चरखी दादरी: ‘आओ हम देखें किसी रोज फरिश्ता बनकर, रोती आंखों में हंसी लाएं फरिश्ता बनकर’. ये लाइनें चरखी दादरी के सामाजिक कार्यकर्ता संजय रामफल की सोच पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. संजय ने अपनी एक अलग सोच के जरिए जरूरतमंद मरीजों की मदद का नायाब तरीका खोज निकाला है.
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संजय रामफल गरीबों के लिए सहयोग राशि जमा करने के लिए लोगों को गुल्लक भेंट कर रहे हैं. एकत्रित होने वाली राशि से वो जरूरतमंदों की मदद करगें. इस गुल्लक का नाम उन्होंने 'खुशियों का अनाथ पिंडक' रखा है. संजय रामफल बताते हैं कि हम अपने साथियों के साथ आए दिन सुबह में जिला अस्पताल के मरीजों का हाल जानने पहुंचते हैं. वहां पर हम तमाम जरूरतमंद गरीब मरीजों की मदद भी करते हैं.
मरीजों को चाय बिस्किट या अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराना हमारी दिनचर्या में शुमार हो चुका है, लेकिन अकेले यह कार्य लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता. इसीलिए मैंने अनाथ पिंडक नाम से जरूरतमंदों की मदद के मकसद से मुहिम शुरू की है. बता दें कि संजय रामफल 'खुशियों की दीवार' के माध्यम से जरूरतमंदों को पुराने कपड़े, किताबें सहित अन्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं.