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छह सालों में फरीदाबाद में बढ़ी छह वर्ग किलोमीटर हरियाली, कृषि योग्य भूमि भी घटी

फरीदाबाद को हरा-भरा रखने के लिए वन विभाग की तरफ से अभी तक लगभग डेढ़ लाख पौधे लगाए गए हैं. ढाई लाख से भी ज्यादा पौधे लोगों को पौधागिरी और जल शक्ति योजना के तहत वितरित किए जा चुके हैं. कोरोना के समय भी वन विभाग के द्वारा पौधे लगाए गए.

only Six square kilometers of greenery and agriculture land also decreased in Faridabad in six years
छह सालों में फरीदाबाद में बढ़ी छह वर्ग किलोमीटर हरियाली
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Published : Oct 18, 2020, 11:32 AM IST

फरीदाबाद: आज आधुनिक दुनिया में स्वच्छ वातावरण सबसे ज्यादा जरूरी है. जिस वातावरण में खुलकर स्वच्छ सांस ली जा सके. वातावरण को स्वच्छ बनाने में सबसे ज्यादा अगर किसी का योगदान है तो वह वृक्ष हैं. जहां पर पेड़ पौधे ज्यादा होते हैं वहां पर वातावरण अपने आप ही शुद्ध होता है. इसी वजह से किसी भी जिले में हरियाली होना बेहद जरूरी है और शहरों को हरा-भरा बनाने में वन विभाग की विशेष भूमिका रहती है.

फरीदाबाद एक इंडस्ट्रियल एरिया है, जहां बड़े-बड़े उद्योग चलते हैं. यही वजह है कि शहर में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 300 के पार पहुंच जाता है. ऐसे में फरीदाबाद की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है. ऐसे में जिला वन विभाग हर साल सड़कों के किनारे, गांव में, तालाबों के किनारे और खाली पड़ी जमीन पर लाखों पेड़-पौधे लगाता है.

छह सालों में फरीदाबाद में बढ़ी छह वर्ग किलोमीटर हरियाली, देखिए वीडियो

पूरा साल विभाग करता है पौधा रोपण की तैयारी

मानसून का मौसम आने से पहले ही वन विभाग पौधे लगाने को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर देता है. विभाग की तरफ से सबसे पहले इलाके सुनिश्चित किए जाते हैं. शहर के अलग-अलग हिस्सों को इसके लिए वन विभाग चुनता है और वहां पर प्लांटेशन के लिए तैयारियां की जाती हैं. पौधों के रखरखाव और वाटर सप्लाई के लिए वन विभाग के कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं. वन विभाग की तरफ से ज्यादातर डेढ़ साल के पौधे को लगाया जाता है. इसके लिए वन विभाग के पास पहले से ही तैयार पौधे होते हैं. साल भर पहले से ही इन्हें नर्सरी में अलग-अलग पौधों की पौध बनाकर तैयार की जाती है.

फरीदाबाद वन विभाग की नर्सरी में केवल छायादार पौधे ही नहीं बल्कि फलदार पौधों के साथ-साथ औषधि के पौधे भी तैयार किए जाते हैं. वन विभाग पर पार्कों को भी हरा-भरा रखने की जिम्मेदारी होती है. जिसमें अलग-अलग औषधि पौधे भी लगाए जाते हैं.

भुगौलिक स्थिति को देखकर करते हैं श्रेत्र का चुनाव

फरीदाबाद के अधिकारी इलाकों को चुनते समय ये भी निर्धारित करते हैं कि वो क्षेत्र पहाड़ी है या समतल है, क्योंकि दोनों इलाके के लिए अलग-अलग वृक्ष का चयन किया जाता है. पहाड़ी इलाके के लिए ज्यादातर छायादार जैसे कि नीम, पीपल, बड़, आदि के पेड़ चुने जाते हैं, जो ज्यादा तापमान में भी अपने आप को सुरक्षित रखने में ज्यादा कामयाब माने जाते हैं.

पौधे लगाने के लिए इलाके का चयन करते समय यह देखा जाता है कि इलाका पहाड़ी है या फिर समतल है क्योंकि दोनों इलाके के लिए अलग-अलग वृक्ष का चयन किया जाता है पहाड़ी इलाके के लिए ज्यादातर छायादार पौधे जो ज्यादा तापमान में भी अपने आप को सुरक्षित रखने में ज्यादा कामयाब माने जाते हैं जैसे कि नीम, पीपल, बड़, आदि के पेड़ को ज्यादा लगाया जाता है और समतल जमीन के लिए अलग से पौधे चुने जाते हैं.

जिले में डेढ लाख पौधों का हुआ रोपण

फरीदाबाद वन विभाग की तरफ से साल 2020 में लगभग डेढ़ लाख पौधों का प्लांटेशन किया गया है, जबकि ढाई लाख पौधे लोगों को मुफ्त में बांटे गए हैं. वन विभाग की माने तो जो पौधे उनकी तरफ से लगाए जाते हैं उनकी वाटर सप्लाई और रखरखाव का भी ध्यान रखते हैं. पार्कों में और सड़कों के किनारे लगने वाले पौधों को बचाने के लिए ट्रीगार्ड का प्रयोग किया जाता है. पौधों लिए समय-समय पर वाटर सप्लाई और खुदाई का भी काम कर्मचारियों के द्वारा ही किया जाता है. इसके अलावा बड़ी संख्या में जहां पर पौधे लगाए जाते हैं. वहां पौधों का ध्यान रखने के लिए अलग से कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है. वन विभाग के मुताबिक उनके लगाए हुए पौधों में से केवल 15 से 20% पौधे खराब हो जाते हैं, लेकिन 80 फीसदी पौधे पूर्ण वृक्ष बनते हैं.

कोरोना की वजह से नहीं हुआ टारगेट पूरा

फरीदाबाद वन विभाग अधिकारी राजकुमार ने बताया कि इस साल कोरोना की वजह से वह पौधा लगाने के टारगेट से थोड़ा पीछे रह गए हैं, क्योंकि इस वायरस के चलते स्कूल बंद थे और स्कूलों में बच्चे ना होने के कारण पौधों का डिस्ट्रीब्यूशन नहीं हो पाया. उन्होंने बताया कि वन विभाग की तरफ से ढाई लाख से भी ज्यादा पौधे वितरित किए गए हैं. इन पौधों को वन विभाग की तरफ से पंचायतों के जरिए घर-घर पहुंचाए गए हैं. उन्होंने कहा की स्कूलों से करीब 1.4 लाख की डिमांड हर साल वन विभाग को मिलती थी, लेकिन इस बार वह डिमांड नहीं मिली. जिस वजह से वह अपने टारगेट को पूरा नहीं कर पाए हैं.

दो साल में पौधा रोपण के लिए एक करोड़ रुपये खर्च

फरीदाबाद वन विभाग के मुताबिक जिले में पौधों के प्लांटेशन पर पहाड़ी एरिया में 2018 से लेकर अब तक एक करोड़ खर्च किया गया है. तो वहीं इसी समय अंतराल में 2 करोड़ रुपए प्लेन एरिया में खर्च किया गया है. वन विभाग के द्वारा नर्सरी में पौधों का काम लगातार जारी है और फरीदाबाद वन विभाग का मकसद है कि भले ही कोरोना वायरस के कारण वह अपने टारगेट से थोड़ा पीछे रह गए हो, लेकिन आने वाले समय में वह लगातार प्लांटेशन करेंगे, ताकि जिले की हरियाली बरकरार रहे.

छह साल में बढ़ा छह वर्ग किलोमीटर ही हरियाली

दिल्ली- एनसीआर में भूकंप की तीव्रता और मरुस्थलीकरण को रोकने में ढाल बनने वाली अरावली पहाड़ी की हरियाणा क्षेत्र में स्थिति ठीक नही है. प्रदेश के छह जिलों में करीब साढ़े छह हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैली इन पहाड़ियों में पेड़-पौधों का क्षेत्र केवल 78 वर्ग किलोमीटर ही है. वन विभाग छह साल में छह वर्ग किमी हरियाली क्षेत्र ही बढ़ा पाया है. इस बात का खुलासा पिछले साल भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की सर्वे रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट भारतीय वन्यजीव संस्थान के एनिमल इकॉलोजी एंड कंर्जेवेशन ने तैयार की है.

बता दें कि फरीदाबाद के क्षेत्र में अरावली ओपन फॉरेस्ट केवल 119 वर्ग किमी है, जो कुल क्षेत्र का दो फीसद भी नहीं है. कृषि योग्य भूमि भी लगातार घटती जा रही है. 16 साल पहले इसमें कृषि योग्य भूमि 5495 वर्ग किलोमीटर थी जो कि अब घटकर 5235 वर्ग किलोमीटर रह गई है. घास-फूंस का क्षेत्र भी काफी कम हो गया.

ये पढ़ें- बरोदा में पसीना बहा चुके हैं बीजेपी के दिग्गज लेकिन आज तक नहीं मिली जीत, जानिए क्यों

फरीदाबाद: आज आधुनिक दुनिया में स्वच्छ वातावरण सबसे ज्यादा जरूरी है. जिस वातावरण में खुलकर स्वच्छ सांस ली जा सके. वातावरण को स्वच्छ बनाने में सबसे ज्यादा अगर किसी का योगदान है तो वह वृक्ष हैं. जहां पर पेड़ पौधे ज्यादा होते हैं वहां पर वातावरण अपने आप ही शुद्ध होता है. इसी वजह से किसी भी जिले में हरियाली होना बेहद जरूरी है और शहरों को हरा-भरा बनाने में वन विभाग की विशेष भूमिका रहती है.

फरीदाबाद एक इंडस्ट्रियल एरिया है, जहां बड़े-बड़े उद्योग चलते हैं. यही वजह है कि शहर में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 300 के पार पहुंच जाता है. ऐसे में फरीदाबाद की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है. ऐसे में जिला वन विभाग हर साल सड़कों के किनारे, गांव में, तालाबों के किनारे और खाली पड़ी जमीन पर लाखों पेड़-पौधे लगाता है.

छह सालों में फरीदाबाद में बढ़ी छह वर्ग किलोमीटर हरियाली, देखिए वीडियो

पूरा साल विभाग करता है पौधा रोपण की तैयारी

मानसून का मौसम आने से पहले ही वन विभाग पौधे लगाने को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर देता है. विभाग की तरफ से सबसे पहले इलाके सुनिश्चित किए जाते हैं. शहर के अलग-अलग हिस्सों को इसके लिए वन विभाग चुनता है और वहां पर प्लांटेशन के लिए तैयारियां की जाती हैं. पौधों के रखरखाव और वाटर सप्लाई के लिए वन विभाग के कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं. वन विभाग की तरफ से ज्यादातर डेढ़ साल के पौधे को लगाया जाता है. इसके लिए वन विभाग के पास पहले से ही तैयार पौधे होते हैं. साल भर पहले से ही इन्हें नर्सरी में अलग-अलग पौधों की पौध बनाकर तैयार की जाती है.

फरीदाबाद वन विभाग की नर्सरी में केवल छायादार पौधे ही नहीं बल्कि फलदार पौधों के साथ-साथ औषधि के पौधे भी तैयार किए जाते हैं. वन विभाग पर पार्कों को भी हरा-भरा रखने की जिम्मेदारी होती है. जिसमें अलग-अलग औषधि पौधे भी लगाए जाते हैं.

भुगौलिक स्थिति को देखकर करते हैं श्रेत्र का चुनाव

फरीदाबाद के अधिकारी इलाकों को चुनते समय ये भी निर्धारित करते हैं कि वो क्षेत्र पहाड़ी है या समतल है, क्योंकि दोनों इलाके के लिए अलग-अलग वृक्ष का चयन किया जाता है. पहाड़ी इलाके के लिए ज्यादातर छायादार जैसे कि नीम, पीपल, बड़, आदि के पेड़ चुने जाते हैं, जो ज्यादा तापमान में भी अपने आप को सुरक्षित रखने में ज्यादा कामयाब माने जाते हैं.

पौधे लगाने के लिए इलाके का चयन करते समय यह देखा जाता है कि इलाका पहाड़ी है या फिर समतल है क्योंकि दोनों इलाके के लिए अलग-अलग वृक्ष का चयन किया जाता है पहाड़ी इलाके के लिए ज्यादातर छायादार पौधे जो ज्यादा तापमान में भी अपने आप को सुरक्षित रखने में ज्यादा कामयाब माने जाते हैं जैसे कि नीम, पीपल, बड़, आदि के पेड़ को ज्यादा लगाया जाता है और समतल जमीन के लिए अलग से पौधे चुने जाते हैं.

जिले में डेढ लाख पौधों का हुआ रोपण

फरीदाबाद वन विभाग की तरफ से साल 2020 में लगभग डेढ़ लाख पौधों का प्लांटेशन किया गया है, जबकि ढाई लाख पौधे लोगों को मुफ्त में बांटे गए हैं. वन विभाग की माने तो जो पौधे उनकी तरफ से लगाए जाते हैं उनकी वाटर सप्लाई और रखरखाव का भी ध्यान रखते हैं. पार्कों में और सड़कों के किनारे लगने वाले पौधों को बचाने के लिए ट्रीगार्ड का प्रयोग किया जाता है. पौधों लिए समय-समय पर वाटर सप्लाई और खुदाई का भी काम कर्मचारियों के द्वारा ही किया जाता है. इसके अलावा बड़ी संख्या में जहां पर पौधे लगाए जाते हैं. वहां पौधों का ध्यान रखने के लिए अलग से कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है. वन विभाग के मुताबिक उनके लगाए हुए पौधों में से केवल 15 से 20% पौधे खराब हो जाते हैं, लेकिन 80 फीसदी पौधे पूर्ण वृक्ष बनते हैं.

कोरोना की वजह से नहीं हुआ टारगेट पूरा

फरीदाबाद वन विभाग अधिकारी राजकुमार ने बताया कि इस साल कोरोना की वजह से वह पौधा लगाने के टारगेट से थोड़ा पीछे रह गए हैं, क्योंकि इस वायरस के चलते स्कूल बंद थे और स्कूलों में बच्चे ना होने के कारण पौधों का डिस्ट्रीब्यूशन नहीं हो पाया. उन्होंने बताया कि वन विभाग की तरफ से ढाई लाख से भी ज्यादा पौधे वितरित किए गए हैं. इन पौधों को वन विभाग की तरफ से पंचायतों के जरिए घर-घर पहुंचाए गए हैं. उन्होंने कहा की स्कूलों से करीब 1.4 लाख की डिमांड हर साल वन विभाग को मिलती थी, लेकिन इस बार वह डिमांड नहीं मिली. जिस वजह से वह अपने टारगेट को पूरा नहीं कर पाए हैं.

दो साल में पौधा रोपण के लिए एक करोड़ रुपये खर्च

फरीदाबाद वन विभाग के मुताबिक जिले में पौधों के प्लांटेशन पर पहाड़ी एरिया में 2018 से लेकर अब तक एक करोड़ खर्च किया गया है. तो वहीं इसी समय अंतराल में 2 करोड़ रुपए प्लेन एरिया में खर्च किया गया है. वन विभाग के द्वारा नर्सरी में पौधों का काम लगातार जारी है और फरीदाबाद वन विभाग का मकसद है कि भले ही कोरोना वायरस के कारण वह अपने टारगेट से थोड़ा पीछे रह गए हो, लेकिन आने वाले समय में वह लगातार प्लांटेशन करेंगे, ताकि जिले की हरियाली बरकरार रहे.

छह साल में बढ़ा छह वर्ग किलोमीटर ही हरियाली

दिल्ली- एनसीआर में भूकंप की तीव्रता और मरुस्थलीकरण को रोकने में ढाल बनने वाली अरावली पहाड़ी की हरियाणा क्षेत्र में स्थिति ठीक नही है. प्रदेश के छह जिलों में करीब साढ़े छह हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैली इन पहाड़ियों में पेड़-पौधों का क्षेत्र केवल 78 वर्ग किलोमीटर ही है. वन विभाग छह साल में छह वर्ग किमी हरियाली क्षेत्र ही बढ़ा पाया है. इस बात का खुलासा पिछले साल भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की सर्वे रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट भारतीय वन्यजीव संस्थान के एनिमल इकॉलोजी एंड कंर्जेवेशन ने तैयार की है.

बता दें कि फरीदाबाद के क्षेत्र में अरावली ओपन फॉरेस्ट केवल 119 वर्ग किमी है, जो कुल क्षेत्र का दो फीसद भी नहीं है. कृषि योग्य भूमि भी लगातार घटती जा रही है. 16 साल पहले इसमें कृषि योग्य भूमि 5495 वर्ग किलोमीटर थी जो कि अब घटकर 5235 वर्ग किलोमीटर रह गई है. घास-फूंस का क्षेत्र भी काफी कम हो गया.

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