फरीदाबाद: जिले में लगातार भगोड़ों की संख्या बढ़ रही है, जिनको पकड़ कर वापस जेल भेजने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. यही वजह है कि फरीदाबाद पुलिस के साथ-साथ क्राइम ब्रांच की टीमें भी अब भगोड़े अपराधियों को पकड़ने में जुटी हुई हैं. दरअसल, प्रदेश के डीजीपी द्वारा पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि जमानत पर बाहर आए जो अपराधी वापस जेल नहीं गए हैं, उन्हें पकड़कर वापस जेल भेजा जाए. इसी कड़ी में पुलिस और फरीदाबाद क्राइम ब्रांच की टीमें ऐसे भगोड़े अपराधियों को पकड़ने में जुटी हैं.
जानकारी के अनुसार 22 मई को फरीदाबाद क्राइम क्राइम ब्रांच को गुप्त सूचना मिली थी कि फरीदाबाद कोर्ट परिसर में कुछ संदिग्ध व्यक्ति घूम रहे हैं. इस पर क्राइम ब्रांच 65 की टीम ने कोर्ट परिसर से वीरेंद्र सिंह और पवन को गिरफ्तार किया. जब इनसे पूछताछ की गई तो क्राइम ब्रांच के भी होश उड़ गए. दोनों आरोपियों ने क्राइम ब्रांच को बताया कि वह फर्जी जमानती का काम करता है.
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अभी तक प्रदेश की विभिन्न अदालतों में अनगिनत आरोपियों की जमानत करवा चुका है. जिसमें हत्या, लूट, चोरी, दुष्कर्म और डकैती जैसे संगीन मामले भी शामिल हैं. फरीदाबाद क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपियों ने यह भी बताया कि वह फर्जी आधार कार्ड और फर्जी जमीन की रजिस्ट्री के माध्यम से आरोपियों की जमानत करवाता था. इनमें दर्जन भर से ज्यादा जमानती शामिल हैं. फरीदाबाद में फर्जी जमानती के कारण ही जिले में भगोड़ों की संख्या बढ़ रही है.
इस समय जिले में जमानत पर बाहर आने के बाद फरीदाबाद में भगोड़ा अपराधियों की संख्या 4 हजार से अधिक है. जिन्हें पकड़कर दोबारा अदालत में पेश करने के लिए पुलिस को काफी पसीना बहाना पड़ रहा है. क्योंकि जब आरोपी जमानत पर बाहर आता है और वापस कोर्ट में सरेंडर नहीं करता है तो पुलिस जब जमानती के दिए गए पते पर पहुंचती है तो वह पता फर्जी निकलता है. इसीलिए जिले में भगोड़ों की संख्या बढ़ रही है.
अब क्राइम ब्रांच की टीम कोर्ट परिसर में सिविल ड्रेस में पहरा दे रही है और ऐसे फर्जी जमानती पर नजर रख रही है. डीसीपी क्राइम मुकेश मल्होत्रा ने बताया कि किसी भी मुकदमे में नामजद आरोपी को अदालत से जमानत पर छोड़ा जाता है तो उसके किसी जानकार को जमानती बनाया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर आरोपित मुकदमें के दौरान कोर्ट में पेश ना हो तो जमानती के माध्यम से आरोपी तक पहुंचा जा सके.
जमानती को जमानत के तौर पर अपने वाहन या प्रॉपर्टी के कागज भी अदालत में जमानत के तौर पर रखने पड़ते हैं. ऐसे में अगर आरोपित और जमानती तारीख पर अदालत में पेश नहीं होते हैं तो जरूरत पड़ने पर पुलिस जमानती को पकड़ सकती है. लेकिन जमानती और जमानत के कागज ही फर्जी होने पर आरोपियों को किसी प्रकार का डर नहीं रहता. वह जानबूझकर अदालत में पेश नहीं होता है. यही वजह है कि कोर्ट में मुकदमे भी लंबे चलते हैं. उन्हें दोबारा पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इससे पुलिस का काफी समय और संसाधन व्यर्थ होता है.