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'खुशियों का अनाथ पिंडक' से होगी जरूरतमंदों की मदद और इलाज! - "खुशियों की दीवार अभियान

गरीबों की मदद करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता संजय रामफल एक अनोखी पहल की शुरुआत की है.

social worker help to needed person by giving them piggy bank
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Published : Aug 23, 2019, 7:49 PM IST

चरखी दादरी: ‘आओ हम देखें किसी रोज फरिश्ता बनकर, रोती आंखों में हंसी लाएं फरिश्ता बनकर’. ये लाइनें चरखी दादरी के सामाजिक कार्यकर्ता संजय रामफल की सोच पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. संजय ने अपनी एक अलग सोच के जरिए जरूरतमंद मरीजों की मदद का नायाब तरीका खोज निकाला है.

ये भी पढ़ें- चिदंबरम के बचाव में उतरी सैलजा, कहा- नहीं है कोई अपराधी, जिन्हें इस तरह से पकड़ा जाए

संजय रामफल गरीबों के लिए सहयोग राशि जमा करने के लिए लोगों को गुल्लक भेंट कर रहे हैं. एकत्रित होने वाली राशि से वो जरूरतमंदों की मदद करगें. इस गुल्लक का नाम उन्होंने 'खुशियों का अनाथ पिंडक' रखा है. संजय रामफल बताते हैं कि हम अपने साथियों के साथ आए दिन सुबह में जिला अस्पताल के मरीजों का हाल जानने पहुंचते हैं. वहां पर हम तमाम जरूरतमंद गरीब मरीजों की मदद भी करते हैं.

‘खुशियों का अनाथ पिंडक’ से होगी जरूरतों की मदद, देखें वीडियो

मरीजों को चाय बिस्किट या अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराना हमारी दिनचर्या में शुमार हो चुका है, लेकिन अकेले यह कार्य लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता. इसीलिए मैंने अनाथ पिंडक नाम से जरूरतमंदों की मदद के मकसद से मुहिम शुरू की है. बता दें कि संजय रामफल 'खुशियों की दीवार' के माध्यम से जरूरतमंदों को पुराने कपड़े, किताबें सहित अन्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं.

चरखी दादरी: ‘आओ हम देखें किसी रोज फरिश्ता बनकर, रोती आंखों में हंसी लाएं फरिश्ता बनकर’. ये लाइनें चरखी दादरी के सामाजिक कार्यकर्ता संजय रामफल की सोच पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. संजय ने अपनी एक अलग सोच के जरिए जरूरतमंद मरीजों की मदद का नायाब तरीका खोज निकाला है.

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संजय रामफल गरीबों के लिए सहयोग राशि जमा करने के लिए लोगों को गुल्लक भेंट कर रहे हैं. एकत्रित होने वाली राशि से वो जरूरतमंदों की मदद करगें. इस गुल्लक का नाम उन्होंने 'खुशियों का अनाथ पिंडक' रखा है. संजय रामफल बताते हैं कि हम अपने साथियों के साथ आए दिन सुबह में जिला अस्पताल के मरीजों का हाल जानने पहुंचते हैं. वहां पर हम तमाम जरूरतमंद गरीब मरीजों की मदद भी करते हैं.

‘खुशियों का अनाथ पिंडक’ से होगी जरूरतों की मदद, देखें वीडियो

मरीजों को चाय बिस्किट या अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराना हमारी दिनचर्या में शुमार हो चुका है, लेकिन अकेले यह कार्य लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता. इसीलिए मैंने अनाथ पिंडक नाम से जरूरतमंदों की मदद के मकसद से मुहिम शुरू की है. बता दें कि संजय रामफल 'खुशियों की दीवार' के माध्यम से जरूरतमंदों को पुराने कपड़े, किताबें सहित अन्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं.

Intro:जरूरतमंदों की मदद करने की पहल:-
‘खुशियों का अनाथ पिंडक’ से होगी जरूरतों की मदद, गरीबों का इलाज
: जरूरतमंदों के लिए मददगार साबित होगा खुशियों का अनाथ पिंडक, खुशियों की दीवार के बाद नई पहल की शुरूआत
प्रदीप साहू
चरखी दादरी : ‘आओ हम देखें किसी रोज फरिश्ता बनकर, रोती आंखों में हंसी लाएं फरिश्ता बनकर’ जी हां, ये लाइनें चरखी दादरी के सामाजिक कार्यकत्र्ता संजय रामफल की सोच पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। संजय ने अपनी एक अलग सोच के जरिए जरूरतमंद मरीजों की मदद का नायाब तरीका खोज निकाला है। पैसे जुटाने के लिए गुल्लक के माध्यम से ‘खुशियों का अनाथ पिंडक’ नाम देकर सामर्थ लोगों से अपील कर रहे हैं। एकत्रित होने वाली राशि जरूरतमंदों के लिए मददगार साबित होगी। Body:चरखी दादरी में खुशियों की दीवार के माध्यम से जरूरतमंदों को पुराने कपड़े, किताबें सहित अन्य सामग्री उपलब्ध करवाने वाले सामाजिक कार्यकत्र्ता संजय रामफल समाज के लिए कोई न कोई पहल करते रहे हैं। इस बार संजय ने गरीबों के इलाज के लिए विशेष मदद का अभियान शुरू किया है। वह हर सामथ्र्यवानों से इसमें सहयोग मांग रहे हैं। इसके लिए वह सहयोग राशि जमा करने के लिए उन्हें गुल्लक भेंट कर रहे हैं। उसका नाम उन्होंने खुशियों का अनाथ पिंडक रखा है। हालांकि संजय रामफल प्रतिदिन अपने साथियों के साथ जिला अस्पताल जाते हैं और जरूरतमंद रोगियों को फल-नाश्ता के साथ दवा वगैरह की मदद करते हैं। अनाथ पिंडक अभियान को हर कोई सराह रहा है। यह उनकी संवेदना और भावनाओं का कद्र करते हुए इस अभियान में भाग ले रहे है। उनका यह काम प्रेरक है।
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गुल्लक में एकत्रित पैसे जब गरीबों को दी तो उनकी आंखें नम हो गई। आशू व सानिया ने बताया कि अच्छी पहल है। गुल्लक से मिले पैसों से वे अपना इलाज करवाएंगे।
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गुल्लक के साथ दे रहे चि_ी, मांग रहे सहयोग
खुशियों के अनाथ पिंडक के साथ संजय अपनी चि_ी भी दे रहे हैं। उसमें वह पूरा किस्सा बताए हैं कि वह कैसे गरीब रोगियों के दर्द को समझे। फिर कैसे उनकी मदद के लिए वह आगे आएं। ये गुलक आपकी है बस इसमे जो रुपया जुड़े अपनी सामथ्र्य से वो किसी मरीज जो लाचार है उसको दवाई व अन्य मदद कर सकते हैं। इससे एक दूसरे की सहायता करने से आपसी प्रेम में बढ़ोतरी होगी और आपसी भाईचारा बढेगा।Conclusion:बाक्स:-
संजय रामफल बताते हैं कि हम अपने साथियों के साथ आए दिन सुबह में जिला अस्पताल के मरीजों का हाल जानने पहुंचते हैं। वहां पर हम तमाम जरूरतमंद गरीब मरीजों की मदद भी करते हैं। मरीजों को चाय बिस्किट या अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराना हमारी दिनचर्या में शुमार हो चुका है। लेकिन अकेले यह कार्य लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता। इसीलिए मैंने अनाथ पिंडक नाम से जरूरतमंदों की मदद के मकसद से मुहिम शुरू की है।
विजवल:- 1
खुशियों की दीवार, रखे गएगुल्लक, डीसी कार्यालय में ‘खुशियों का अनाथ पिंडक’ देते, लोगों से पैसा जुटाते, चि_ी देते व गरीबों के बीच गुल्लक देते और गुल्लक तोडक़र पैसे निकालते हुए कट शाटस
बाईट:- 2
सानिया, झुग्गी निवासी
बाईट:- 3
आशू, झुग्गी निवासी
बाईट:- 4
नीरज, नागरिक
बाईट:- 5
संजय रामफल, सामाजिक कार्यकत्र्ता
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