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कट फ्लावर की खेती करने वाले किसानों को रास आ रहे नए कृषि कानून, देखिए ये रिपोर्ट

कट फ्लावर की खेती करने वाले किसानों को नए कृषि कानून बेहद रास आ रहे हैं. इन किसानों का मानना है कि अब उनको पहले की तरह मंडी टैक्स देने की जरूरत नहीं है. वो कहीं भी अपनी फसल बेचने जा सकते हैं.

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Published : Dec 20, 2020, 10:39 PM IST

faridabad cut flower farming
faridabad cut flower farming

फरीदाबाद: नए कृषि कानूनों का पूरे देश में जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है. अधिकतर किसानों का मानना है कि नए कृषि कानून खेती के लिहाज से घाटे का सौदा हैं, लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्हें नए कृषि कानून काफी रास आ रहे हैं.

'10 प्रतिशत मंडी टैक्स से मिला छुटकारा'

ये वो किसान हैं जो कट फ्लावर की खेती करते हैं. इन किसानों का कहना है कि कट फ्लावर की खेती के बाद जब वो फसल बेचने मंडी जाते थे, तो उन्हें 10% मंडी टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब नए कानून उन्हें कहीं भी फसल बेचने की आजादी देते हैं. ऐसे में उन्हें मंडी टैक्स से छुटकारा मिल गया है.

कट फ्लावर की खेती करने वाले किसानों को रास आ रहे नए कृषि कानून, देखिए ये रिपोर्ट

रजनीगंधा और कट फ्लावर की खेती करने वाले किसानों का मानना है कि नए कृषि कानून लागू होने से अब वो आजाद महसूस कर रहे हैं. अब वो आसानी से कहीं भी अपनी फसल को बेच सकते हैं और वो भी बिना मंडी टैक्स दिए.

इन किसानों का ये है तर्क

किसानों ने बताया कि पहले वो मंडी में जब अपनी फसल बेचने जाते थे तो 10 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता था. उदाहरण के तौर पर अगर उनकी फसल 10 हजार रुपये में बिकती है तो उन्हें 1 हजार रुपये मंडी टैक्स के रूप में देना पड़ता था. उनका कहना है कि ये पैसा बेफिजुल में दिया जाता है. क्योंकि मेहनत वो करते हैं और ये पैसा वो आढ़तियों को देते हैं. अब नए कानून लागू होते ही उनका 10 प्रतिशत पैसा बच रहा है. इससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है.

किसान क्यों कर रहे विरोध ?

हालांकि जो किसान नए कानूनों का विरोध कर रहे हैं वो चाहते हैं कि मंडी व्यवस्था से छेड़छाड़ ना की जाए. विरोध करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार कृषि क्षेत्र में उद्योगपतियों को लाना चाहती है और मंडियों को बंद करना चाहती है. किसानों का कहना है कि सरकार मंडियां बंद करना चाहती है और निजी कंपनियों को हमारी जमीनें देना चाहती है. नए कानून किसानी और मंडियों को खत्म कर देंगे और एमएसपी भी नहीं मिलेगा.

ये भी पढे़ं- जानें हरियाणा के बासमती उगाने वाले किसान क्यों कर रहे हैं कृषि कानूनों का समर्थन

फरीदाबाद: नए कृषि कानूनों का पूरे देश में जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है. अधिकतर किसानों का मानना है कि नए कृषि कानून खेती के लिहाज से घाटे का सौदा हैं, लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्हें नए कृषि कानून काफी रास आ रहे हैं.

'10 प्रतिशत मंडी टैक्स से मिला छुटकारा'

ये वो किसान हैं जो कट फ्लावर की खेती करते हैं. इन किसानों का कहना है कि कट फ्लावर की खेती के बाद जब वो फसल बेचने मंडी जाते थे, तो उन्हें 10% मंडी टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब नए कानून उन्हें कहीं भी फसल बेचने की आजादी देते हैं. ऐसे में उन्हें मंडी टैक्स से छुटकारा मिल गया है.

कट फ्लावर की खेती करने वाले किसानों को रास आ रहे नए कृषि कानून, देखिए ये रिपोर्ट

रजनीगंधा और कट फ्लावर की खेती करने वाले किसानों का मानना है कि नए कृषि कानून लागू होने से अब वो आजाद महसूस कर रहे हैं. अब वो आसानी से कहीं भी अपनी फसल को बेच सकते हैं और वो भी बिना मंडी टैक्स दिए.

इन किसानों का ये है तर्क

किसानों ने बताया कि पहले वो मंडी में जब अपनी फसल बेचने जाते थे तो 10 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता था. उदाहरण के तौर पर अगर उनकी फसल 10 हजार रुपये में बिकती है तो उन्हें 1 हजार रुपये मंडी टैक्स के रूप में देना पड़ता था. उनका कहना है कि ये पैसा बेफिजुल में दिया जाता है. क्योंकि मेहनत वो करते हैं और ये पैसा वो आढ़तियों को देते हैं. अब नए कानून लागू होते ही उनका 10 प्रतिशत पैसा बच रहा है. इससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है.

किसान क्यों कर रहे विरोध ?

हालांकि जो किसान नए कानूनों का विरोध कर रहे हैं वो चाहते हैं कि मंडी व्यवस्था से छेड़छाड़ ना की जाए. विरोध करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार कृषि क्षेत्र में उद्योगपतियों को लाना चाहती है और मंडियों को बंद करना चाहती है. किसानों का कहना है कि सरकार मंडियां बंद करना चाहती है और निजी कंपनियों को हमारी जमीनें देना चाहती है. नए कानून किसानी और मंडियों को खत्म कर देंगे और एमएसपी भी नहीं मिलेगा.

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