चरखी दादरी: राजपूताना राइफल से रिटायर्ड नायब सूबेदार हकीकत राय (Retired Naib Subedar Hakikat Rai) के मन में आज भी एक सवाल घर बनाए बैठा है कि उन्हें सरकार की ओर से वह सम्मान क्यों नहीं मिला जिसके वह हकदार थे. जिसकी आस वह आज तक लगाए बैठे हैं. आज कबड्डी खेलकर युवा लाखों करोड़ों रुपए कमा कर सम्मान पा रहे हैं. वहीं हकीकत राय कबड्डी के नंबर वन खिलाड़ी थे. जिन्होंने सेना में सर्विस के दौरान बतौर कप्तान रहते हुए सेना की ओर से खेलते हुए कई नेशनल में खेल खेले और मेडल जीते.
हकीकत राय को आज तक मलाल है कि उनकी टीम के कुछ खिलाड़ी साथियों को अर्जुन अवार्ड व राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया, लेकिन टीम के कप्तान और नंबर वन खिलाड़ी होने के बावजूद उन्हें कोई सम्मान नहीं (Hakikat Rai did not got honour) मिला. जिसके कारण आज रिटायर्ड होने के बाद भी हकीकत राय अपने द्वारा जीते हुए मेडलों को निहारते रहते हैं और अपनी कप्तानी में जीते मेडलों को चूमते हुए, उन यादगार पलों को याद करते रहते हैं.
1980 में जिताया सिल्वर मेडल- हकीकत राय के मन में आज भी आश है कि एक दिन सरकार उन्हें सम्मानित करेगी. दादरी जिले के गांव रुदडौल निवासी हकीकत राय का जन्म 10 जून 1956 को (Hakikat Rai Charkhi Dadri) हुआ, जिन्हें बचपन से ही कुश्ती व कबड्डी खेलने का शौक था. 22 जून 1976 को हकीकत राय राजपूताना राइफल सेंटर दिल्ली में भर्ती हो गए. इस दौरान 1980 में बतौर कप्तान के रूप में सेना की टीम की अगुवाई करते हुए उन्होंने केरल में पंजाब के साथ कबड्डी का सीनियर मैच खेला जिसमें उन्होंने टीम को सिल्वर मेडल जिताने में अहम भूमिका निभाई.
बतौर कप्तान जीते कई मेडल- इसके बाद उन्होंने 1981 में कप्तान रहते हुए महाराष्ट्र के सांगली में सिविल सर्विस के साथ फुल क्वालिफाइड मैच खेला. इसके अलावा भी उन्होंने बतौर कप्तान रहते हुए सेना की टीम की अगुवाई करते हुए कई मैच खेले और मेडल जीते. जिसकी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने काफी सराहना की थी. इसके बाद हकीकत राय 1995 में सेना से रिटायर हो गए.
अभी भी सरकार से आस- इस दौरान उनके साथ खेले कई खिलाड़ियों को अर्जुन अवार्ड व राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया, पर हकीकत राय को कोई भी सम्मान नहीं मिला. हकीकत राय ने सरकार से सम्मान पाने की आश आज तक नहीं छोड़ी है. उन्हें आश है कि एक दिन सरकार उनको जरूर सम्मानित (Hakikat Rai on government) करेगी. अब देखना होगा कि सेना में रहकर मेडल जीतने वाले कप्तान को सरकार कब सम्मानित करती है और कब हकीकत राय की आश को पूरी होगी.