फरीदाबाद: महात्मा गांधी की जयंती पर जिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ जुलूस निकाला. इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
इस मोके पर कांग्रेस कार्यकर्ता मनोज अग्रवाल ने कहा कि खेत-खलिहान और किसान के हितैषी राष्ट्रपिता पूज्य बापू और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर ये बहुत शर्मनाक बात है कि सरकार देश के अन्नदाताओं पर जुर्म ढा रही है.
कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन
गौरतलब है कि कृषि कानून पर शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. हरियाणा और पंजाब में इन कानूनों का सबसे ज्यादा विरोध देखने को मिल रहा है. कई किसान संगठन और विपक्षी पार्टियां इन्हें काला कानून और किसान विरोधी बता रही हैं. आज एक बार फिर गांधी जयंती के मौके पर हरियाणा कांग्रेस जिला स्तर पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन करने जा रही है.
जानिए कृषि कानून जिनका हो रहा विरोध
- किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानू, 2020 का उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है.
- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून का उद्देश्य अनुबंध खेती की इजाजत देना है.
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है.
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