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भीम अवार्डी कबड्डी खिलाड़ी को कई वर्षों से है नौकरी का इंतजार

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Published : Aug 18, 2020, 7:45 PM IST

हरियाणा में अनदेखी का शिकार हो रहे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी एक के बाद एक सामने आ रहे हैं. कुछ दिन पहले ही रोहतक की वुशु खिलाड़ी मनरेगा में मजदूरी करती हुई मिली थी क्योंकि इस खिलाड़ी की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी तो वहीं अब देश और प्रदेश के लिए कई मेडल जीतने वाली भारतीय महिला कबड्डी खिलाड़ी भीम अवार्डी प्रियंका भी सरकार की अनदेखी की शिकार हो रही हैं.

kabaddi player priyanka charkhi dadri
kabaddi player priyanka charkhi dadri

चरखी दादरी: देश में सबसे अच्छी खेल नीति होने का दम भरने वाली हरियाणा सरकार के राज में खिलाड़ी लगातार अनदेखी का शिकार हो रहे हैं. इस कड़ी में नया नाम सामने आया है भारतीय महिला कबड्डी खिलाड़ी भीम अवार्डी प्रियंका का. प्रियंका ने देश को गोल्ड दिलाने के लिए दिन-रात मेहनत की, विश्व में नाम भी चमकाया बावजूद इसके उन्हें आज तक नौकरी नहीं दी गई.

देश के लिए जीते हैं 11 गोल्ड मेडल

चरखी दादरी के गांव आदमपुर डाढ़ी की रहने वाली कबड्डी खिलाड़ी प्रियंका ने अब तक देश के लिए 11 गोल्ड व हरियाणा के लिए 17 मेडल जीते हैं. साल 2012 में देश के लिए खेलते हुए जब उन्होंने कबड्डी विश्व कप जीता तो लगा कि इनाम के साथ अच्छी नौकरी भी मिलेगी, लेकिन उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं. प्रियंका बताती हैं कि जब कबड्डी विश्व कप हासिल किया, तो लगा कि इनाम के साथ अच्छी नौकरी भी प्राप्त हो जाएगी, लेकिन कुछ नहीं मिला.

हर बार हाथ लगी निराशा

उन्होंने बताया कि फिर साल 2014 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता, तो लगा कि शायद अब किस्मत में भी बदलाव हो जाये, क्योंकि केंद्र तथा प्रदेश में सरकार भी बदल चुकी थी, लेकिन बड़े दु:ख की बात है कि अभी भी स्थिति पहले की ही तरह है. इंटरनेशनल लेवल पर मेडलों का ढेर लगाने के कई साल बाद भी सम्मानजनक नौकरी का बेसब्री से इंतजार है.

भीम अवार्डी कबड्डी खिलाड़ी को कई वर्षों से है नौकरी का इंतजार, देखिए ये रिपोर्ट.

साथी खिलाड़ी को कोर्ट के आदेश पर मिली नौकरी

बेहद निराशा के साथ प्रियंका कहती हैं जिस खिलाड़ी को सरकार को स्वयं नौकरी देनी चाहिए थी उसे वर्षों तक संघर्ष करना पड़ रहा है. इस तरह घरवालों के साथ-साथ मेरा भी हौसला कई बार टूट जाता है. उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर कबड्डी खिलाड़ी कविता की हरियाणा स्पोर्टस डिपार्टमेंट में उप निदेशक के पद पर नियुक्ति हुई. इस पर भी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. वहीं मेरी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.

बेटी को नौकरी ना मिलने का परिवार को भी है मलाल

प्रियंका के पिता कृष्ण कुमार पूर्व फौजी हैं. बेटी को उसकी मेहनत का इनाम से मिलने से पिता भी निराश हैं. उनका कहना है कि बेटी ने देश व प्रदेश का खेलों में नाम चमकाया. सरकार ने बेटी को भीम अवार्ड भी दिया. बावजूद इसके बेटी को सरकारी नौकरी नहीं मिली तो बहुत पीड़ा होती है. अब भी बेटी को सरकारी नौकरी का इंतजार है, लेकिन हम फिर भी उसकी हौसलाफजाई करते रहते हैं कि निराश ना हो और खेल पर ध्यान दें.

प्रियंका की ओर कब ध्यान देगी सरकार?

सरकार ने प्रियंका को भीम अवार्ड दिया है, लेकिन नौकरी को लेकर पिछले 6 साल से हमेशा आश्वासन ही मिला है. एक फौजी की बेटी और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रियंका ने देश को कई बार गौरव के पल दिए, लेकिन अपने ही प्रदेश में वे नौकरी पाने के लिए आज तक भटक रही हैं. अब देखना होगा कि सबसे बेहतर खेल नीति होने का दम भरने वाली हरियाणा सरकार इस बेटी की ओर कब ध्यान देती है.

ये भी पढ़ें- पहलवान विनेश फोगाट को राजीव गांधी खेल रत्न के लिए किया नामांकित

चरखी दादरी: देश में सबसे अच्छी खेल नीति होने का दम भरने वाली हरियाणा सरकार के राज में खिलाड़ी लगातार अनदेखी का शिकार हो रहे हैं. इस कड़ी में नया नाम सामने आया है भारतीय महिला कबड्डी खिलाड़ी भीम अवार्डी प्रियंका का. प्रियंका ने देश को गोल्ड दिलाने के लिए दिन-रात मेहनत की, विश्व में नाम भी चमकाया बावजूद इसके उन्हें आज तक नौकरी नहीं दी गई.

देश के लिए जीते हैं 11 गोल्ड मेडल

चरखी दादरी के गांव आदमपुर डाढ़ी की रहने वाली कबड्डी खिलाड़ी प्रियंका ने अब तक देश के लिए 11 गोल्ड व हरियाणा के लिए 17 मेडल जीते हैं. साल 2012 में देश के लिए खेलते हुए जब उन्होंने कबड्डी विश्व कप जीता तो लगा कि इनाम के साथ अच्छी नौकरी भी मिलेगी, लेकिन उन्हें किसी ने पूछा तक नहीं. प्रियंका बताती हैं कि जब कबड्डी विश्व कप हासिल किया, तो लगा कि इनाम के साथ अच्छी नौकरी भी प्राप्त हो जाएगी, लेकिन कुछ नहीं मिला.

हर बार हाथ लगी निराशा

उन्होंने बताया कि फिर साल 2014 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता, तो लगा कि शायद अब किस्मत में भी बदलाव हो जाये, क्योंकि केंद्र तथा प्रदेश में सरकार भी बदल चुकी थी, लेकिन बड़े दु:ख की बात है कि अभी भी स्थिति पहले की ही तरह है. इंटरनेशनल लेवल पर मेडलों का ढेर लगाने के कई साल बाद भी सम्मानजनक नौकरी का बेसब्री से इंतजार है.

भीम अवार्डी कबड्डी खिलाड़ी को कई वर्षों से है नौकरी का इंतजार, देखिए ये रिपोर्ट.

साथी खिलाड़ी को कोर्ट के आदेश पर मिली नौकरी

बेहद निराशा के साथ प्रियंका कहती हैं जिस खिलाड़ी को सरकार को स्वयं नौकरी देनी चाहिए थी उसे वर्षों तक संघर्ष करना पड़ रहा है. इस तरह घरवालों के साथ-साथ मेरा भी हौसला कई बार टूट जाता है. उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर कबड्डी खिलाड़ी कविता की हरियाणा स्पोर्टस डिपार्टमेंट में उप निदेशक के पद पर नियुक्ति हुई. इस पर भी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. वहीं मेरी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.

बेटी को नौकरी ना मिलने का परिवार को भी है मलाल

प्रियंका के पिता कृष्ण कुमार पूर्व फौजी हैं. बेटी को उसकी मेहनत का इनाम से मिलने से पिता भी निराश हैं. उनका कहना है कि बेटी ने देश व प्रदेश का खेलों में नाम चमकाया. सरकार ने बेटी को भीम अवार्ड भी दिया. बावजूद इसके बेटी को सरकारी नौकरी नहीं मिली तो बहुत पीड़ा होती है. अब भी बेटी को सरकारी नौकरी का इंतजार है, लेकिन हम फिर भी उसकी हौसलाफजाई करते रहते हैं कि निराश ना हो और खेल पर ध्यान दें.

प्रियंका की ओर कब ध्यान देगी सरकार?

सरकार ने प्रियंका को भीम अवार्ड दिया है, लेकिन नौकरी को लेकर पिछले 6 साल से हमेशा आश्वासन ही मिला है. एक फौजी की बेटी और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रियंका ने देश को कई बार गौरव के पल दिए, लेकिन अपने ही प्रदेश में वे नौकरी पाने के लिए आज तक भटक रही हैं. अब देखना होगा कि सबसे बेहतर खेल नीति होने का दम भरने वाली हरियाणा सरकार इस बेटी की ओर कब ध्यान देती है.

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