चरखी दादरी: बर्खास्त हो चुके 1983 पीटीआई शिक्षकों की चरखी दादरी लघु सचिवालय के सामने भूख हड़ताल जारी है. पिछले कई दिनों से ये शिक्षक सरकार से दोबारा नौकरी पर रखने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से बातचीत के बाद भी कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है.
अब नौकरी बहाली की मांग कर रहे पीटीआई टीचरों के समर्थन में जनस्वास्थ्य, शिक्षा, रोडवेज, बिजली समेत कई विभागों के कर्मचारी भी एक साथ हो गए हैं. बुधवार को तमाम कर्मचारी संघों ने एक साथ सड़कों पर उतरकर रोष प्रदर्शन किया और शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर का पुतला फूंका.
'आंदोलन करने की दी चेतावनी'
कर्मचारी नेता राजकुमार घिकाड़ा ने कहा कि सरकार ने पीटीआई को हटाकर घर से बेघर कर दिया. ऐसे में उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ गया है. अधिकांश टीचरों की उम्र भी 50 के पार हो गई है. अगर सरकार ने नौकरी बहाली नहीं की तो वे अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू करते हुए जनआंदोलन का रूप देंगे.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?
साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया.
इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.
इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करें.
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