चरखी दादरीः राजस्थान के नागौर जिले से दर्जनों चरवाहे अपनी हजारों भेड़-बकरियों के साथ-साथ स्वयं के राशन की तलाश में भटक रहे हैं. लेकिन लगता है लॉकडाउन ने इनके मुंह का निवाला भी छीन लिया है. भूखे प्यासे ये चरवाहे जब दादरी गांव में पहुंचे तो ग्रामीणों ने इन्हें अंदर ही नहीं जाने दिया. इसके बाद ये थके हारे चरवाहों ने खेतों में आसरा ढूंढना चाहा तो किसानों ने वहां से भी उन्हें निकाल दिया.
ग्रामीण दे रहे हैं ठीकरी पहरा
दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण पर रोक लगाने के लिए सरकार ने पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया हुआ है. ऐसे में एक ओर जहां शहरों में पुलिस नाके लगाकर लोगों से लॉकडाउन का पालन करवा रही है तो वहीं गांव में लोग ठीकरी पहरा देकर ग्रामीणों से लॉकडाउन का पालन करने की अपील कर रहे हैं. इस दौरान किसी को भी बाहर से आने की अनुमति नहीं दी जा रही और यही कारण है कि दादरी में राजस्थान से आए इन चरवाहों को गांव में नहीं घुसने दिया गया.
'जहर खाकर कर लें खुदकुशी'
राजस्थान से आए चरवाहे भंवर सिंह ने कहा कि 'साहब, गांव वाले आगे नहीं जाने देते, भगा देते हैं. वहीं खेतों में अपनी भेड़-बकरियों को चराते हैं तो किसान भगा देते हैं. हम भूखे-प्यासे अपनी दो रोटी का जुगाड़ करने निकले हैं. इससे अच्छा तो हम जहर खाकर खुदखुशी ही कर लें.' चरवाहे भंवर सिंह ने बताया कि करीब दो महीने पहले वो राजस्थान से हरियाणा आए थे. लेकिन यहां आते ही लॉकडाउन लग गया. उन्होंने बताया कि अपनी इस समस्या को अपने सांसद तक पहुंचाया था.
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पुलिस ने भेजा वापस
झोझू कलां पुलिस थाना प्रभारी अनूप सिंह ने बताया कि कुछ ग्रामीणों ने चरवाहों को एक गांव में रोक लिया था. सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और चरवाहों को लॉकडाउन के बारे में समझाया. पुलिस के मतुबाकि ग्रामीणों और चरवाहों से बात करके चरवाहों को वापिस राजस्थान जाने के लिए बोल दिया गया है.
दुष्यंत चौटाला ने की थी मदद
चरवाहों की इस परेशानी को लेकर राजस्थान के नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को ट्विट टैग करते हुए मदद करने की मांग की थी. जिसके बाद जजपा नेता विजय सांगवान ने पशुपालकों को दादरी के गांव मंदोला के खेतों में शरण दी और उनतक राशन भी पहुंचाया था, लेकिन आज इन चरवाहों के सामने फिर वहीं समस्या आन खड़ी और अब इनकी कोई सुध भी नहीं ले रहा.