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न डॉक्टर, न जांच मशीन, हरियाणा के इस जिले के सिविल अस्पताल को है इलाज की दरकार - चरखी दादरी सिविल अस्पताल में डॉक्टर की कमी

चरखी दादरी जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल खुद ही बीमार (Civil Hospital Charkhi Dadri) है. अस्पताल में डाक्टरों की कमी तो है ही, अब स्वास्थ्य की सुविधाएं भी नदारद हो रही हैं.

Civil Hospital Charkhi Dadri
डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों की लंबी लाइने लगती हैं.
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Published : Apr 21, 2022, 12:09 PM IST

Updated : Apr 22, 2022, 7:58 AM IST

चरखी दादरी: जिले का सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल इन दिनों मानो खुद बीमार चल रहा है. आलम यह है कि यहां डॉक्टरों के आधे से भी ज्यादा पद खाली हैं. ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों को किन-किन परेशानियों से गुजरना पड़ता है इस बात का अंदाजा मरीजों की खासी भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है. और तो और अल्ट्रासाउंड मशीन कंडम होने के बाद से बंद कमरे में धूल फांक रही हैं. इसकी वजह से मरीजों को टेस्ट के लिए निजी डायग्नॉस्टिक सेंटर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. गर्भवती महिलाओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में सहकारिता मंत्री रहते हुए सतपाल सांगवान द्वारा दक्षिण हरियाणा का एकमात्र 100 बेड का आधुनिक अस्पताल बनवाया गया था. अब जिले के इकलौते सिविल अस्पताल में ना डॉक्टर, ना फार्मासिस्ट और ना ही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं. खाली पदों के चलते यहां एक खिड़की पर ही दवा वितरित की जाती हैं. इस बारे में स्थानीय लोग काफी समय से सरकार व स्वास्थ्य विभाग से यहां पर्याप्त संख्या में चिकित्सकों, सहायक कर्मियों की नियुक्तियों की मांग करते रहे हैं लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है.

न डॉक्टर, न जांच मशीन, हरियाणा के इस जिले के सिविल अस्पताल को है इलाज की दरकार

डॉक्टरों के 26 पद खाली- सामान्य सरकारी अस्पताल के अलावा जिलेभर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वीकृत चिकित्सकों की 93 पोस्ट हैं, जबकि 26 चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं. कई पीएचसी व सीएचसी ऐसे हैं जहां कोई चिकित्सक है ही नहीं. वहीं फार्मासिस्ट पद पर भी कोई कार्यरत ही नहीं है. प्रशिक्षुओं से कार्य चलाने का प्रयास किया जा रहा है.

हजारों में रोजाना आते हैं मरीज: सरकारी अस्पताल में रोजाना हजारों की तादाद में मरीज ओपीडी में दवाइंया लेेने पहुंचते हैं. उन्हें एक ही खिड़की पर दवा मिलने से अस्पताल में दूर तक कतार देखी जा सकती है. पिछले कई सालों से सिविल अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली होने से अल्ट्रासाउंड मशीन कंडम हो गई है. जो बंद कमरे में धूल फांक रही है. ऐसे में सिविल अस्पताल के मरीजों को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ निजी अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. सिविल अस्पताल से हर रोज गर्भवती महिलाओं को बाजार से अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए भेजा जाता है.

डिप्टी सीएमओ डा. नरेश कुमार ने बताया कि जिला मुख्यालय पर सिविल अस्पताल में चिकित्सकों के साथ-साथ सहकर्मियों के काफी पद रिक्त हैं. रिक्त पदों के कारण मरीजों की भीड़ लगी रहती है. चिकित्सकों को एक्स्ट्रा टाइम भी कार्य करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होने के बारे में मुख्यालय को भी अवगत करवाया गया है. मरीजों को दिक्कत ना हों, इसके लिए व्यवस्था की जा रही है.

पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन हुड्डा सरकार में दक्षिण हरियाणा का एकमात्र 100 बेड का आधुनिक अस्पताल बनवाया था और उस समय सभी सुविधाएं उपलब्ध थी. लेकिन इस समय यहां के हालात देखकर काफी दुख होता है. सीएम मनोहर लाल व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मिलकर और अनेकों बार पत्र के जरिए भी समाधान की मांग जा चुकी है.
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चरखी दादरी: जिले का सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल इन दिनों मानो खुद बीमार चल रहा है. आलम यह है कि यहां डॉक्टरों के आधे से भी ज्यादा पद खाली हैं. ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों को किन-किन परेशानियों से गुजरना पड़ता है इस बात का अंदाजा मरीजों की खासी भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है. और तो और अल्ट्रासाउंड मशीन कंडम होने के बाद से बंद कमरे में धूल फांक रही हैं. इसकी वजह से मरीजों को टेस्ट के लिए निजी डायग्नॉस्टिक सेंटर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. गर्भवती महिलाओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में सहकारिता मंत्री रहते हुए सतपाल सांगवान द्वारा दक्षिण हरियाणा का एकमात्र 100 बेड का आधुनिक अस्पताल बनवाया गया था. अब जिले के इकलौते सिविल अस्पताल में ना डॉक्टर, ना फार्मासिस्ट और ना ही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं. खाली पदों के चलते यहां एक खिड़की पर ही दवा वितरित की जाती हैं. इस बारे में स्थानीय लोग काफी समय से सरकार व स्वास्थ्य विभाग से यहां पर्याप्त संख्या में चिकित्सकों, सहायक कर्मियों की नियुक्तियों की मांग करते रहे हैं लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है.

न डॉक्टर, न जांच मशीन, हरियाणा के इस जिले के सिविल अस्पताल को है इलाज की दरकार

डॉक्टरों के 26 पद खाली- सामान्य सरकारी अस्पताल के अलावा जिलेभर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वीकृत चिकित्सकों की 93 पोस्ट हैं, जबकि 26 चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं. कई पीएचसी व सीएचसी ऐसे हैं जहां कोई चिकित्सक है ही नहीं. वहीं फार्मासिस्ट पद पर भी कोई कार्यरत ही नहीं है. प्रशिक्षुओं से कार्य चलाने का प्रयास किया जा रहा है.

हजारों में रोजाना आते हैं मरीज: सरकारी अस्पताल में रोजाना हजारों की तादाद में मरीज ओपीडी में दवाइंया लेेने पहुंचते हैं. उन्हें एक ही खिड़की पर दवा मिलने से अस्पताल में दूर तक कतार देखी जा सकती है. पिछले कई सालों से सिविल अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली होने से अल्ट्रासाउंड मशीन कंडम हो गई है. जो बंद कमरे में धूल फांक रही है. ऐसे में सिविल अस्पताल के मरीजों को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ निजी अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. सिविल अस्पताल से हर रोज गर्भवती महिलाओं को बाजार से अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए भेजा जाता है.

डिप्टी सीएमओ डा. नरेश कुमार ने बताया कि जिला मुख्यालय पर सिविल अस्पताल में चिकित्सकों के साथ-साथ सहकर्मियों के काफी पद रिक्त हैं. रिक्त पदों के कारण मरीजों की भीड़ लगी रहती है. चिकित्सकों को एक्स्ट्रा टाइम भी कार्य करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होने के बारे में मुख्यालय को भी अवगत करवाया गया है. मरीजों को दिक्कत ना हों, इसके लिए व्यवस्था की जा रही है.

पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन हुड्डा सरकार में दक्षिण हरियाणा का एकमात्र 100 बेड का आधुनिक अस्पताल बनवाया था और उस समय सभी सुविधाएं उपलब्ध थी. लेकिन इस समय यहां के हालात देखकर काफी दुख होता है. सीएम मनोहर लाल व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मिलकर और अनेकों बार पत्र के जरिए भी समाधान की मांग जा चुकी है.
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Last Updated : Apr 22, 2022, 7:58 AM IST
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