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पंचतत्व में विलीन हुए शहीद संदीप, हजारों लोगों ने नम आखों से दी अंतिम विदाई - शहीद संदीप

पैरा यूनिट में तैनात 30 वर्षीय नायक हवलदार संदीप को चार गोलियां और ग्रेनेड के छर्रे लगे थे. संदीप कश्मीर स्थित सेना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे.

पंचतत्व में विलीन हुए शहीद
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Published : Feb 20, 2019, 11:17 PM IST

फरीदाबाद: पुलवामा हमले से दो दिन पहले आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए पैरा कमांडो संदीप कुमार का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. शहीद संदीप को हजारों की संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि दी.
बता दें कि मुठभेड़ में घायल संदीप का श्रीनगर के मिलिट्री अस्पताल में इलाज चल रहा था. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. मंगलवार सुबह उनकी शहादत की खबर मिली. हजारों की संख्या में लोगों ने शहीद को अंतिम विदाई दी.
दरअसल 11 फरवरी को संदीप और उनके तीन साथियों की पुलवामा में आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई थी. इसमें एक साथी मौके पर ही शहीद हो गया था. जबकि संदीप और दूसरा साथी घायल हो गए थे.
पैरा यूनिट में तैनात 30 वर्षीय नायक हवलदार संदीप को चार गोलियां और ग्रेनेड के छर्रे लगे थे. संदीप कश्मीर स्थित सेना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे. बता दें कि शहीद संदीप को जिस दिन गोली लगी थी, उसी दिन उनका जन्मदिन भी था.
संदीप को इलाज के लिए श्रीनगर के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती किया गया. जहीं उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. मंगलवार सुबह करीब 11 बजे संदीप की शहादत की खबर मिली. शहीद संदीप की अंतिम यात्रा में हजारों लोगों ने हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए.

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पंचतत्व में विलीन हुए शहीद
इस दौरान पुलिस-प्रशासन भारी मात्रा में तैनात रहा. गांव के ही सरकारी स्कूल में शहीद का अंतिम संस्कार किया गया. बल्लभगढ़ के अटाली गांव निवासी नैनपाल के बड़े बेटे संदीप कुमार साल 2005 में बेंगलुरू से भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उनका चयन 10 पैरा स्पेशल कमांडो फोर्स में किया गया.संदीप अपनी बटालियन के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाते थे. भाई सोनू ने बताया कि वर्तमान में उनकी तैनाती पुलवामा में थी. 11 फरवरी की रात संदीप ने परिवार के लोगों से बातचीत की थी. अपनी 14 साल की सेवा में 4 बार श्रीनगर में तैनात रह चुके थे.पैरा कमांडो शहीद संदीप का पूरा परिवार फौज से जुड़ा हुआ है. संदीप के अलावा उनके ताऊ का बेटे गजेंद्र, कुलदीप व चाचा का बेटा प्रवेश भी सेना में हैं. इसके अलावा इनमें कुनबे के चार बुजुर्ग सेना से सेवानिवृत्त हैं.

फरीदाबाद: पुलवामा हमले से दो दिन पहले आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए पैरा कमांडो संदीप कुमार का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. शहीद संदीप को हजारों की संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि दी.
बता दें कि मुठभेड़ में घायल संदीप का श्रीनगर के मिलिट्री अस्पताल में इलाज चल रहा था. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. मंगलवार सुबह उनकी शहादत की खबर मिली. हजारों की संख्या में लोगों ने शहीद को अंतिम विदाई दी.
दरअसल 11 फरवरी को संदीप और उनके तीन साथियों की पुलवामा में आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई थी. इसमें एक साथी मौके पर ही शहीद हो गया था. जबकि संदीप और दूसरा साथी घायल हो गए थे.
पैरा यूनिट में तैनात 30 वर्षीय नायक हवलदार संदीप को चार गोलियां और ग्रेनेड के छर्रे लगे थे. संदीप कश्मीर स्थित सेना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे. बता दें कि शहीद संदीप को जिस दिन गोली लगी थी, उसी दिन उनका जन्मदिन भी था.
संदीप को इलाज के लिए श्रीनगर के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती किया गया. जहीं उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. मंगलवार सुबह करीब 11 बजे संदीप की शहादत की खबर मिली. शहीद संदीप की अंतिम यात्रा में हजारों लोगों ने हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए.

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पंचतत्व में विलीन हुए शहीद
इस दौरान पुलिस-प्रशासन भारी मात्रा में तैनात रहा. गांव के ही सरकारी स्कूल में शहीद का अंतिम संस्कार किया गया. बल्लभगढ़ के अटाली गांव निवासी नैनपाल के बड़े बेटे संदीप कुमार साल 2005 में बेंगलुरू से भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उनका चयन 10 पैरा स्पेशल कमांडो फोर्स में किया गया.संदीप अपनी बटालियन के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाते थे. भाई सोनू ने बताया कि वर्तमान में उनकी तैनाती पुलवामा में थी. 11 फरवरी की रात संदीप ने परिवार के लोगों से बातचीत की थी. अपनी 14 साल की सेवा में 4 बार श्रीनगर में तैनात रह चुके थे.पैरा कमांडो शहीद संदीप का पूरा परिवार फौज से जुड़ा हुआ है. संदीप के अलावा उनके ताऊ का बेटे गजेंद्र, कुलदीप व चाचा का बेटा प्रवेश भी सेना में हैं. इसके अलावा इनमें कुनबे के चार बुजुर्ग सेना से सेवानिवृत्त हैं.
स्टोरी -:शहीद संदीप को उनके पैतृक गाँव अटाली पहुँचने पर  हजारों लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि।


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एंकर -: मुझे अपने पति पर फक्र है , मैं अपना बेटे को भी फ़ौज में भर्ती कराउंगी और उनकी मौत का बदला लेकर रहूंगी । यह अल्फाज है मंगलवार को शहीद हुए गांव अटाली के संदीप की पत्नी के ।  तीन छोटे-छोटे बच्चों के साथ आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन देश और सीमा की सुरक्षा का ऐसा जज्बा कि पति को खोने के बाद भी अपने दो छोटे-छोटे बच्चों को अब से ही सेना में भेजने का मन बना चुकी है । दरअसल आज गांव अटाली के रहने वाले शहीद संदीप का शव फरीदाबाद पहुँचा जहाँ हजारों लोगों की भीड़ ने उनको श्रधांजलि दी । शहीद के अंतिम संस्कार के समय पूरा फरीदाबाद जैसे सड़कों पर उतर आया । जहां जहां से शहीद का काफिला निकला वहां वहां लोग हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर खड़े थे । शहीद के शव पर फूल बरसा रहे थे आंखों में आंसू और पाकिस्तान को लेकर गुस्सा साफ तौर पर दिखाई दे रहा था ।


वीओ 1 - दिखाई दे रहा है यह नजारा है फरीदाबाद के गांव अटाली का जहां मंगलवार को शहीद हुए संदीप का शव आज अपने गाँव पहुंचा । फरीदाबाद के सड़कों का आज हालात कुछ इस तरह का था जैसे पूरा फरीदाबाद रुक सा गया हो । सभी शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए सड़कों पर थे फूल बरसा रहे थे और हिंदुस्तान जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे । जिस समय गांव पूरी तरह गमगीन था उस समय आंसुओं के बीच में शहीद की पत्नी अपने देश पर अपने दोनों बेटों को भी कुर्बान करने के लिए तैयार नजर आई । शहीद संदीप के तीन बच्चे हैं जिनमें दो जुड़वा बेटे हैं और एक बेटी । संदीप की पत्नी कहती है कि  उनके पति ने  पूरे गांव और देश का नाम रोशन कर दिया है ।   उसे अपने पति पर फक्र है  और वह चाहती है कि बड़े होकर उसके दोनों बेटे फौज का हिस्सा बने  और पाकिस्तान से बदला ले  । वही शहीद की माँ भी अपने बेटे की शहादत पर गमगीन है पर देश सेवा का जज्बा बरकरार है ।  वो अपने दूसरे बेटे और संदीप के छोटे भाई और संदीप के दोनों बेटों को भी फ़ौज में भेजने के लिए तैयार है । 


बाइट - गीता ( शहीद की पत्नी )

बाईट-: केशव देवी ( शहीद की माँ ) 



वीओ  - संदीप के दोस्त दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर भरत कुमार बताते है कि किस तरह वह दोनों मिलकर सेना के लिए तैयारियां करते थे । दोनों साथ पढ़े थे । भरत दिल्ली पुलिस में लग गए और संदीप सेना में भरत चाहते हैं कि सरकार उनकी मौत का ऐसा इंतकाम ले जिससे पाकिस्तान की आने वाली नस्लें भी उस अंजाम को सोचकर कांप जाए और यही हाल संदीप के छोटे भाई का भी है वह भी चाहते हैं कि इस बार आर-पार की लड़ाई हो और फिर किसी घर का चिराग ना बुझे । 


बाइट - भरत कुमार ( संदीप का दोस्त )
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