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फरीदाबाद से ललित नागर को मिला टिकट, जानें कौन हैं ललित नागर

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने फरीदाबाद सीट से ललित नागर को उतारा है. फिलहाल ललित नागर तिगांव विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वाड्रा परिवार से नजदीकी का फायदा ललित नागर को लोकसभा चुनाव में मिला है.

कांग्रेस उम्मीदवार ललित नागर
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Published : Apr 13, 2019, 9:18 PM IST

Updated : Apr 14, 2019, 12:26 PM IST

फरीदाबाद: ललित नागर फरीदाबाद लोकसभा की विधानसभा तिंगाव के गांव बुआपुर के निवासी है. वर्तमान में ललित नागर तिगांव विधानसभा से विधायक हैं.

ललित नागर का पारिवारिक जीवन

ललित नागर का जन्म 1965 में गांव बुआपुर में हुआ था. ललित नागर के तीन भाई हैं. ललित के पिता भगत स‌िंह नागर एक किसान थे. जो गांव में ही खेती बाड़ी का काम किया करते थे. ललित ने स्कूली शिक्षा के बाद फरीदाबाद के ही सरकारी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी यूपी से एलएलबी की डिग्री हासिल की.

गांधी परिवार के साथ संबंध

हरियाणा कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ उनके अच्छे संबध रहे हैं. ललित नागर को पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा गुट का माना जाता रहा है. इसके अलावा उनके केन्द्र में राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा के साथ अच्छे संबन्ध रहे हैं. वाड्रा परिवार और ललित नागर परिवार की नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं. नागर के बड़े भाई महेश नागर ने राबर्ट वॉड्रा की कंपनी को राजस्थान के साथ-साथ फरीदाबाद में भी जमीन की खरीद-फरोख्त में अहम भूमिका निभाई थी. इतना ही नहीं महेश नागर ने वाड्रा के साथ-साथ राहुल गांधी को भी कई साल पहले पलवल के मौजपुर गांव में जमीन खरीदवाई थी. ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा परिवार से अच्छे संबंध होने का लाभ लोकसभा चुनावों में ललित नागर को मिला है.

ललित नागर का राजनीतिक जीवन

ललित नागर के राजनीतिक सफर की बात करें तो 2007 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की थी. सन 2009 में उन्हें कांग्रेस ने तिगांव विधानसभा से अपने उम्मीदवार के तौर पर उतारा. उनके सामने 2009 में चुनाव कृष्णपाल गुर्जर ने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था. ये दोनों ही नेता गुर्जर समुदाय से आते हैं. इस चुनाव में ललित नागर को हार का सामना करना पड़ा था.

सन 2009 मे ललित को कांग्रेस की टिकट पर 38928 वोट मिले थे. जबकि भाजपा के उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर को 39746 वोट मिले. सन 2014 में एक बार फिर से ललित नागर को कांग्रेस ने तिगांव विधानसभा से अपनी टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ाया. इस बार उनके सामने कृष्णपाल गुर्जर की बजाय उन्हीं के समुदाय के नेता राजेश नागर थे.

ललित नागर ने इस चुनाव में 2938 वोटों से भाजपा उम्मीदवार राजेश नागर को हराया. 2014 के चुनाव में ललित नागर ने कांग्रेस के टिकट पर 55408 वोट प्राप्त किए. जबकि दूसरे नंबर पर रहने वाले भाजपा प्रत्याशी राजेश नागर को 52470 वोट मिले.

कैसे मिल सकता है चुनावी फायदा?

कांग्रेस द्वारा ललित नागर को कांग्रेस की टिकट मिलने के बाद अब गुर्जर समुदाय के दो नेता मैदान में खुलकर आमने-सामने आए हैं. फरीदाबाद लोकसभा में गुर्जरों की वोट संख्या 2 लाख 95 हजार है. जबकि इस लोकसभा में 3 लाख 10 हजार जाट मतदाता हैं. ब्राह्मणों व मुस्लिम वोटरों की संख्या दो-दो लाख हैं. बाकि दूसरे विभिन्न समुदाय के वोटर हैं.

ललित नागर को टिकट देने का कांग्रेस का मुख्य मकसद भाजपा उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर को गुर्जर वोट बैंक से दूर करना है. इसके साथ ही ललित नागर को जाट समुदाय का भी साथ मिल सकता है. क्योंकि जाट समुदाय के लोग पिछले काफी समय से कृष्णपाल गुर्जर का विरोध करते रहे हैं. बहरहाल कांग्रेस ने भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर के घर यानि की गुर्जर समुदाय में सेंध लगा दी है. अभी दूसरी पार्टियों के पत्ते खुलने के बाद समीकरण और बदल सकते हैं.

फरीदाबाद: ललित नागर फरीदाबाद लोकसभा की विधानसभा तिंगाव के गांव बुआपुर के निवासी है. वर्तमान में ललित नागर तिगांव विधानसभा से विधायक हैं.

ललित नागर का पारिवारिक जीवन

ललित नागर का जन्म 1965 में गांव बुआपुर में हुआ था. ललित नागर के तीन भाई हैं. ललित के पिता भगत स‌िंह नागर एक किसान थे. जो गांव में ही खेती बाड़ी का काम किया करते थे. ललित ने स्कूली शिक्षा के बाद फरीदाबाद के ही सरकारी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी यूपी से एलएलबी की डिग्री हासिल की.

गांधी परिवार के साथ संबंध

हरियाणा कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ उनके अच्छे संबध रहे हैं. ललित नागर को पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा गुट का माना जाता रहा है. इसके अलावा उनके केन्द्र में राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा के साथ अच्छे संबन्ध रहे हैं. वाड्रा परिवार और ललित नागर परिवार की नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं. नागर के बड़े भाई महेश नागर ने राबर्ट वॉड्रा की कंपनी को राजस्थान के साथ-साथ फरीदाबाद में भी जमीन की खरीद-फरोख्त में अहम भूमिका निभाई थी. इतना ही नहीं महेश नागर ने वाड्रा के साथ-साथ राहुल गांधी को भी कई साल पहले पलवल के मौजपुर गांव में जमीन खरीदवाई थी. ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा परिवार से अच्छे संबंध होने का लाभ लोकसभा चुनावों में ललित नागर को मिला है.

ललित नागर का राजनीतिक जीवन

ललित नागर के राजनीतिक सफर की बात करें तो 2007 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की थी. सन 2009 में उन्हें कांग्रेस ने तिगांव विधानसभा से अपने उम्मीदवार के तौर पर उतारा. उनके सामने 2009 में चुनाव कृष्णपाल गुर्जर ने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था. ये दोनों ही नेता गुर्जर समुदाय से आते हैं. इस चुनाव में ललित नागर को हार का सामना करना पड़ा था.

सन 2009 मे ललित को कांग्रेस की टिकट पर 38928 वोट मिले थे. जबकि भाजपा के उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर को 39746 वोट मिले. सन 2014 में एक बार फिर से ललित नागर को कांग्रेस ने तिगांव विधानसभा से अपनी टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ाया. इस बार उनके सामने कृष्णपाल गुर्जर की बजाय उन्हीं के समुदाय के नेता राजेश नागर थे.

ललित नागर ने इस चुनाव में 2938 वोटों से भाजपा उम्मीदवार राजेश नागर को हराया. 2014 के चुनाव में ललित नागर ने कांग्रेस के टिकट पर 55408 वोट प्राप्त किए. जबकि दूसरे नंबर पर रहने वाले भाजपा प्रत्याशी राजेश नागर को 52470 वोट मिले.

कैसे मिल सकता है चुनावी फायदा?

कांग्रेस द्वारा ललित नागर को कांग्रेस की टिकट मिलने के बाद अब गुर्जर समुदाय के दो नेता मैदान में खुलकर आमने-सामने आए हैं. फरीदाबाद लोकसभा में गुर्जरों की वोट संख्या 2 लाख 95 हजार है. जबकि इस लोकसभा में 3 लाख 10 हजार जाट मतदाता हैं. ब्राह्मणों व मुस्लिम वोटरों की संख्या दो-दो लाख हैं. बाकि दूसरे विभिन्न समुदाय के वोटर हैं.

ललित नागर को टिकट देने का कांग्रेस का मुख्य मकसद भाजपा उम्मीदवार कृष्णपाल गुर्जर को गुर्जर वोट बैंक से दूर करना है. इसके साथ ही ललित नागर को जाट समुदाय का भी साथ मिल सकता है. क्योंकि जाट समुदाय के लोग पिछले काफी समय से कृष्णपाल गुर्जर का विरोध करते रहे हैं. बहरहाल कांग्रेस ने भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर के घर यानि की गुर्जर समुदाय में सेंध लगा दी है. अभी दूसरी पार्टियों के पत्ते खुलने के बाद समीकरण और बदल सकते हैं.

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FILE NAME : HAR_BHIWANI_INDERVES_ 13APRIL_DHARNA GYAPAN
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रिपोर्ट इन्द्रवेश दुहन भिवानी
दिनांक 13 अप्रैल।
संविधान निर्माता की प्रतिमा पर कालिख पोतने का जताया विरोध
उपायुक्त के नाम ज्ञापन सौंप दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की की मांग
चुनाव में माहौल बिगाडऩे का लगाया आरोप
    भिवानी लघु सचिवालय के बाहर शनिवार को अंबेडकरवादी संगठनों से जुड़े लोगों ने एक दिवसीय धरना देकर लोहारू में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर कालिख पोतने का विरोध जताया। बीती रात असामाजिक तत्वों द्वारा लोहारू के रेलवे स्टेशन के समीप स्थापित संविधान निर्माता व भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर असामाजिक तत्वों द्वारा कालिख पोत दी गई थी। इससे नाराज होकर अम्बेडकरवादी विचारधारा से जुड़े लोगों ने शनिवार को लघु सचिवालय के बाहर नारेबाजी कर धरना दिया तथा जिला उपायुक्त के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंप प्रतिमा पर कालिख पोतने वाले असामाजिक तत्वों पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग उठाई। 
    अम्बेडकरवादी संगठन से जुड़े सुनील व पूर्व पार्षद शीला गोरा ने संविधान निर्माता बाबा साहेब की प्रतिमा पर कालिख पोतने व अनुसूचित जाति की दो दुकानों में आग लगाने के प्रयास की निंदा की तथा जिला प्रशासन से मांग की कि इस संबंध में दोषी लोगों की पहचान कर प्रशासन उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें, ताकि बाबा साहेब की विचारधारा पर चलने वाले लोगों की भावना आहत न हो। उन्होंने बताया कि चुनाव के समय में कुछ असामाजिक तत्व माहौल बिगाडऩा चाहते हैं। इसीलिए जिला प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे लोगों की जल्द पहचान कर उन्हे सजा देने का काम करें। 
बाईट : सुनील एवं पूर्व पार्षद शीला गोरा अंबेडकरवादी संगठन से जुड़े पदाधिकारी।

Last Updated : Apr 14, 2019, 12:26 PM IST
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