फरीदाबाद: सावन में निकलने वाली कांवड़ यात्रा पर कोरोना के खतरे को देखते हुए रोक लगा दी गई है. जिसके बाद हर साल कांवड़ निकालने वालों के चेहरे पर मायूसी छा गई है. हालांकि उनका कहना है कि सबसे पहले जान है. अगर उनके हरिद्वार जाने से कोरोना बढ़ता है तो कांवड़ यात्रा नहीं निकालने पर ही सबकी भलाई है.
बता दें कि हर साल सावन के महीने में भोले के भक्त हरिद्वार और नीलकंठ जैसे धार्मिक स्थलों से जल लेकर आते हैं और मंदिरों पर पहुंचकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं, लेकिन इस बार पुलिस की ओर से कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया गया है. जिसके बाद भोले के इन भक्तों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं. इन भक्तों में जहां एक तरफ निराशा है तो वहीं उन्हें ये भी खुशी है कि लोगों की सुरक्षा के लिए इस यात्रा पर रोक लगाई गई है. भोले के भक्त अब जल अभिषेक को लेकर अपना प्लान बनाने लगे हैं.
फरीदाबाद के एनआईटी इलाके में बने एक मंदिर पर पिछले लगभग 18 सालों से कांवड़ ला रहे भोले के भक्तों ने बताया कि जब उनको पता चला कि कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई है तो उनको बेहद दुख हुआ, लेकिन अगर कोरोना वायरस से जीतना है तो प्रशासन के फैसले को मानना होगा. उन्होंने कहा कि कांवड़ लेने के लिए लाखों लोग हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे स्थानों पर जाते हैं. ऐसे में अगर अब लोग वहां पर पहुंचते हैं तो बहुत बड़ी दिक्कत हो सकती है.
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इसके साथ ही भोले के भक्तों ने कहा कि अगर थोड़ी छूट दे जाती है तो सोशल डिस्टेंसिंग के साथ और कम कांवड़िये कांवड़ ला सकते हैं, लेकिन ये दोनों राज्यों की सरकार पर निर्भर करता है.