चरखी दादरीः 'कांटों मे जो पलता है, शोलों मे जो खिलता है वो फूल ही गुलशन की तारीख बदलता है'. ये पंक्तियां चरखी दादरी के बलाली गांव की रहने वाली अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान विनेश फोगाट की मेहनत पर बिल्कुल फिट बैठती है. जिन्होंने रियो ओलंपिक के दौरान लगी चोट का मुकाबला किया और टोक्यो ओलंपिक की टिकट हासिल की. अपनी कड़ी मेहनत के बूते अब विनेश को देश के शीर्ष खेल रत्न राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामित किया गया है.
'टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड की आशा'
विनेश फोगाट की ये उपलब्धि चरखी दादरी ही नहीं बल्कि देशभर के खेल प्रेमियों के लिए बड़ी उपलब्धि है. विनेश की ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट का कहना है कि विनेश को राजीव गांधी खेल रत्न मिलना उनके लिए सबसे बेहद खुशी की बात है. महावीर फोगाट ने कहा कि विनेश ने चोट से उभरते हुए मैट पर मेहनत की तो वे आज इस मुकाम पर पहुंची हैं. उन्हें आशा है कि विनेश टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर देश का नाम रौशन करेंगी.
मां को है बेटी पर गर्व
विनेश की मां प्रेमलता ने कहा कि विनेश कड़ी मेहनत करते हुए रियो ओलंपिक में लगी चोट से उभरी और ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया. जिसके बदौलत ही आज विनेश को देश का शीर्ष खेल पुरस्कार मिलने जा रहा है. उनका कहना है कि बेटी की इस उपलब्धि पर उन्हें गर्व है और वो बेटी को मिलने वाले खेल पुरस्कार को लेकर काफी खुश हैं.
ये भी पढ़ेंः पहलवान विनेश फोगाट को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार देने की सिफारिश
कड़ी मेहनत का मिला फल
चरखी दादरी जिले के छोटे से गांव बलाली निवासी दंगल गर्ल गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश को 53 किलोग्राम वर्ग में ओलंपिक का टिकट मिल चुका है. फिलहाल विनेश अपनी ससुराल खरखौदा में घर पर ही प्रेक्टिस कर रही हैं. रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद कड़ी मेहनत के बूते विनेश फौगाट ने मैट पर वापसी करते हुए अनेक अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में मेडल बटोरे हैं. आज उसी मेहनत का परिणाम है कि विनेश को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामित किया गया है.