दी जाती है'

वहीं हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के स्टेट लीगल एडवाइजर गौरव भूटानी कहते हैं कि प्राइवेट स्कूल सरकार के शिक्षा के अधिकार कानून का स्वागत करते हैं, लेकिन सरकार के द्वारा जो प्रतिपूर्ति राशि दी जा रही है वह काफी कम है. इसे पंद्रह सौ से दो हजार रुपए तक किया जाना चाहिए. वहीं उनका यह कहना है कि सरकार इस अधिकार के तहत प्रतिपूर्ति राशि की घोषणा जब बजट बनाए तभी करें, साथ में यह भी समय निर्धारित करें कि कितने समय में यह राशि उन तक पहुंच जाएगी, क्योंकि यह राशि प्रदेश के अधिकतर स्कूलों तक नहीं पहुंच पा रही है.

ये पढ़ें- कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में लेक्चरर और कर्मचारियों की कमी, गिर रहा शिक्षा का स्तर

'सरकार ने सर्वे ही नहीं किया है'

गौरव भूटानी कहते हैं कि सरकार को चाहिए निजी स्कूलों के खाते में पैसा डालने की बजाय सरकार सीधा बच्चे के खाते में पैसा डालें, ताकि बच्चा अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी स्कूल में पैसे देकर पढ़ सके. यह राशि उतनी तो जरूर हो जितनी सरकार सरकारी स्कूलों में एक बच्चे पर खर्च कर रही है, क्योंकि सरकार ने बिना सर्वे के काम किया है इसलिए सरकार के द्वारा दी जा रही प्रतिपूर्ति राशि बेहद कम है जो निजी स्कूलों को दी जा रही है इसे बढ़ाया जाना चाहिए.

स्कूलों को समय पर पैसे नहीं मिलते- अभिभावक

शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ा रहे अभिभावक राजकुमार बताते हैं कि उनके बच्चे को स्कूल में पढ़ने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आ रही, लेकिन स्कूल की तरफ से बार-बार यही कहा जा रहा है कि जो पैसे सरकार के द्वारा उनके बच्चे को पढ़ाई जाने के लिए स्कूल के खाते में आने थे. वह नहीं आए, वहीं उनके खाते में भी किसी तरह का पैसा नहीं आया है.

ये पढ़ें- कैथल: जिले के 37 गांवों में खुलेंगे महाग्राम पुस्तकालय

उन्होंने कहा है कि जब सरकार ने उन्हें इस तरह का अवसर दिया है कि उनके बच्चे निजी स्कूल में पढ़ सके, तो सरकार को चाहिए कि निजी स्कूल के खाते में इसकी राशि भी समय पर डालें ताकि निजी स्कूल भी उनके बच्चों को बिना किसी भेदभाव की अच्छी शिक्षा दे पाए.

कोरोना काल में गहराया संकट!

यह भी निकल कर सामने आया है कि अबकी बार करोना काल में 134 के तहत जिस परीक्षा के बाद बच्चे का निजी स्कूल में दाखिला होता था. उसकी परीक्षा नहीं हुई जिसकी वजह से कुछ भी व्यवस्था के अनुसार नहीं चल रहा है. इसको लेकर अभिभावकों के साथ निजी स्कूल भी परेशान है कि अबकी बार उनकी प्रतिपूर्ति का भुगतान कैसे होगा?

ये पढ़ें- सोनीपत: इंटरनेट सेवा बंद होने से ऑनलाइन शिक्षा हुई प्रभावित, विद्यार्थियों को हो रही परेशानी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.