फरीदाबाद: बस्तियों में रहने वाले लोगों को आशियाना देने के मकसद से फरीदाबाद में साल 2008-2009 में हरियाणा की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत सैकड़ों मकानों का निर्माण करवाया था. वर्ष 2011 में इन मकानों का काम पूरा हो गया था, लेकिन दस साल बीत जाने के बाद भी इन मकानों में लोगों को नहीं बसाया जा सका है.
ये मकान अब आवारा पशुओं का अड्डा बनकर रह गए हैं. इन मकानों की हालत का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम डबुआ कॉलोनी और बापू नगर में पहुंची. इन दोनों ही जगहों पर जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत फ्लैट बनाए गए हैं. जिनमें से कुछ फ्लैट में लोग रह भी रहे हैं. डबुआ कॉलोनी और बापू नगर में करोड़ों रुपये की लागत लगाकर बनाए गए इन फ्लैटों की हालत जर्जर हो चुकी है.
फ्लैट अब जानवरों का तबेला बन चुके हैं. यहां पर ना तो बिजली है और ना ही पीने के लिए पानी की सप्लाई. घरों तक जाने वाले रास्ते कच्चे हैं और ना ही कोई साफ-सफाई है. ऐसे में जो परिवार यहां रह रहे हैं वो मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं.
राज्य सरकार ने वर्ष 2008-09 में डबुआ कॉलोनी और बापू नगर में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 2896 फ्लैट का निर्माण कार्य शुरू कराया था. जिनमें से डबुआ कॉलोनी में करीब 10 एकड़ की जमीन पर 38.96 करोड़ रुपये की लागत से 4 मंजिला 1968 फ्लैट बनाए गए हैं और बापू नगर में 5 एकड़ जमीन 25.27 करोड़ रुपये की लागत से 928 फ्लैट बनाए गए हैं.
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दोनों प्रोजेक्ट वर्ष 2011-12 में पूरा हो गए थे. इन फ्लैटों में एक बड़ा हॉल, एक बेडरूम, एक किचन बनाए गए हैं. नगर निगम फरीदाबाद के द्वारा साल 2011 के बाद इन फ्लैट में गरीब लोगों को शिफ्ट करने की कवायद शुरू की गई थी. जिसमें लखनपुर खोरी के 202 परिवारों को चिन्हित करके डबुआ कॉलोनी में शिफ्ट किया गया.
इसी तरह से बापू नगर वाले फ्लैट में भी 149 परिवारों को शिफ्ट किया गया, लेकिन आज भी दोनों जगहों पर 2545 फ्लैट खंडहर का रूप लिए खाली पड़े हैं. वहीं जो परिवार इन फ्लैटों में रह रहे हैं वह भी खुश नहीं है क्योंकि इन फ्लैटों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं.
यहां पर रहने वाले परिवारों ने बताया कि पिछले कई सालों से वे बिना बिजली के गुजारा कर रहे हैं और ना ही पीने के पानी की सप्लाई आ रही है. बिजली ना आने के चलते बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते. किसी तरह की रिपेयरिंग ना होने के कारण ये फ्लैट अब खंडहर हो चुके हैं और ऐसे में नए लोगों को यहां पर शिफ्ट करने का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि जो पहले से यहां रह रहे हैं उनको भी किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं मिली है तो नए लोग यहां पर कैसे रह पाएंगे.
बता दें कि, हरियाणा सरकार खोरी गांव से बेघर हुए लोगों को फरीदाबाद की डबुआ कॉलोनी और बापू नगर के इन्हीं मकानों में बसाने वाली है. खोरी गांव से निकलने वाले लोगों को पुनर्वास नीति के तहत 2000 रुपये प्रतिमाह किराए के हिसाब से दिए जाएंगे और 6 महीने के बाद उनको यहां पर शिफ्ट किया जाएगा.
उधर प्रशासन भी खुद इस बात को मान रहा है कि अभी इन फ्लैटों को मरम्मत की जरूरत है. इसके लिए प्रशासन ने टेंडर जारी किया हुआ है और अगले 6 महीने के अंदर इनको पूरी तरह से ठीक करने की बात कही जा रही है. बहरहाल फिलहाल तो ये फ्लैट इंसानों के रहने के लायक नहीं है. ऐसे में देखना होगा कि प्रशासन अब कब तक यहां पर लोगों को बसाने का काम कर पाता है.
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