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फरीदाबाद में 8 महीनों से धूल फांक रही एंबुलेंस, अधिकारियों की लापरवाही के कारण मरीजों को नहीं मिल रही सुविधा

फरीदाबाद के नागरिक अस्पताल में नई एंबुलेंस (Ambulance in Faridabad) अस्पताल और जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही के चलते 8 महीनों से धूंल फांक रही है. इस एंबुलेंस को सीएसआर स्कीम के तहत दिया गया था.

Ambulance in Faridabad Civil Hospital Badshah Khan Ambulance spoiled in Faridabad
Ambulance in Faridabad Civil Hospital : फरीदाबाद में 8 महीनों से धूल फांक रही एंबुलेंस, अधिकारियों की लापरवाही के कारण मरीजों को नहीं मिल रही सुविधा
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Published : Jan 7, 2023, 3:49 PM IST

देखिए सीएसआर के तहत मिली 30 लाख की एंबुलेंस के हालात...

फरीदाबाद: सरकारी विभागों में अक्सर अधिकारी संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए आमजन की परेशानी दूर करने में असमर्थता जताते रहते हैं. लेकिन जब इन्हीं विभागों को संसाधन उपलब्ध हो जाए, तो वे इसका सही उपयोग और रखरखाव नहीं कर पाते हैं. इसका ताजा उदाहरण जिला नागरिक अस्पताल बादशाह खान (Faridabad Civil Hospital Badshah Khan) के प्रांगण में धूंल फांक रही एंबुलेंस (Ambulance spoiled in Faridabad) को देखकर लगाया जा सकता है. एंबुलेंस मिलने के बाद से अस्पताल प्रशासन इसको उपयोग में नहीं ले रहा है.

जानकारी के अनुसार गुड़गांव की राइट्स लिमिटेड कंपनी ने सीएसआर के तहत करीब 30 लाख की लागत से यह एंबुलेंस (Ambulance in Faridabad Civil Hospital) दी थी. हैरानी की बात है​ कि जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इससे अनजान हैं. वहीं उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमपी सिंह की माने तो सरकार से मिलने वाली एंबुलेंस की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास होती है, जबकि सीएसआर फंड के तहत मिलने वाले किसी भी उपकरण या वाहन की जानकारी जिला प्रशासन के पास ही होती है. उन्होंने बताया कि उनके पास वर्तमान में 28 एंबुलेंस हैं, जो काम कर रही हैं.

Ambulance in Faridabad Civil Hospital Badshah Khan Ambulance spoiled in Faridabad
फरीदाबाद में सीएसआर के तहत मिली एंबुलेंस 8 महीनों से धूल फांक रही है.

पढ़ें: चंडीगढ़ में न के बराबर कोवोवैक्स और कोविडशील्ड स्टॉक, कोवैक्सीन के 4,720 डोज उपलब्ध

इस एंबुलेंस के बारे में जिला प्रशासन ही बता सकेगा. वहीं जब इस संबंध में जिला उपायुक्त विक्रम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके कार्यभार संभालने से पहले यह एंबुलेंस आई होगी, इस एंबुलेंस के बारे में पता करवाया जाएगा. कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी, ऑक्सीजन बेड के अलावा संक्रमित रोगियों को लाने, ले जाने के लिए भी एंबुलेंस की कमी देखी गई थी. निजी एंबुलेंस संचालक उस दौरान पीड़ित मरीजों से कमाई में जुटे थे.

पढ़ें: पीजीआई में आई 3 अत्याधुनिक MRI मशीनें, मरीजों को जांच रिपोर्ट के लंबे इंतजार से मिलेगी राहत

इस स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन के आग्रह पर कंपनियां आगे आईं और स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए एंबुलेंस के अलावा अन्य उपकरण सीएसआर के तहत जिला प्रशासन को उपलब्ध कराए. इसी के तहत गुडगांव स्थित राइट्स लिमिटेड कंपनी ने 8 महीने पहले जिला प्रशासन को यह एंबुलेंस सौंपी थी. यह अभी तक काम में नहीं ली गई है. हालात यह है कि एंबुलेंस के स्थाई नंबर तक जारी नहीं कराए गए हैं.

देखिए सीएसआर के तहत मिली 30 लाख की एंबुलेंस के हालात...

फरीदाबाद: सरकारी विभागों में अक्सर अधिकारी संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए आमजन की परेशानी दूर करने में असमर्थता जताते रहते हैं. लेकिन जब इन्हीं विभागों को संसाधन उपलब्ध हो जाए, तो वे इसका सही उपयोग और रखरखाव नहीं कर पाते हैं. इसका ताजा उदाहरण जिला नागरिक अस्पताल बादशाह खान (Faridabad Civil Hospital Badshah Khan) के प्रांगण में धूंल फांक रही एंबुलेंस (Ambulance spoiled in Faridabad) को देखकर लगाया जा सकता है. एंबुलेंस मिलने के बाद से अस्पताल प्रशासन इसको उपयोग में नहीं ले रहा है.

जानकारी के अनुसार गुड़गांव की राइट्स लिमिटेड कंपनी ने सीएसआर के तहत करीब 30 लाख की लागत से यह एंबुलेंस (Ambulance in Faridabad Civil Hospital) दी थी. हैरानी की बात है​ कि जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इससे अनजान हैं. वहीं उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमपी सिंह की माने तो सरकार से मिलने वाली एंबुलेंस की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास होती है, जबकि सीएसआर फंड के तहत मिलने वाले किसी भी उपकरण या वाहन की जानकारी जिला प्रशासन के पास ही होती है. उन्होंने बताया कि उनके पास वर्तमान में 28 एंबुलेंस हैं, जो काम कर रही हैं.

Ambulance in Faridabad Civil Hospital Badshah Khan Ambulance spoiled in Faridabad
फरीदाबाद में सीएसआर के तहत मिली एंबुलेंस 8 महीनों से धूल फांक रही है.

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इस एंबुलेंस के बारे में जिला प्रशासन ही बता सकेगा. वहीं जब इस संबंध में जिला उपायुक्त विक्रम सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके कार्यभार संभालने से पहले यह एंबुलेंस आई होगी, इस एंबुलेंस के बारे में पता करवाया जाएगा. कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी, ऑक्सीजन बेड के अलावा संक्रमित रोगियों को लाने, ले जाने के लिए भी एंबुलेंस की कमी देखी गई थी. निजी एंबुलेंस संचालक उस दौरान पीड़ित मरीजों से कमाई में जुटे थे.

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इस स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन के आग्रह पर कंपनियां आगे आईं और स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए एंबुलेंस के अलावा अन्य उपकरण सीएसआर के तहत जिला प्रशासन को उपलब्ध कराए. इसी के तहत गुडगांव स्थित राइट्स लिमिटेड कंपनी ने 8 महीने पहले जिला प्रशासन को यह एंबुलेंस सौंपी थी. यह अभी तक काम में नहीं ली गई है. हालात यह है कि एंबुलेंस के स्थाई नंबर तक जारी नहीं कराए गए हैं.

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