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फरीदाबाद में ज्यादातर किसानों को नहीं है भावांतर भरपाई योजना की जानकारी

हरियाणा सरकार ने जनवरी 2018 में अपनी महत्वकांशी भावांतर भरपाई योजना की शुरुआत की थी लेकिन अभी तक किसानों को इस योजना के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. इसी को देखते हुए ईटीवी भारत हरियाणा ने किसानों को जानकारी देने के लिए मुहिम चलाई है.

Bhavantar Bharpai Yojana
Bhavantar Bharpai Yojana
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Published : Jan 1, 2020, 9:08 PM IST

फरीदाबादः प्रदेश में सब्जी की खेती करने वाले किसानों की फसल में आने वाली लागत में किसान को नुकसान से जोखिम मुक्त करने के लिए सरकार भावांतर भरपाई योजना चला रही है. लेकिन फरीदाबाद जिले की हकीकत ये है कि योजना के बारे में कुछ ही किसानों को पता है और ज्यादातर इससे अनजान है.

क्या है भावांतर भरपाई योजना ?
इस योजना की शुरूआत 1 जनवरी 2018 को की गई. सरकार ने यह योजना उस अवधि के लिए चलाई है, जब किसानों की सब्जी की फसल का उत्पादन अपने चरम पर होता है और मार्केट में सब्जियों की आवक तेज होती है. इस दौरान सब्जी की कीमत कम हो जाती है. जिससे किसानों को कई बार अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. इस जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने भावांतर भरपाई योजना चलाई है और सरकार की ओर से निर्धारित अवधि के दौरान मंडी में फसल की ब्रिकी पर किसान को यदि नुकसान होता है. तो किसान को मिलने वाले दाम और किसान के लागत की बीच के अन्तर का जो नुकसान होता है. सरकार उसकी भरपाई करती है.

योजना में शामिल फसलें
शुरूआत में इस योजना में चार सब्जियों आलू, प्याज, फूल गोभी, टमाटर को शामिल किया गया था. लेकिन 2019 में हरियाणा में नई सरकार बनने के बाद पहले ही कैबिनेट बैठक के बाद योजना का विस्तार किया गया और इसमें 4 और सब्जियों बैंगन, मटर, गाजर, शिमला मिर्च और 2 फलों अमरूद और किन्नू को शामिल किया गया. अब सरकार इस योजना के तहत किसानों की 8 सब्जी और 2 फलों की कीमतों को संरक्षण देती है.

फरीदाबाद में ज्यादातर किसानों को नहीं है भावांतर भरपाई योजना की जानकारी, देखें रिपोर्ट.
भावांतर भरपाई योजना के लिए फसलों की तय कीमत और उत्पादन
फसल का नाम संरक्षित मूल्य(रुपये प्रति क्विंटल ) उत्पादन(क्विंटल प्रति एकड़)
आलू
500 120
प्याज
650 100
टमाटर
500 140
फूल गोभी 750 100
बैंगन 500 -
किन्नू 1100 104
गाजर 700 100
मटर
1100 50
शिमला मिर्च
650 -
अमरूद 1300 -

कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिजाई अवधि के दौरान मार्केटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावान्तर (BBY) ई-पोर्टल से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. किसान अपनी फसल का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन मार्केटिंग विभाग या मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर भी करा सकता है. किसान एक निर्धारित अवधि के दौरान ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके लिए सरल सेवा केंद्र/ई-दिशा केंद्र/मार्केटिंग बोर्ड/ बागवानी विभाग/कृषि विभाग और इन्टरनेट कियोस्क पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध रहती है. रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है.

फसलों के रजिस्ट्रेशन के बाद बागवानी विभाग रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों के खेत के एरिया सत्यापन करता है. बागवानी विभाग अगर खेत के एरिया के सत्यापन में कोई गलती करता है तो किसान इसके खिलाफ अपील भी दायर कर सकता है.

फसल के खेत के एरिया का सत्यापन और सत्यापन को लेकर अपील और फसल की बिक्री सभी का भी समय तय होता है. इसी के तहत योजना का लाभ किसान को मिल पाता है.

ये भी पढ़ेंः- प्रदेश में सामने आया धान घोटाला, राइस मिल्स में स्टॉक की जांच में 35000 मीट्रिक टन धान की कमी

भावांतर भरपाई योजना से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
फसल का नाम रजिस्ट्रेशन की अवधि सत्यापन की तारीख सत्यापन के विरुद्ध अपील की अवधि बिक्री की तारीख
आलू 15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक 15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
प्याज 15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल - 31 मई
टमाटर 15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल- 15 जून
फूल गोभी 15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक
15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
किन्नू 1 सितंबर - 30 नवंबर
15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
गाजर 1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
मटर 1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
शिमला मिर्च
10 फरवरी-15 मार्च 31 मार्च तक - -
अमरूद 15 अप्रैल -15 मई
15 जून तक - -
बैंगन 10 फरवरी-15 मार्च 31 मार्च - -

रजिस्ट्रेशन में इस्तेमाल किए जाने वाले डॉक्यूमेंट्सः-
रजिस्ट्रेशन के दौरान किसान के पास आधार कार्ड, बैंक के पासबुक की प्रति और जिस जमीन में फसल की खेती की गई है, उससे संबंधित किला नंबर, खसरा नंबर, खेवट नंबर होना जरूरी है.

कैसे मिलता है योजना का लाभ ?

  • योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहन के लिए जे-फार्म पर बिक्री करनी होती है.
  • जे-फार्म पर बिक्री के बाद बिक्री विवरण भावांतर भरपाई योजना ई-पोर्टल पर अपलोड होता है, जिसके लिए प्रत्येक संबंधित मार्केट कमेटी के कार्यालय में सुविधा उपलब्ध रहती है.
  • बिक्री की अवधि के दौरान यदि फसल उत्पादन का थोक मूल्य संरक्षित मूल्य से कम मिलता है, तो किसान भाव के अंतर की भरपाई के लिए पात्र होगा.
  • जे-फार्म पर बिक्री और निर्धारित उत्पादन प्रति एकड़ (जो भी कम होगा) उसको भाव के अंतर से गुना करने पर प्रोत्साहन देय होगा.
  • प्रोत्साहन राशि किसान के आधार लिंकड बैंक खाते में बिक्री के 15 दिन के अन्दर जारी कर दी जाएगी.
  • हरियाणा राज्य कृषि वितरण बोर्ड द्वारा किसानों के खाते में भरपाई की राशि दी जाती है.
  • औसत दैनिक थोक मूल्य मण्डी बोर्ड द्वारा चिन्हित मण्डियों के दैनिक भाव के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
  • किसान को इस योजना लाभ तभी मिलता है, जब वो तय की गई अवधि के अंतर्गत अपने फसल की बिक्री करता है.

ईटीवी भारत की मुहिम की हुई सरहाना
इस योजना की जानकारी के अभाव में ज्यादातर किसान इस योजना का लाभ लेने से वंचित हैं. इसलिए हम उन इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां किसान सब्जियों की खेती तो करते हैं, लेकिन इस लाभ से वंचित हैं. अब योजनाओं का पता चलने पर किसान इस योजना के साथ जुड़ने की दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः- अलविदा 2019: हरियाणा के इन खिलाड़ियों ने 2019 में किया कमाल

फरीदाबादः प्रदेश में सब्जी की खेती करने वाले किसानों की फसल में आने वाली लागत में किसान को नुकसान से जोखिम मुक्त करने के लिए सरकार भावांतर भरपाई योजना चला रही है. लेकिन फरीदाबाद जिले की हकीकत ये है कि योजना के बारे में कुछ ही किसानों को पता है और ज्यादातर इससे अनजान है.

क्या है भावांतर भरपाई योजना ?
इस योजना की शुरूआत 1 जनवरी 2018 को की गई. सरकार ने यह योजना उस अवधि के लिए चलाई है, जब किसानों की सब्जी की फसल का उत्पादन अपने चरम पर होता है और मार्केट में सब्जियों की आवक तेज होती है. इस दौरान सब्जी की कीमत कम हो जाती है. जिससे किसानों को कई बार अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. इस जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने भावांतर भरपाई योजना चलाई है और सरकार की ओर से निर्धारित अवधि के दौरान मंडी में फसल की ब्रिकी पर किसान को यदि नुकसान होता है. तो किसान को मिलने वाले दाम और किसान के लागत की बीच के अन्तर का जो नुकसान होता है. सरकार उसकी भरपाई करती है.

योजना में शामिल फसलें
शुरूआत में इस योजना में चार सब्जियों आलू, प्याज, फूल गोभी, टमाटर को शामिल किया गया था. लेकिन 2019 में हरियाणा में नई सरकार बनने के बाद पहले ही कैबिनेट बैठक के बाद योजना का विस्तार किया गया और इसमें 4 और सब्जियों बैंगन, मटर, गाजर, शिमला मिर्च और 2 फलों अमरूद और किन्नू को शामिल किया गया. अब सरकार इस योजना के तहत किसानों की 8 सब्जी और 2 फलों की कीमतों को संरक्षण देती है.

फरीदाबाद में ज्यादातर किसानों को नहीं है भावांतर भरपाई योजना की जानकारी, देखें रिपोर्ट.
भावांतर भरपाई योजना के लिए फसलों की तय कीमत और उत्पादन
फसल का नाम संरक्षित मूल्य(रुपये प्रति क्विंटल ) उत्पादन(क्विंटल प्रति एकड़)
आलू
500 120
प्याज
650 100
टमाटर
500 140
फूल गोभी 750 100
बैंगन 500 -
किन्नू 1100 104
गाजर 700 100
मटर
1100 50
शिमला मिर्च
650 -
अमरूद 1300 -

कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिजाई अवधि के दौरान मार्केटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावान्तर (BBY) ई-पोर्टल से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. किसान अपनी फसल का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन मार्केटिंग विभाग या मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर भी करा सकता है. किसान एक निर्धारित अवधि के दौरान ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके लिए सरल सेवा केंद्र/ई-दिशा केंद्र/मार्केटिंग बोर्ड/ बागवानी विभाग/कृषि विभाग और इन्टरनेट कियोस्क पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध रहती है. रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है.

फसलों के रजिस्ट्रेशन के बाद बागवानी विभाग रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों के खेत के एरिया सत्यापन करता है. बागवानी विभाग अगर खेत के एरिया के सत्यापन में कोई गलती करता है तो किसान इसके खिलाफ अपील भी दायर कर सकता है.

फसल के खेत के एरिया का सत्यापन और सत्यापन को लेकर अपील और फसल की बिक्री सभी का भी समय तय होता है. इसी के तहत योजना का लाभ किसान को मिल पाता है.

ये भी पढ़ेंः- प्रदेश में सामने आया धान घोटाला, राइस मिल्स में स्टॉक की जांच में 35000 मीट्रिक टन धान की कमी

भावांतर भरपाई योजना से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
फसल का नाम रजिस्ट्रेशन की अवधि सत्यापन की तारीख सत्यापन के विरुद्ध अपील की अवधि बिक्री की तारीख
आलू 15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक 15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
प्याज 15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल - 31 मई
टमाटर 15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल- 15 जून
फूल गोभी 15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक
15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
किन्नू 1 सितंबर - 30 नवंबर
15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
गाजर 1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
मटर 1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
शिमला मिर्च
10 फरवरी-15 मार्च 31 मार्च तक - -
अमरूद 15 अप्रैल -15 मई
15 जून तक - -
बैंगन 10 फरवरी-15 मार्च 31 मार्च - -

रजिस्ट्रेशन में इस्तेमाल किए जाने वाले डॉक्यूमेंट्सः-
रजिस्ट्रेशन के दौरान किसान के पास आधार कार्ड, बैंक के पासबुक की प्रति और जिस जमीन में फसल की खेती की गई है, उससे संबंधित किला नंबर, खसरा नंबर, खेवट नंबर होना जरूरी है.

कैसे मिलता है योजना का लाभ ?

  • योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहन के लिए जे-फार्म पर बिक्री करनी होती है.
  • जे-फार्म पर बिक्री के बाद बिक्री विवरण भावांतर भरपाई योजना ई-पोर्टल पर अपलोड होता है, जिसके लिए प्रत्येक संबंधित मार्केट कमेटी के कार्यालय में सुविधा उपलब्ध रहती है.
  • बिक्री की अवधि के दौरान यदि फसल उत्पादन का थोक मूल्य संरक्षित मूल्य से कम मिलता है, तो किसान भाव के अंतर की भरपाई के लिए पात्र होगा.
  • जे-फार्म पर बिक्री और निर्धारित उत्पादन प्रति एकड़ (जो भी कम होगा) उसको भाव के अंतर से गुना करने पर प्रोत्साहन देय होगा.
  • प्रोत्साहन राशि किसान के आधार लिंकड बैंक खाते में बिक्री के 15 दिन के अन्दर जारी कर दी जाएगी.
  • हरियाणा राज्य कृषि वितरण बोर्ड द्वारा किसानों के खाते में भरपाई की राशि दी जाती है.
  • औसत दैनिक थोक मूल्य मण्डी बोर्ड द्वारा चिन्हित मण्डियों के दैनिक भाव के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
  • किसान को इस योजना लाभ तभी मिलता है, जब वो तय की गई अवधि के अंतर्गत अपने फसल की बिक्री करता है.

ईटीवी भारत की मुहिम की हुई सरहाना
इस योजना की जानकारी के अभाव में ज्यादातर किसान इस योजना का लाभ लेने से वंचित हैं. इसलिए हम उन इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां किसान सब्जियों की खेती तो करते हैं, लेकिन इस लाभ से वंचित हैं. अब योजनाओं का पता चलने पर किसान इस योजना के साथ जुड़ने की दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः- अलविदा 2019: हरियाणा के इन खिलाड़ियों ने 2019 में किया कमाल

Intro: हरियाणा राज्य कि मनोहर सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए और सब्जी की फसलों की बिक्री में हो रहे घाटे से किसानों को भरने के लिए 1 जनवरी 2018 से भावांतर भरपाई योजना लागू की गई। इस योजना के बारे में बागवानी विभाग जहां लोगों को जागरूक कर रहा है वही ईटीवी भारत भी इस योजना की पड़ताल करके किसानों को इस योजना के प्रति जागरूक कर रहा है


Body:1 जनवरी 2018 को हरियाणा राज्य की मनोहर सरकार ने प्रदेश के किसानों को तोहफा देते हुए भावांतर भरपाई योजना की शुरुआत की इस योजना का मुख्य उद्देश्य सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को बिक्री में समर्थन मूल्य ना मिलने के कारण होने वाले घाटे से बचाना है आपको बता दें किसी योजना के अंतर्गत जब किसान को उसकी सब्जी की फसल का मूल्य बिक्री के समय समर्थन मूल्य से भी कम मिलता है तो इस योजना के अंतर्गत किसान के घाटे की भरपाई सरकार के द्वारा की जाती है आपको बता दें किसी योजना में पहले आलू ,प्याज ,टमाटर ,फूलगोभी की सब्जी की फसलों को रखा गया था लेकिन 2019 में इस योजना में बदलाव कर इन 4 फसलों के साथ-साथ गाजर ,मटर, शिमला, मिर्च, बैंगन और फलों में किन्नू ,अमरूद को भी इसमें शामिल कर लिया गया है यानी कि अब इसमें 8 सब्जी की फसल है तो दो फालिस में रखे गए हैं आपको बता दें किस योजना के अंतर्गत टमाटर का समर्थन मूल्य 2019 में ₹500 प्रति क्विंटल रखा गया है तो वहीं प्याज का ₹650 प्रति क्विंटल मूल्य रखा गया है आलू का समर्थन मूल्य ₹500 प्रति क्विंटल रखा गया है फूलगोभी का मूल्य ₹750 प्रति क्विंटल रखा गया है गाजर का समर्थन मूल्य ₹700 प्रति क्विंटल निश्चित किया गया है मटर का समर्थन मूल्य ₹1100 प्रति क्विंटल रखा गया है शिमला मिर्च का समर्थन मूल्य ₹900 प्रति क्विंटल रखा गया है बैंगन का समर्थन मूल्य ₹500 प्रति क्विंटल रखा गया है और बात करें किन्नू और अमरूद के फल की तो अमरूद का समर्थन मूल्य ₹1300 प्रति क्विंटल रखा गया है और किन्नू का समर्थन मूल्य ₹1100 प्रति क्विंटल रखा गया है

वर्तमान में किसान अपनी विभिन्न फसलों का पंजीकरण करा सकते हैं जिसके लिए संबंधित फसल के लिए 31 दिसंबर पंजीकरण की आखिरी तारीख रखी गई है फसल चक्र के अनुसार इन सब्जी की फसलों और फल के हिसाब से अलग-अलग समय पर पंजीकरण तिथि तय की जाती है




Conclusion:इस योजना की जानकारी के अभाव में अभी भी कई किसान इस योजना का लाभ लेने से वंचित है जिला उद्यान विभाग और ईटीवी भारत की यह मुहिम है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस योजना का लाभ मिल सके इसलिए हम उन्हें लाखों की तलाश कर रहे हैं जहां किसान सब्जियों की खेती तो करते हैं लेकिन इस लाभ से वंचित है वहां जाकर ईटीवी भारत किसानों को इन योजनाओं के बारे में बता रहा है और योजनाओं के पता चलने पर किसान इस योजना के साथ जुड़ने की दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं
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