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पर्वतों की श्रृंखला अरावली हिल्स की ऐसी हालत के लिए कौन जिम्मेदार ? - Illegal mining in Aravali Hills

फरीदाबाद की जीवन रेखा कहे जाने वाली अरावली पर्वतों की श्रृंखला वर्तमान में अपना भविष्य तलाशती नजर आ रही है. क्योंकि अरावली में अवैध कब्जे और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भी कंस्ट्रक्शन लगातार जारी है.

अरावली हिल्स में अवैध खनन जारी
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Published : Mar 11, 2019, 2:51 AM IST

फरीदाबादः यहां की जीवन रेखा कहे जाने वाली अरावली पर्वतों की श्रृंखला वर्तमान में अपना भविष्य तलाश थी नजर आ रही है, क्योंकि फरीदाबाद में तकरीबन लगभग 700 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली अरावली में अवैध कब्जे और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भी कंस्ट्रक्शन लगातार जारी है. वहीं पीएल पीएल को लेकर भी यहां के लोग असंतुष्ट हैं लोगों का कहना है कि अगर इसी तरह से चलता रहा तो अरावली केवल इतिहास रह जाएगी.

अरावली हिल्स में अवैध खनन जारी

अरावली में खदानों का काम कोई नया नहीं है, लेकिन 1990 से अरावली में खदानों को परमिट दिया गया जिसके बाद यहां एक नहीं दर्जनों खुदा ने बना दी गई लोगों ने पैसे के लिए जितना चाहा अरावली को उखाड़ दिया बाद में इन खदानों पर भले ही रोक लगी लेकिन उस रोक के बावजूद भी चोरी छुपे खदानों का खेल यहां जारी है.
जहां कभी हरे जंगल हुआ करते थे लगभग 400 प्रकार के अलग अलग पेड़ जीव जंतु इन्हीं अरावली के पर्वतों में रहते थे लेकिन आज वह भी खत्म हो चुके हैं. वो जीव-जंतु भी विलुप्त हो चुके हैं और इसका सिर्फ एक ही कारण है अरावली में रातों रात हो रही खुदाई और अवैध निर्माण तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं कि किस तरह से जंगल को उजाड़ कर पहाड़ों को खोदा गया और खोजने के बाद पहाड़ों को छोड़ दिया गया.

aravali hills
अरावली हिल्स में अवैध खनन जारी

पहाड़ों की खुदाई करने के बाद ना यहां किसी ने पेड़ लगाए, नहीं किसी अन्य प्रकार का कोई रखरखाव यहां पर सरकार और प्रशासन के द्वारा किया गया अरावली की पहाड़ियों में कभी पानी की झीले होती थी जिसमें जीव जंतु स्वच्छ पानी यहां से पिया करते थे, लेकिन आज दूर-दूर तक ढूंढने पर तालाब नहीं मिलता.

हरियाणा सरकार द्वारा पारित किए गए पीएलपीए के खिलाफ अर्जी दाखिल करने वाले फरीदाबाद के अधिवक्ता एल एन पाराशर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में वो सरकार के खिलाफ खड़े हैं और वह खुद अरावली के मामले में पार्टी बंद करें. अरावली को बचाने की जद्दोजहद सुप्रीम कोर्ट में कर रहे हैं, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल के महीने में तारीख का वक्त उनको दिया है.

उन्होंने कहा कि वह किसी भी कीमत पर अरावली को नष्ट नहीं होने देंगे इसके लिए चाहे उनको हरियाणा सरकार के खिलाफ ही क्यों ना खड़ा होना पड़े. उन्होंने कहा की सरकार ने चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए पंजाब भू संरक्षण एक्ट 19 सौ को संशोधित करके पारित किया. जिसमें कुछ लोगों को फायदा पहुंचेगा और पूरी अरावली खत्म हो जाएगी और अरावली के खत्म होते ही फरीदाबाद पूरी तरह से पोलूशन की चपेट में होगा.

फरीदाबादः यहां की जीवन रेखा कहे जाने वाली अरावली पर्वतों की श्रृंखला वर्तमान में अपना भविष्य तलाश थी नजर आ रही है, क्योंकि फरीदाबाद में तकरीबन लगभग 700 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली अरावली में अवैध कब्जे और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भी कंस्ट्रक्शन लगातार जारी है. वहीं पीएल पीएल को लेकर भी यहां के लोग असंतुष्ट हैं लोगों का कहना है कि अगर इसी तरह से चलता रहा तो अरावली केवल इतिहास रह जाएगी.

अरावली हिल्स में अवैध खनन जारी

अरावली में खदानों का काम कोई नया नहीं है, लेकिन 1990 से अरावली में खदानों को परमिट दिया गया जिसके बाद यहां एक नहीं दर्जनों खुदा ने बना दी गई लोगों ने पैसे के लिए जितना चाहा अरावली को उखाड़ दिया बाद में इन खदानों पर भले ही रोक लगी लेकिन उस रोक के बावजूद भी चोरी छुपे खदानों का खेल यहां जारी है.
जहां कभी हरे जंगल हुआ करते थे लगभग 400 प्रकार के अलग अलग पेड़ जीव जंतु इन्हीं अरावली के पर्वतों में रहते थे लेकिन आज वह भी खत्म हो चुके हैं. वो जीव-जंतु भी विलुप्त हो चुके हैं और इसका सिर्फ एक ही कारण है अरावली में रातों रात हो रही खुदाई और अवैध निर्माण तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं कि किस तरह से जंगल को उजाड़ कर पहाड़ों को खोदा गया और खोजने के बाद पहाड़ों को छोड़ दिया गया.

aravali hills
अरावली हिल्स में अवैध खनन जारी

पहाड़ों की खुदाई करने के बाद ना यहां किसी ने पेड़ लगाए, नहीं किसी अन्य प्रकार का कोई रखरखाव यहां पर सरकार और प्रशासन के द्वारा किया गया अरावली की पहाड़ियों में कभी पानी की झीले होती थी जिसमें जीव जंतु स्वच्छ पानी यहां से पिया करते थे, लेकिन आज दूर-दूर तक ढूंढने पर तालाब नहीं मिलता.

हरियाणा सरकार द्वारा पारित किए गए पीएलपीए के खिलाफ अर्जी दाखिल करने वाले फरीदाबाद के अधिवक्ता एल एन पाराशर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में वो सरकार के खिलाफ खड़े हैं और वह खुद अरावली के मामले में पार्टी बंद करें. अरावली को बचाने की जद्दोजहद सुप्रीम कोर्ट में कर रहे हैं, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल के महीने में तारीख का वक्त उनको दिया है.

उन्होंने कहा कि वह किसी भी कीमत पर अरावली को नष्ट नहीं होने देंगे इसके लिए चाहे उनको हरियाणा सरकार के खिलाफ ही क्यों ना खड़ा होना पड़े. उन्होंने कहा की सरकार ने चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए पंजाब भू संरक्षण एक्ट 19 सौ को संशोधित करके पारित किया. जिसमें कुछ लोगों को फायदा पहुंचेगा और पूरी अरावली खत्म हो जाएगी और अरावली के खत्म होते ही फरीदाबाद पूरी तरह से पोलूशन की चपेट में होगा.

Intro: फरीदाबाद की जीवन रेखा कहे जाने वाली अरावली पर्वतों की श्रृंखला वर्तमान में अपना भविष्य तलाश थी नजर आ रही है क्योंकि फरीदाबाद में तकरीबन लगभग 700 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली अरावली में अवैध कब्जे और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद भी कंस्ट्रक्शन लगातार जारी है वहीं पीएल पीएल को लेकर भी यहां के लोग असंतुष्ट हैं लोगों का कहना है कि अगर इसी तरह से चलता रहा तो अरावली केवल इतिहास रह जाएगी


Body:फरीदाबाद को औद्योगिक नगरी के नाम से जाना जाता है क्योंकि सबसे ज्यादा उद्योग फरीदाबाद में ही लगे हुए हैं ऐसे में उद्योगों के साथ साथ तकरीबन भारी संख्या में लोग यहां पर रहते हैं पोलूशन की बात करें तो फरीदाबाद में पोलूशन का सतर हमेशा ऊपर ही रहता है इस पूरे फरीदाबाद को अगर कोई स्वच्छ हवा दे रहा है तो वह है फरीदाबाद में फैली अरावली पर्वत ओं की श्रृंखला लेकिन अब अरावली को खुद अपने भविष्य को लेकर डर लगने लगा है अरावली को डर है दिन रात हो रही अवैध खनन से और बिना अनुमति के हो रहे अवैध निर्माण से पैसों की लालच में कई लोग अरावली का सीना चीरकर उससे पत्थर निकालकर रात और रात अमीर हो रहे हैं तो कई लोग इस जंगल की आबोहवा बचाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं अरावली में खदानों का काम कोई नया नहीं है लेकिन 1990 से अरावली में खदानों को परमिट दिया गया जिसके बाद यहां एक नहीं दर्जनों खुदा ने बना दी गई लोगों ने पैसे के लिए जितना चाहा अरावली को उखाड़ दिया बाद में इन खदानों पर भले ही रोक लगी लेकिन उस रोक के बावजूद भी चोरी छुपे खदानों का खेल यहां जारी है जहां कभी हरे जंगल हुआ करते थे लगभग 400 प्रकार के अलग अलग पेड़ जीव जंतु इन्हीं अरावली के पर्वतों में रहते थे लेकिन आज वह भी खत्म हो चुके हैं वो जीव-जंतु भी विलुप्त हो चुके हैं और इसका सिर्फ एक ही कारण है अरावली में रातों रात हो रही खुदाई और अवैध निर्माण तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं कि किस तरह से जंगल को उजाड़ कर पहाड़ों को खोदा गया और खोजने के बाद पहाड़ों को छोड़ दिया गया पहाड़ों की खुदाई करने के बाद ना यहां किसी ने पेड़ लगाए नाही किसी अन्य प्रकार का कोई रखरखाव यहां पर सरकार और प्रशासन के द्वारा किया गया अरावली की पहाड़ियों में कभी पानी की झीले होती थी जिसमें जीव जंतु स्वच्छ पानी यहां से पिया करते थे लेकिन आज दूर-दूर तक ढूंढने पर तालाब नहीं मिलता पत्थर की खुदाई के साथ-साथ यहां पर पेड़ों की कटाई भी चोरी छुपे की जाती रही है जिसके बाद अरावली किस जंगल की शोभा दिन रात खत्म होती जा रही है यहां के लोगों ने बताया कि कभी इस इलाके में टाइगर तक देखे जाते थे जंगल में जाने की हिम्मत किसी के अंदर नहीं होती थी लेकिन लोगों ने अपने लालच के लिए इन जंगलों को काटा और यहां से पत्थर चोरी करके ले गए आज जंगल में ना तो आपको कोई टाइगर देखने को मिलेगा ना ही अन्य प्रकार का कोई खास जानवर क्योंकि खत्म होते जंगलों से जीव जंतु पलायन कर चुके हैं या फिर वह मर चुके हैं हम लोगों ने जिन जीव जंतु के बारे में अपने बुजुर्गों से सुना था उन जानवरों को उन्होंने कभी नहीं देखा और जिन जानवरों को हमने देखा है उनको हमारे बच्चे नहीं देख पाएंगे अरावली के हालातों पर बताते हुए उन्होंने कहा कि बड़ी-बड़ी कंपनियां और जो ग्रुप है उन्होंने अरावली का सीना चीर बड़ी-बड़ी इमारतें यहां पर खड़ी कर दी है और लगातार इन इमारतों का निर्माण जारी है वह दिन दूर नहीं है जब अरावली से जंगल का नामो निशान मिट जाएगा ना यहां पहाड़ रहेंगे और अरावली एक इतिहास बन कर रह जाएगा

बाइट--राजकुमार, गांव अनंगपुर निवासी

अरावली की पहाड़ियों में लगभग दो दर्जन गांव ऐसे हैं जो वहीं पर बसे हुए हैं अरावली में कृषि योग्य भूमि कम है क्योंकि पहाड़ों की संख्या ज्यादा होने के कारण यहां खेती-बाड़ी कर पाना मुश्किल है इसलिए यहां लोग कम ही खेती करते हैं हरियाणा सरकार द्वारा विधानसभा में पारित किए गए पी एल पी ए संशोधन के बाद अरावली को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से हस्तक्षेप किया उसके बाद तमाम कई लोगों इस मामले को लेकर कोर्ट में अर्जी लगा चुके हैं सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार द्वारा पारित किए गए plpa के खिलाफ अर्जी दाखिल करने वाले फरीदाबाद के अधिवक्ता एल एन पाराशर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में वह सरकार के खिलाफ खड़े हैं और वह खुद अरावली के मामले में पार्टी बंद करें रावली को बचाने की जद्दोजहद सुप्रीम कोर्ट में कर रहे हैं जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल के महीने में तारीख का वक्त उनको दिया है उन्होंने कहा कि वह किसी भी कीमत पर अरावली को नष्ट नहीं होने देंगे इसके लिए चाहे उनको हरियाणा सरकार के खिलाफ ही क्यों ना खड़ा होना पड़े उन्होंने कहा की सरकार ने चंद लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए पंजाब भू संरक्षण एक्ट 19 सौ को संशोधित करके पारित किया जिसमें कुछ लोगों को फायदा पहुंचेगा और पूरी अरावली खत्म हो जाएगी और अरावली के खत्म होते ही फरीदाबाद पूरी तरह से पोलूशन की चपेट में होगा

बाइट- एल इन पराशर , अधिवक्ता , ओर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने वाले



Conclusion:अरावली का दिन रात हो है चीर हरण


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