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चरखी दादरी में बाजरा उठान नहीं होने से सरकार को लगा लाखों का चूना

चरखी दादरी में बाजरा का उठान नहीं होने से सरकार को लाखों का चूना लगा है. लॉकडाउन का बहाना बनाकर अब बाजरा कौड़ियों के भाव बेचना पड़ रहा है. वहीं कुछ बाजरा बारिश से खराब भी हो चुका है.

millet crop damage
millet crop damage
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Published : Jun 28, 2020, 4:24 PM IST

चरखी दादरी: बाजरा खरीद के 6 माह बाद भी खरीद एजेसियों की लापरवाही से उठान नहीं हो पाया. हालात ऐसे बन गए कि बारिश से बाजरा जहरीला बन गया और इसके लोथड़े बन गए हैं. ऐसे में खरीद एजेंसियों द्वारा सरकारी खरीद से खरीदा गया बाजरा अब लॉकडाउन का बहाना बनाते हुए कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है. जिसके कारण सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है और अधिकारी लॉकडाउन में लेबर नहीं मिलने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

बता दें कि, सरकार द्वारा नवंबर माह में सरकारी खरीद 2000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से हजारों क्विंटल बाजरे की खरीद की थी. खरीद एजेंसियों द्वारा बाजरे की बोरियों को मंडी में ही शैड नीचे लगा दिया. हालांकि सरकार ने रबी फसलों की खरीद का सीजन देखते हुए संबंधित एजेंसियों को उठान के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके खरीद एजेंसियों द्वारा बाजरे का उठान नहीं करवाया गया. जबकि बाजरा खरीद के तीन माह तक सुरक्षित माना जाता है. फिर भी समय सीमा निकलने के बाद भी बाजरा का उठान नहीं किया गया. अब बाजरा शैड के नीचे ही खराब होकर जहरीला बन चुका है.

कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा सरकारी बाजरा

खराब हुए लाखों के बाजरे को लॉकडाउन का बहाना बनाते हुए खरीद एजेंसियों द्वारा कौड़ियों के भाव मुर्गा फार्म संचालकों को बेचा जा रहा है. मुर्गा फार्म संचालक विजय कुमार ने बताया कि कर्मचारियों की लापरवाही से बाजरा खाने लायक नहीं है. यहीं कारण है कि वह सरकारी रेट से एक हजार रुपए सस्ता बाजरा खरीद रहे हैं. जहरीला बाजरा इंसान नहीं खा सकते, इसलिए मुर्गा फार्म के लिए ले जा रहे हैं. इस मामले में उच्च स्तर पर जांच हो तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है.

प्रति क्विंटल एक हजार का सरकारी नुकसान

बाजरा का उठान नहीं होने से खराब हुआ बाजरा अब एक हजार रुपए प्रति क्विंटल सस्ता बेचा जा रहा है. खरीद एजेंसियों द्वारा लॉकडाउन में लेबर नहीं मिलने का कारण बताया गया है. बावजूद इसके कोरोना से पूर्व ही सरकार द्वारा उठान के निर्देश जारी किए थे. खरीद एजेंसी के मैनेजर राजेश ग्रेवाल ने बताया कि सरकार द्वारा जिस समय निर्देश जारी किए, उसके कुछ समय बाद ही कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया. ऐसे में लेबर नहीं मिलने से बाजरा का उठान नहीं हुआ. खरीद के बाद शैड के नीचे बाजरा लगाया गया था. तीन माह के बाद ये जहरीला बन जाता है. ऐसे में इसे कम रेट पर मुर्गा फार्म संचालकों को बेच रहे हैं.

ये भी पढ़ें- 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना: 84 हजार हेक्टेयर में किसानों ने धान छोड़ अपनाई दूसरी फसलें

चरखी दादरी: बाजरा खरीद के 6 माह बाद भी खरीद एजेसियों की लापरवाही से उठान नहीं हो पाया. हालात ऐसे बन गए कि बारिश से बाजरा जहरीला बन गया और इसके लोथड़े बन गए हैं. ऐसे में खरीद एजेंसियों द्वारा सरकारी खरीद से खरीदा गया बाजरा अब लॉकडाउन का बहाना बनाते हुए कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है. जिसके कारण सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है और अधिकारी लॉकडाउन में लेबर नहीं मिलने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

बता दें कि, सरकार द्वारा नवंबर माह में सरकारी खरीद 2000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से हजारों क्विंटल बाजरे की खरीद की थी. खरीद एजेंसियों द्वारा बाजरे की बोरियों को मंडी में ही शैड नीचे लगा दिया. हालांकि सरकार ने रबी फसलों की खरीद का सीजन देखते हुए संबंधित एजेंसियों को उठान के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके खरीद एजेंसियों द्वारा बाजरे का उठान नहीं करवाया गया. जबकि बाजरा खरीद के तीन माह तक सुरक्षित माना जाता है. फिर भी समय सीमा निकलने के बाद भी बाजरा का उठान नहीं किया गया. अब बाजरा शैड के नीचे ही खराब होकर जहरीला बन चुका है.

कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा सरकारी बाजरा

खराब हुए लाखों के बाजरे को लॉकडाउन का बहाना बनाते हुए खरीद एजेंसियों द्वारा कौड़ियों के भाव मुर्गा फार्म संचालकों को बेचा जा रहा है. मुर्गा फार्म संचालक विजय कुमार ने बताया कि कर्मचारियों की लापरवाही से बाजरा खाने लायक नहीं है. यहीं कारण है कि वह सरकारी रेट से एक हजार रुपए सस्ता बाजरा खरीद रहे हैं. जहरीला बाजरा इंसान नहीं खा सकते, इसलिए मुर्गा फार्म के लिए ले जा रहे हैं. इस मामले में उच्च स्तर पर जांच हो तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है.

प्रति क्विंटल एक हजार का सरकारी नुकसान

बाजरा का उठान नहीं होने से खराब हुआ बाजरा अब एक हजार रुपए प्रति क्विंटल सस्ता बेचा जा रहा है. खरीद एजेंसियों द्वारा लॉकडाउन में लेबर नहीं मिलने का कारण बताया गया है. बावजूद इसके कोरोना से पूर्व ही सरकार द्वारा उठान के निर्देश जारी किए थे. खरीद एजेंसी के मैनेजर राजेश ग्रेवाल ने बताया कि सरकार द्वारा जिस समय निर्देश जारी किए, उसके कुछ समय बाद ही कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया. ऐसे में लेबर नहीं मिलने से बाजरा का उठान नहीं हुआ. खरीद के बाद शैड के नीचे बाजरा लगाया गया था. तीन माह के बाद ये जहरीला बन जाता है. ऐसे में इसे कम रेट पर मुर्गा फार्म संचालकों को बेच रहे हैं.

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