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मंत्री का घेराव करने गए PTI टीचर्स को पुलिस ने रोका, दादरी में विरोध प्रदर्शन - चरखी दादरी पीटीआई शिक्षक प्रदर्शन

धरना दे रहे पीटीआई टीचर्स के समर्थन में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ भी उतरा और संघ की ओर से पीटीआई टीचर्स को दोबारा नौकरी देने की मांग की गई.

pti teachers protest in charkhi dadri
मंत्री का घेराव करने गए PTI टीचर्स को पुलिस ने रोका, दादरी में विरोध प्रदर्शन
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Published : Jun 22, 2020, 3:33 PM IST

चरखी दादरी: नौकरी बहाली की मांग को लेकर धरना दे रहे पीटीआई टीचर्स ने झज्जर में मंत्री बनवारी लाल का घेराव करने के लिए कूच किया तो पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया. इस दौरान धरनास्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया. मंत्री से मिलने नहीं जाने से नाराज पीटीआई टीचर्स ने चरखी दादरी में भी रोष प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की .

धरना दे रहे पीटीआई टीचर्स के समर्थन में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ भी उतरा और संघ की ओर से पीटीआई टीचर्स को दोबारा नौकरी देने की मांग की गई. हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष संजय शास्त्री के नेतृत्व में कार्यकारिणी सदस्य धरने पर पहुंचे और सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया.

मंत्री का घेराव करने गए PTI टीचर्स को पुलिस ने रोका, दादरी में विरोध प्रदर्शन

संजय शास्त्री ने कहा कि सरकार ने पीटीआई टीचर्स की हटाकर उन्हें बेघर कर दिया है. अगर सरकार ने दोबारा उन्हें नौकरी पर नहीं रखा तो बड़ा आंदलोन किया जाएगा. जिसमें कर्मचारी संगठनों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा.

गौरतलब है कि हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1983 पीटीआई टीचर्स को नौकरी से हटा दिया गया है. जिसके बाद से प्रदेश के कई हिस्सों में पीटीआई टीचर्स धरना दे रहे हैं. दादरी के लघु सचिवालय के सामने भी पीटीआई टीचर्स धरने पर बैठे हैं. जिसका समर्थन अध्यापक संघ सहित कई सामाजिक और कर्मचारी संगठन कर चुके हैं.

क्या है पूरा मामला?

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.

ये भी पढ़िए: 'सुप्रीम कोर्ट ने PTI टीचर्स के पक्ष में फैसला सुनाया तो तुरंत होगी बहाली'

याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हरियाणा सरकार ने 1983 पीटीआई टीचर्स को बर्खास्त कर दिया.

चरखी दादरी: नौकरी बहाली की मांग को लेकर धरना दे रहे पीटीआई टीचर्स ने झज्जर में मंत्री बनवारी लाल का घेराव करने के लिए कूच किया तो पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया. इस दौरान धरनास्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया. मंत्री से मिलने नहीं जाने से नाराज पीटीआई टीचर्स ने चरखी दादरी में भी रोष प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की .

धरना दे रहे पीटीआई टीचर्स के समर्थन में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ भी उतरा और संघ की ओर से पीटीआई टीचर्स को दोबारा नौकरी देने की मांग की गई. हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष संजय शास्त्री के नेतृत्व में कार्यकारिणी सदस्य धरने पर पहुंचे और सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया.

मंत्री का घेराव करने गए PTI टीचर्स को पुलिस ने रोका, दादरी में विरोध प्रदर्शन

संजय शास्त्री ने कहा कि सरकार ने पीटीआई टीचर्स की हटाकर उन्हें बेघर कर दिया है. अगर सरकार ने दोबारा उन्हें नौकरी पर नहीं रखा तो बड़ा आंदलोन किया जाएगा. जिसमें कर्मचारी संगठनों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा.

गौरतलब है कि हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1983 पीटीआई टीचर्स को नौकरी से हटा दिया गया है. जिसके बाद से प्रदेश के कई हिस्सों में पीटीआई टीचर्स धरना दे रहे हैं. दादरी के लघु सचिवालय के सामने भी पीटीआई टीचर्स धरने पर बैठे हैं. जिसका समर्थन अध्यापक संघ सहित कई सामाजिक और कर्मचारी संगठन कर चुके हैं.

क्या है पूरा मामला?

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.

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याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हरियाणा सरकार ने 1983 पीटीआई टीचर्स को बर्खास्त कर दिया.

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