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सूरजकुंड मेले में उज्जैन की 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार की खजूर पत्ता कला के दिवाने हुए पर्यटक, देखें वीडियो - हस्तशिल्पकार शारदा बाई वर्मा

फरीदाबाद सूरजकुंड मेले में उज्जैन से आई 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार शारदाबाई वर्मा अपनी अनोखी खजूर पत्ता कला (khajoor patta Art in Surajkund Mela 2023 ) लेकर आईं हैं. उनकी इस कला को काफी सराहना मिल रही है.

khajoor patta Art in Surajkund Mela 2023
सूरजकुंड मेले में उज्जैन की 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार की खजूर पत्ता कला के दिवाने हुए पर्यटक
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Published : Feb 13, 2023, 4:04 PM IST

Updated : Feb 13, 2023, 5:01 PM IST

पर्यटकों ने 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार के इनोवेशन और आइडिया को सराहा.

फरीदाबाद: फरीदाबाद सूरजकुंड मेला 2023 में उज्जैन से आईं 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. यहां आने वाले पर्यटक इनके इनोवेशन और आइडिया की तारीफ कर रहे हैं. दरअसल, यह मेले में अपनी खजूर पत्ता कला प्रदर्शित कर रही हैं. इन्होंने खजूर की झाड़ू की बिक्री कम होने पर खजूर से कई नए प्रोडक्ट बनाएं हैं, जो मेले में बहुत पसंद किए जा रहे हैं. 72 वर्ष की उम्र में भी यह हस्तशिल्पकार सक्रिय हैं और अपनी मेहनत और लगन से बनाएं प्रोडक्ट पहली बार सूरजकुंड मेले में लेकर आईं हैं. वे पर्यटकों की प्रतिक्रिया और सराहना से काफी खुश हैं और अब हर वर्ष इस मेले में आना चाहती हैं.

फरीदाबाद सूरजकुंड मेले में उज्जैन से आई 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार शारदा बाई वर्मा की खजूर पत्ता कला को काफी सराहा जा रहा है. शारदा बाई 36वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में पहली बार आईं हैं. उनकी यह अनोखी कला लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. उन्होंने कानों के कुंडल, पूजा घर की सफाई के लिए झाड़ू, घरों को सजाने के लिए गुलदस्ते, आदि सभी चीजों को अपने हाथों से खजूर के पत्तों से बनाया है.

पढ़ें: सूरजकुंड मेला 2023: ना सोना, ना चांदी, खूबसूरत महिलाओं की नई डिमांड बनी धान की ज्वेलरी

72 साल की उम्र में भी वे हस्तशिल्प को आगे बढ़ा रहीं हैं. खजूर के पत्तों से वह कानों में पहनने वाले आभूषण और घरों में सजावट का सामान बनाकर लाई हैं. पिछले करीब 30 वर्षों से वे इस कला को आगे बढ़ा रही हैं. इसके लिए उन्हें कई राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं. शारदा में आज भी हस्तशिल्प को जिंदा रखने का जज्बा पूरी तरह से बरकरार है.

पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेला: मेले में दिखा कैदियों का हुनर, कई तरह के समानों का लगाया स्टॉल

इस दौरान उन्होंने बताया कि वे पहले जंगलों से खजूर के सूखे पत्ते इकट्ठे करती हैं. उसके बाद घर पर इस तरह के उत्पाद तैयार करती हैं. शारदा ने बताया कि करीब 25 वर्ष पहले उनके पति की मृत्यु हो गई थी. उसके बाद भी वे लगातार इस में काम लगी रहीं हैं. हस्तशिल्प के प्रोडक्ट तैयार करते हुए उन्हें 30 वर्षों से अधिक समय हो गया है.

पर्यटकों ने 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार के इनोवेशन और आइडिया को सराहा.

फरीदाबाद: फरीदाबाद सूरजकुंड मेला 2023 में उज्जैन से आईं 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. यहां आने वाले पर्यटक इनके इनोवेशन और आइडिया की तारीफ कर रहे हैं. दरअसल, यह मेले में अपनी खजूर पत्ता कला प्रदर्शित कर रही हैं. इन्होंने खजूर की झाड़ू की बिक्री कम होने पर खजूर से कई नए प्रोडक्ट बनाएं हैं, जो मेले में बहुत पसंद किए जा रहे हैं. 72 वर्ष की उम्र में भी यह हस्तशिल्पकार सक्रिय हैं और अपनी मेहनत और लगन से बनाएं प्रोडक्ट पहली बार सूरजकुंड मेले में लेकर आईं हैं. वे पर्यटकों की प्रतिक्रिया और सराहना से काफी खुश हैं और अब हर वर्ष इस मेले में आना चाहती हैं.

फरीदाबाद सूरजकुंड मेले में उज्जैन से आई 72 वर्षीय हस्तशिल्पकार शारदा बाई वर्मा की खजूर पत्ता कला को काफी सराहा जा रहा है. शारदा बाई 36वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में पहली बार आईं हैं. उनकी यह अनोखी कला लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. उन्होंने कानों के कुंडल, पूजा घर की सफाई के लिए झाड़ू, घरों को सजाने के लिए गुलदस्ते, आदि सभी चीजों को अपने हाथों से खजूर के पत्तों से बनाया है.

पढ़ें: सूरजकुंड मेला 2023: ना सोना, ना चांदी, खूबसूरत महिलाओं की नई डिमांड बनी धान की ज्वेलरी

72 साल की उम्र में भी वे हस्तशिल्प को आगे बढ़ा रहीं हैं. खजूर के पत्तों से वह कानों में पहनने वाले आभूषण और घरों में सजावट का सामान बनाकर लाई हैं. पिछले करीब 30 वर्षों से वे इस कला को आगे बढ़ा रही हैं. इसके लिए उन्हें कई राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं. शारदा में आज भी हस्तशिल्प को जिंदा रखने का जज्बा पूरी तरह से बरकरार है.

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इस दौरान उन्होंने बताया कि वे पहले जंगलों से खजूर के सूखे पत्ते इकट्ठे करती हैं. उसके बाद घर पर इस तरह के उत्पाद तैयार करती हैं. शारदा ने बताया कि करीब 25 वर्ष पहले उनके पति की मृत्यु हो गई थी. उसके बाद भी वे लगातार इस में काम लगी रहीं हैं. हस्तशिल्प के प्रोडक्ट तैयार करते हुए उन्हें 30 वर्षों से अधिक समय हो गया है.

Last Updated : Feb 13, 2023, 5:01 PM IST
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