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कृष्णा का कमाल, अचार डाल बना डाला करोड़ों का कारोबार, कमरे के स्टार्टअप से खड़ी की 3 कंपनियां

Faridabad News : कहते हैं ना मन के हारे हार है, मन के जीते जीत. ऐसी ही एक कहानी है कृष्णा यादव की, जिन्होंने मुश्किल हालातों का सामना किया और छोटे से कमरे से शुरू किए गए अचार के बिजनेस से आज करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया. क्या है कृष्णा की कहानी, आइए आपको बताते हैं.

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मेहनत से मिला मुकाम
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 6, 2023, 10:47 PM IST

अचार डाल बना डाला करोड़ों का कारोबार

फरीदाबाद : सूरजकुंड के अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला ग्राउंड में पहली बार दिवाली मेले का आयोजन किया गया है. इसमें एक स्टॉल लगा है श्रीकृष्णा पिकल्स के नाम से जहां बेचे जा रहे हैं 150 से ज्यादा वैरायटी के अचार. इस स्टॉल की मालिक हैं कृष्णा यादव जिनकी कहानी सभी के लिए मिसाल से कम नहीं है.

छोटे से कमरे से की बिजनेस की शुरुआत : श्रीकृष्णा पिकल्स के स्टॉल पर कृष्णा यादव तो मौजूद नहीं थी, पर उनके बेटे जितेंद्र यादव मौजूद थे. ईटीवी भारत की टीम ने जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि कैसे एक छोटे से परिवार से आने वाली उनकी मां आज अपनी मेहनत और हौसले के दम पर एक बिजनेस टाइकून बन चुकी है. कृष्णा यादव ने साल 1990 में श्रीकृष्णा पिकल्स की नींव रखी थी. उन्होंने एक छोटे से कमरे से बिजनेस की शुरुआत की जिसके बाद वे अचार बनाकर दुकानों में पहुंचाने लगीं. उन्हें इसमें कई बार घाटे का सामना करना पड़ा. कभी अचार बिकता था, कभी नहीं बिकता था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और बिजनेस से पैसे आने लगे. ऐसे में कृष्णा ने और महिलाओं में इस बिजनेस में जोड़ना शुरू किया.

ये भी पढ़ें : कोरोना महामारी में खत्म हुआ रोजगार तो महिलाओं ने लगाया स्टार्टअप, अब बनी दूसरी महिलाओं के लिए मिसाल

3 कंपनी, 400 महिलाओं को रोज़गार : कृष्णा यादव की आज 3 कंपनियां चल रही है और करोड़ों रुपयों का कारोबार है. आज करीब 150 वैरायटी के अचार बनाकर वे देश-विदेश में बेचती हैं. साथ ही 14 तरह के मुरब्बे और कई तरह के सिरके भी बेच रही हैं. कृष्णा ने आज 400 महिलाओं को अपने बिजनेस से रोज़गार दे रखा है. इसी इनोवेटिव आइडिया के लिए उन्हें राज्य की पहली चैंपियन किसान महिला का अवार्ड भी मिला हुआ है. वहीं कृष्णा को साल 2015 में नारी शक्ति सम्मान का अवार्ड भी दिया गया. इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति और कई राज्यों के सीएम भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं. कृष्णा का मकसद आने वाले दिनों में और ज्यादा महिलाओं को इस कारोबार से जोड़ना है, जिससे महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा मिले. कृष्णा यादव की कहानी आज समाज को प्रेरणा दे रही है और जो लोग ज़िंदगी की परेशानियों से हार मान लेते हैं, उनके लिए कृष्णा यादव किसी मिसाल से कम नहीं हैं.

अचार डाल बना डाला करोड़ों का कारोबार

फरीदाबाद : सूरजकुंड के अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला ग्राउंड में पहली बार दिवाली मेले का आयोजन किया गया है. इसमें एक स्टॉल लगा है श्रीकृष्णा पिकल्स के नाम से जहां बेचे जा रहे हैं 150 से ज्यादा वैरायटी के अचार. इस स्टॉल की मालिक हैं कृष्णा यादव जिनकी कहानी सभी के लिए मिसाल से कम नहीं है.

छोटे से कमरे से की बिजनेस की शुरुआत : श्रीकृष्णा पिकल्स के स्टॉल पर कृष्णा यादव तो मौजूद नहीं थी, पर उनके बेटे जितेंद्र यादव मौजूद थे. ईटीवी भारत की टीम ने जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि कैसे एक छोटे से परिवार से आने वाली उनकी मां आज अपनी मेहनत और हौसले के दम पर एक बिजनेस टाइकून बन चुकी है. कृष्णा यादव ने साल 1990 में श्रीकृष्णा पिकल्स की नींव रखी थी. उन्होंने एक छोटे से कमरे से बिजनेस की शुरुआत की जिसके बाद वे अचार बनाकर दुकानों में पहुंचाने लगीं. उन्हें इसमें कई बार घाटे का सामना करना पड़ा. कभी अचार बिकता था, कभी नहीं बिकता था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और बिजनेस से पैसे आने लगे. ऐसे में कृष्णा ने और महिलाओं में इस बिजनेस में जोड़ना शुरू किया.

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3 कंपनी, 400 महिलाओं को रोज़गार : कृष्णा यादव की आज 3 कंपनियां चल रही है और करोड़ों रुपयों का कारोबार है. आज करीब 150 वैरायटी के अचार बनाकर वे देश-विदेश में बेचती हैं. साथ ही 14 तरह के मुरब्बे और कई तरह के सिरके भी बेच रही हैं. कृष्णा ने आज 400 महिलाओं को अपने बिजनेस से रोज़गार दे रखा है. इसी इनोवेटिव आइडिया के लिए उन्हें राज्य की पहली चैंपियन किसान महिला का अवार्ड भी मिला हुआ है. वहीं कृष्णा को साल 2015 में नारी शक्ति सम्मान का अवार्ड भी दिया गया. इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति और कई राज्यों के सीएम भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं. कृष्णा का मकसद आने वाले दिनों में और ज्यादा महिलाओं को इस कारोबार से जोड़ना है, जिससे महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा मिले. कृष्णा यादव की कहानी आज समाज को प्रेरणा दे रही है और जो लोग ज़िंदगी की परेशानियों से हार मान लेते हैं, उनके लिए कृष्णा यादव किसी मिसाल से कम नहीं हैं.

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