फरीदाबादः दिल्ली एनसीआर का हिस्सा फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी का दर्जा भले ही दे दिया गया हो, लेकिन फरीदाबाद में आज भी ऐसी कई समस्याएं हैं जो इस शहर के स्मार्ट सिटी होने पर सवाल खड़े करती हैं. ऐसी ही कुछ तस्वीरें फरीदाबाद की हमारे सामने आई हैं. जिन्हें देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर स्मार्ट सिटी का ये हाल है तो बाकि शहरों का तो छोड़ ही दीजिए.
फरीदाबाद में पानी निकासी के लिए बनाए गए नालों को कूड़ाघर बना दिया गया है. रोजाना कई हजार किंवटल कूड़ा घरों, दूकानों और कपंनियों से निकालकर इन नालों में डाल दिया जाता है. यही नहीं कई कंपनियां तो जहरीले कैमिकल के घोल को भी इन नालों में डाल देती हैं. जिसका खामियाजा भुगती है फरीदाबाद की जनता. हालात ये हैं कि लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
क्या कहना है स्थानीय लोगों का...
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में इतनी गंदगी है कि लोगों का यहां जीना भी मुश्किल हो चुका है. गंदगी के इस अंबार के चलते यहां अनेकों बीमारियां पनप रही है. इसके अलावा आए दिन यही गंदा पानी उनके घरों में भी घुस जाता है. दीनदयाल कहते हैं चुनावों के वक्त नेता अक्सर इलाकों के जमीनी मुद्दों पर बात करते नजर आते हैं. विकास, रोजगार और साफ-सफाई को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन चुनावों के बाद यहां ना तो नेता नजर आते हैं और ना ही उन वादों पर कोई गौर करता है.
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प्रशासन को भी है खबर
बता दें कि फरीदाबाद में पानी निकासी के लिए छोटे-बड़े मिलाकर कुल 14 नाले हैं. पानी निकासी के लिए बने ज्यादातर नाले रिहायशी इलाकों, बाजरों, सड़कों के साथ से गुजर रहे हैं, लेकिन गंदगी से भरे इन नालों के कारण आस-पास के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है. फरीदाबाद जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने खुद इस बात को स्वीकार किया है. उनका कहना है कि शहर की सफाई व्यवस्था काफी खराब है जिसको लेकर प्रशासन द्वारा अभी यहां लगातार काम किया जा रहा है.
करोड़ों रुपये किए खर्च
औद्योगिक नगरी फरीदाबाद से हरियाणा सरकार को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त होता है. यही कारण है कि साफ-सफाई के लिए सरकार ने स्मार्ट सिटी फरीदाबाद से कूड़ा उठाने वाली कंपनी को 52 करोड़ 80 लाख रुपये का भुगतान कर दिया. बावजूद इसके आप देख सकते हैं कि शहर में गंदगी का क्या आलम है.