फरीदाबाद: करीब 22 लाख की आबादी को अपनी सेवाएं दे रहा फरीदाबाद नागरिक अस्पताल इन दिनों स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. स्टाफ की कमी होने के दो मुख्य कारण हैं. पहला ये कि अस्पताल में जितने स्वीकृत पद हैं उनमें से कई पद खाली पड़े हुए हैं और दूसरा सबसे बड़ा कारण ये है कि कोरोना के चलते स्टाफ की ड्यूटी फील्ड और कोरोना वायरस के कामों में लगी हुई है. जिसके चलते फरीदाबाद नागरिक अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.
नागरिक अस्पताल के ओपीडी में रोजाना नए और पुराने करीब 1800 मरीजों का प्राथमिक इलाज किया जाता है जो कोरोना काल दौरान घट गया था, लेकिन एक बार फिर से मरीजों का आवागमन अस्पताल में शुरू हो गया है. आपातकाल और वार्ड में करीब 250 मरीजों का इलाज किया जाता है. इन सभी मरीजों की देखरेख की जिम्मेदारी शहर के मात्र 41 डॉक्टरों पर है, जिसमें सामान्य रोग विशेषज्ञ को रोजाना 100 से अधिक मरीजों की जांच करनी पड़ती है.
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इससे ओपीडी के दौरान डॉक्टर तनाव में भी रहते हैं. जिससे मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज नहीं मिल पाता. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक डॉक्टर ने बताया कि मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल में स्वीकृत पदों के अलावा करीब 20 से 30 फीसदी डॉक्टरों की बढ़ोत्तरी करनी चाहिए. ओपीडी रिकॉर्ड के अनुसार सिर्फ सामान्य रोग विशेषज्ञ के पास पूरे ओपीडी के 25 फीसदी मरीज प्राथमिक इलाज के लिए आते हैं. जिस कारण ओपीडी पर लंबी कतार लगी रहती है.
अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार हर महीने औसतन 73 मरीजों का ऑपरेशन किया जाता रहा है. 200 बेड के इस अस्पताल में अभी भी 5 डिप्टी चिकित्सा अधिकारी की पोस्ट, पांच चिकित्सा अधिकारी की पोस्ट, तीन मेडिकल ऑफिसर पोस्ट, सहित अन्य कई पोस्ट खाली पड़ी हैं.
नागरिक अस्पताल की जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्य सिविल सर्जन डॉक्टर रणदीप सिंह पूनिया का कहना है कि अस्पताल में मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जा रही है. उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते उनका स्टाफ भी पॉजिटिव हो रहा है, जिसको लेकर वो सतर्कता भी बरत रहे हैं.
उनका कहना है कि अस्पताल में डॉक्टरों की कोई कमी नहीं है और लोगों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को भी अवगत कराया हुआ है. उन्होंने कहा कि जैसे ही स्टाफ की कोई कमी होती है वो उच्च अधिकारियों को मांग पत्र भेजते हैं और उनको स्टाफ मिल जाता है.