ETV Bharat / state

आधी आबादी के लिए मिसाल बनी महिला, पति की मौत के बाद ऐसे बनी आत्मनिर्भर, प्रेरणादायक है कहानी

जो लड़खड़ा जाते हैं उनकी पूरी जिंदगी उठने में गुजर जाती है और जो मुसीबतों को झेलते हुए सकारात्‍मक रुख अपनाते हुए अपना मुकाम हासिल करने में जुट जाते हैं, उनकी मिसाल दी जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी 35 साल की ममता देवी ( Mamta Devi E Rickshaw Driver Faridabad) की है. जो आधी आबादी के लिए नजीर बन गई हैं.

a-woman-run-e-rickshaw-in-faridabad
ममता देवी ई रिक्शा चालक
author img

By

Published : Nov 1, 2021, 1:48 PM IST

Updated : Nov 1, 2021, 7:50 PM IST

फरीदाबाद : जिंदगी में कई बार ऐसे हालातों का सामना करना पड़ता है जब आगे का कोई रास्‍ता नहीं समझ में ही नहीं आता है है. मानों पूरा भविष्य अंधेरे में कहीं गुम हो गया हो. यहीं से शुरू होती है जिंदगी की असली परीक्षा. जो लड़खड़ा जाते हैं उनकी पूरी जिंदगी उठने में गुजर जाती है और जो मुसीबतों को झेलते हुए जी जान से सकारात्‍मक रुख अपनाते हुए अपना मुकाम हासिल करने में जुट जाते हैं, उनकी मिसाल दी जाती है.

कुछ ऐसी ही कहानी 35 साल के ममता देवी ( Mamta Devi Run E Rickshaw Driver Faridabad) की है जो आधी आबादी के लिए नजीर बन गई हैं. 35 साल की ममता (Mamta Devi from Bihar) मूल रूप से बिहार के छपरा जिले की रहने वाली हैं. वे करीब 12 साल पहले अपने पति के साथ फरीदाबाद आई थी. ममता का पति ट्रक चलाते थे और खुद ममता एक कंपनी में काम करती थी. इससे परिवार का गुजारा बमुश्किल ही चल पा रहा था. इसी बीच ममता पर मानों दुखों को पहाड़ टूट पड़ा.

ममता देवी ई रिक्शा चला रही हैं.

दरअसल ममता के पति के पैर की नस ब्लॉक हो गई जिससे वे दिव्यांग हो गए. इसके बाद से उसके पति को घर वापस आना पड़ा. इसी बीच देश में कोरोना महामारी ने भी पैर पसार लिए और ममता जिस कंपनी में काम करती थी उसे वहां से निकाल दिया गया. करीब 7 महीने पहले ही ममता के पति की मौत कोरोना से हो गई ऐसे में उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह खड़ी हो गई कि वह अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करें.

सामने खड़ी परेशानियों से ममता ने मुकाबला करना मुनासिफ समझा. उन्होंने अपने पति के द्वारा खरीदी गई ई-रिक्शा को अपनी आजीविका के लिए इस्तेमाल करने के लिए सोचा. लेकिन उनको ई रिक्शा चलाना नहीं आता था जिसके बाद ममता के एक पड़ोसी ई रिक्शा ड्राइवर ने उन्हें कुछ ही दिन में ई रिक्शा चलाना सिखा दिया. फिर क्या था ममता ई रिक्शा लेकर फरीदाबाद की सड़कों पर उतर गई.

ये भी पढ़ें : एक वीडियो ने बदल दी 2 दोस्तों की जिंदगी, घर में मोती की खेती कर कमा रहे लाखों रुपये

शुरुआत में महिला के ई रिक्शा चलाने पर दूसरे डाइवरों ने उन्हें ताना मारना शुरू कर दिया. लेकिन ममता ने हार नहीं मानी और सड़कों पर रिश्का चलाना जारी रखा. ममता का कहना है कि जिंदगी में मुसीबत ही बहुत आती है, लेकिन उन मुसीबतों से हार मानने की जगह उनका सामना करने में ही असली जिंदगी जीने का मजा है, क्योंकि मुसीबतें हमेशा नहीं रहेंगी. लेकिन अगर आप हिम्मत हारगे तो मुसीबते आपके सामने हमेशा खड़ी रहेंगी. उनका कहना है कि पति की मौत के बाद वह पूरी तरह से टूट गई थी. मानसिक और आर्थिक दोनों चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया और अपने आप को आज इस काबिल बना पाई.

फरीदाबाद : जिंदगी में कई बार ऐसे हालातों का सामना करना पड़ता है जब आगे का कोई रास्‍ता नहीं समझ में ही नहीं आता है है. मानों पूरा भविष्य अंधेरे में कहीं गुम हो गया हो. यहीं से शुरू होती है जिंदगी की असली परीक्षा. जो लड़खड़ा जाते हैं उनकी पूरी जिंदगी उठने में गुजर जाती है और जो मुसीबतों को झेलते हुए जी जान से सकारात्‍मक रुख अपनाते हुए अपना मुकाम हासिल करने में जुट जाते हैं, उनकी मिसाल दी जाती है.

कुछ ऐसी ही कहानी 35 साल के ममता देवी ( Mamta Devi Run E Rickshaw Driver Faridabad) की है जो आधी आबादी के लिए नजीर बन गई हैं. 35 साल की ममता (Mamta Devi from Bihar) मूल रूप से बिहार के छपरा जिले की रहने वाली हैं. वे करीब 12 साल पहले अपने पति के साथ फरीदाबाद आई थी. ममता का पति ट्रक चलाते थे और खुद ममता एक कंपनी में काम करती थी. इससे परिवार का गुजारा बमुश्किल ही चल पा रहा था. इसी बीच ममता पर मानों दुखों को पहाड़ टूट पड़ा.

ममता देवी ई रिक्शा चला रही हैं.

दरअसल ममता के पति के पैर की नस ब्लॉक हो गई जिससे वे दिव्यांग हो गए. इसके बाद से उसके पति को घर वापस आना पड़ा. इसी बीच देश में कोरोना महामारी ने भी पैर पसार लिए और ममता जिस कंपनी में काम करती थी उसे वहां से निकाल दिया गया. करीब 7 महीने पहले ही ममता के पति की मौत कोरोना से हो गई ऐसे में उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह खड़ी हो गई कि वह अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करें.

सामने खड़ी परेशानियों से ममता ने मुकाबला करना मुनासिफ समझा. उन्होंने अपने पति के द्वारा खरीदी गई ई-रिक्शा को अपनी आजीविका के लिए इस्तेमाल करने के लिए सोचा. लेकिन उनको ई रिक्शा चलाना नहीं आता था जिसके बाद ममता के एक पड़ोसी ई रिक्शा ड्राइवर ने उन्हें कुछ ही दिन में ई रिक्शा चलाना सिखा दिया. फिर क्या था ममता ई रिक्शा लेकर फरीदाबाद की सड़कों पर उतर गई.

ये भी पढ़ें : एक वीडियो ने बदल दी 2 दोस्तों की जिंदगी, घर में मोती की खेती कर कमा रहे लाखों रुपये

शुरुआत में महिला के ई रिक्शा चलाने पर दूसरे डाइवरों ने उन्हें ताना मारना शुरू कर दिया. लेकिन ममता ने हार नहीं मानी और सड़कों पर रिश्का चलाना जारी रखा. ममता का कहना है कि जिंदगी में मुसीबत ही बहुत आती है, लेकिन उन मुसीबतों से हार मानने की जगह उनका सामना करने में ही असली जिंदगी जीने का मजा है, क्योंकि मुसीबतें हमेशा नहीं रहेंगी. लेकिन अगर आप हिम्मत हारगे तो मुसीबते आपके सामने हमेशा खड़ी रहेंगी. उनका कहना है कि पति की मौत के बाद वह पूरी तरह से टूट गई थी. मानसिक और आर्थिक दोनों चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया और अपने आप को आज इस काबिल बना पाई.

Last Updated : Nov 1, 2021, 7:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.