फरीदाबादः 1 फरवरी से शुरू हुए 33वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में कई रंग देखने को मिल रहे हैं. मेले में कोयले, राख और गोबर से बनी पेंटिंग्स लोगों को खूब लूभा रही हैं.
आमतौर पर पेंटिंग बनाने के लिए ब्रश, पानी और रंगों की आवश्यकता होती है लेकिन सूरजकुंड मैं कुछ कलाकार ऐसी भी है जो वो अपनी पेंटिंग्स में कोयला, राख व गोबर का भी इस्तेमाल करते हैं. इनकी सभी पेंटिंग्स आदिवासियों की चित्रकला से जुड़ी हुई हैं. जो चित्रकला भाषा की खोज से पहले प्रयोग में लाई जाती थी.
सूरजकुंड मेले में बड़ी चौपाल के पास महाराष्ट्र के पालघर से आए आर्टिस्ट संदेश चिंटू राजद और दूसरे आर्टिस्ट ने बताया कि हमारी सभी पेंटिंग्स उस समय से जुड़ी हुई हैं जो सबसे प्राचीन है.
उन्होंने बताया कि उनकी सारी पेंटिंग्स कोयला, राख गोबर का इस्तेमाल करके बनाई गई है. उन्होंने कहा कि वो पिछले 22 साल से विनिंग पेंटिंग्स की दुनिया से जुड़े हुए हैं और उन्होंने अब तक की सारी पेंटिंग्स आदिवासी समय से प्रभावित होकर ही बनाई है.