फरीदाबाद: अगर दिल में सेवा करने का जज्बा हो तो व्यक्ति अपने सुख को त्याग करने में तनिक संकोच नहीं करता है. फरीदाबाद के रहने वाले संजय चौधरी बीएसएफ में नौकरी करते थे. नियमित आमदनी थी. लेकिन जब उन्होंने लोगों की परेशानी को देखा, समाधान के लिए भटकते देखा तो उन्होंने सोचा कि ऐसे लाचार लोगों के लिए अपने शहर में रह कर कुछ करना चाहिए. इसी सोच के साथ उन्होंने बीएसएफ से वीआरएस ले लिया और समाज सेवा में जुट गये.
कैसे मिली प्रेरणा?: संजय चौधरी बताते हैं कि जब में छुट्टी पर घर आया तो मैंने देखा कि यहां पर गरीब तबके के लोगों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है. हर तरफ भ्रष्टाचार था. लोग परेशान थे, विकास का काम नहीं हो रहा था. तब उन्होंने सोचा कि देश की बॉर्डर पर रहकर तो हम देश की सेवा करते ही हैं लेकिन देश के अंदर भी ज्यादा सेवा करने की जरूरत है और इसी वजह से उन्होंने समाज सेवा की ठानी.
समाज सेवा के लिए नौकरी छोड़ी: संजय चौधरी ने बीएसएफ से VRS ( Voluntary Retirement Scheme) ले लिया और समाज सेवा में जुट गए. संजय ने बताया कि मैंने देखा कि अवैध तरीके से नशे की तस्करी की जा रही है. तस्कर अपने घरों में दारू बेचते थे और उसकी चपेट में युवा आ रहे थे. युवाओं के पास नौकरी नहीं थी. सड़कें नहीं थी, बिजली की समस्या थी. इन सब मुद्दों को लेकर प्रशासन के अधिकारियों से मिलने लगा और विकास कार्य करवाने को कहा लेकिन मेरी कहीं सुनवाई नहीं हुई. तब मेरे पास कुछ सेविंग थी उसको इकट्ठा करके मैंने गलियां बनवाई, सड़कें बनवाई, बिजली के खंभे लगवाए, महिलाओं को उनके अधिकार के लिए जागरुक किया.
धमकी भी मिली: संजय बताते हैं कि जो युवा नशे की चपेट में आ गए थे, उनको समझाया और फौज की ट्रेनिंग दी. तीन चार लड़कों की फौज में भर्ती भी हो गयी. संजय ने बताया कि इस दौरान उन्हें काफी धमकी भी मिल रही थी. धमकी देने वाले कहते थे कि तुम फौजी की सेवा करो. यहां पर समाज सेवा करने की जरूरत नहीं है. लेकिन मैंने हार नहीं मानी, लोगों को अपने साथ जोड़ना शुरु किया. आज हजारों की तादाद में लोग मेरे साथ जुड़े हुए हैं, हर सुख दुख में मैं लोग के साथ खड़ा रहता हूं.
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