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चंडीगढ़ का डॉल म्यूजियम: फिलीपींस और नॉर्वे की गुड़ियां की है खास कहानी - चंडीगढ़ डॉल म्यूजियम में 29 देशों की डॉल

हर साल जून के दूसरे शनिवार को वर्ल्ड डॉल डे मनाया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ब्यूटीफुल सिटी के नाम से मशहूर चंडीगढ़ में गुड़ियों का संसार बसता है. यहां दुनिया के 29 देशों के 300 से अधिक डॉल्स हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यहा मौजूद हर डॉल की अपनी अलग और खास कहानी है. (International Doll Museum in Chandigarh)

International Doll Museum in Chandigarh
चंडीगढ़ का डॉल म्यूजियम
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Published : Jun 8, 2023, 1:46 PM IST

Updated : Jun 8, 2023, 2:19 PM IST

चंडीगढ़ में इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम

चंडीगढ़: जून महीने के हर दूसरे शनिवार को गुड़िया प्रेमियों या यूं कह सकते हैं कि डॉल का शौक रखने वालों के लिए खास दिन होता है. हर साल जून के दूसरे शनिवार को वर्ल्ड डॉल डे मनाया जाता है. यह दिन शांति और खुशी का एक सार्वभौमिक संदेश देता है. वहीं, ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में टूरिस्ट के लिए काफी जगहें बनाई गयी है जिसमें लेक, गार्डन, पार्क आदि हैं. वहीं, बच्चों के लिए चंडीगढ़ डॉल म्यूजियम बना हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है.

1985 में इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम की स्थापना: चंडीगढ़ इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम साल 1985 में रोटरी क्लब चंडीगढ़ के सहयोग स्थापित हुआ था. म्यूजियम में सबसे पहली डॉल जर्मनी से चंडीगढ़ लाई गई थी. मौजूदा समय में यहां 300 से ज्यादा डॉल्स हैं. म्यूजियम को स्थापित करने का उद्देश्य मनोरंजन का एक साधन शहरवासियों को मुहैया कराना था.

International Doll Museum in Chandigarh
1985 में इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम की स्थापना

इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम में 300 से अधिक गुड़िया: चंडीगढ़ सेक्टर-23 स्थित डॉल म्यूजियम में देश के अलग-अलग राज्यों की भी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. सेक्टर-23 के बाल भवन के अंदर बना इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम में भारत के साथ विदेशी संस्कृति और स्थानीय पहनावा से सजी 300 से ज्यादा डॉल यहां रखी गयी हैं. इसके साथ ही म्यूजियम में विदेश के लोगों के पहनावे के साथ रंग-रूप दर्शाती हुई डॉल रखी गयी हैं. म्यूजियम के अंदर नॉर्वे, फ्रांस, चीन, थइलैंड, फिलीपींस, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, रशिया, कोरिया सहित विभिन्न देशों की डॉल्स को डिस्प्ले किया गया है. म्यूजियम में सुबह 11 बजे से शाम साढ़े चार बजे तक खुला रहता है.

International Doll Museum in Chandigarh
चंडीगढ़ इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम में 300 से अधिक गुड़िया

पहले यह सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के अंदर इस म्यूजियम का देखरेख का जिम्मा सौंपा गया था. लेकिन 2009 से यह डायरेक्टर ऑफ म्यूजियम द्वारा देखरेख की जा रही है. चंडीगढ़ सेक्टर-23 में ही डॉल म्यूजियम को बनाने का फैसला लिया गया था. इस डॉल म्यूजियम के पास ही बाल भवन बनाया गया है, जहां पर बच्चों से जुड़े कार्यक्रम और प्रस्तुतियां दी जाती हैं.

चंडीगढ़ डॉल म्यूजियम में 29 देशों की डॉल: चंडीगढ़ डॉल म्यूजियम में 29 देशों की डॉल यानी गुड़िया को भी जगह दी गई है. सबसे खास बात यह है कि यहां मौजूद हर एक डॉल की अपनी एक कहानी है. और यह कहानी वाकई में बहुत ही खास है.

International Doll Museum in Chandigarh
डॉल म्यूजियम में देश के अलग-अलग राज्यों की संस्कृति की झलक.

डॉल ऑफ नॉर्वे की है विशेष कहानी: नॉर्वे के एक दंपति जिनकी अपनी एक कोई संतान नहीं थी, उनके द्वारा सालों तक एक गुड़िया को बच्चे की तरह पाला गया. जैसे ही वे बुजुर्ग हुए तो उन्होंने अपनी डॉल म्यूजियम में रखवाने का फैसला किया. चंडीगढ़ में जितनी भी डॉल विदेशों से आई हुई हैं वे सभी एंबेसी के जरिए यहां लाई गई हैं. ऐसे ही डॉल ऑफ नॉर्वे को यहां लाया गया. पिछले 40 सालों से यह डॉल यहां रखी हुई है. इस डॉल को प्राइड ऑफ डॉल भी कहा जाता है.

International Doll Museum in Chandigarh
फिलीपींस और नॉर्वे की डॉल्स हैं बेहद खास.

फिलीपींस की गुड़िया को पहनाया गया है 200 साल पुराना गाउन: इसके अलावा रूस से लाई हुई वुडन डॉल, जो अलग-अलग आकार में यहां रखी गई है. वहीं, इन वुडन डॉल पर जो रंग इस्तेमाल किए गए हैं. वह सभी नेचुरल रंग हैं, जो फूलों से तैयार किए गए हैं. सभी गुड़िया में फिलीपींस की एक ऐसी गुड़िया है, जिसे 200 साल पुराना गाउन पहनाया गया है. इसका कपड़ा और इसकी कढ़ाई 200 साल पुरानी है. इसे लाते समय बहुत ही सावधानी बरती गई थी ताकि डॉल और फैब्रिक को नुकसान न पहुंचे.

International Doll Museum in Chandigarh
शादी के जोड़े में डॉल्स.

रख-रखाव में बरती जाती है विशेष सावधानी: यहां रखी सभी 300 से अधिक डॉल्स को प्रिजर्व करने के लिए सेक्टर-10 की आर्ट गैलरी में हर 5 महीने बाद इन डॉल्स को ले जाया जाता है और इन्हें प्रिजर्व करने से संबंधित काम किया जाता है. इस दौरान कुछ डॉल्स ज्यादा पुरानी होने के चलते खराब हो जाती हैं, लेकिन क्योंकि यह हेरिटेज से संबंधित हैं, इसीलिए इन्हें इनके मौजूदा रूप में रखा जाता है.

म्यूजियम में गिफ्ट के तौर पर मिली हैं कई डॉल्स: वहीं, चंडीगढ़ इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम में कई ऐसी डॉल्स हैं ,जो गिफ्ट के तौर पर दी गई हैं. ऐसी ही एक हैंडीकैप की संस्था है जिन्होंने वियतनाम से भारत में भेजा है. वियतनाम की हैंडीक्राफ्ट बॉय हैंडीकैप के द्वारा इन सभी डॉल को नेचुरल इनग्रेडिएंट से बनाया गया है, जिसमें अंडे और नेचुरल रंग इस्तेमाल किए गए हैं.

ये भी पढ़ें: AAP का मिशन 2024: केजरीवाल आज जींद से करेंगे तिरंगा यात्रा की शुरुआत, जानिए हरियाणा में 'आप' का कितना जनाधार

चंडीगढ़ में इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम

चंडीगढ़: जून महीने के हर दूसरे शनिवार को गुड़िया प्रेमियों या यूं कह सकते हैं कि डॉल का शौक रखने वालों के लिए खास दिन होता है. हर साल जून के दूसरे शनिवार को वर्ल्ड डॉल डे मनाया जाता है. यह दिन शांति और खुशी का एक सार्वभौमिक संदेश देता है. वहीं, ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में टूरिस्ट के लिए काफी जगहें बनाई गयी है जिसमें लेक, गार्डन, पार्क आदि हैं. वहीं, बच्चों के लिए चंडीगढ़ डॉल म्यूजियम बना हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है.

1985 में इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम की स्थापना: चंडीगढ़ इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम साल 1985 में रोटरी क्लब चंडीगढ़ के सहयोग स्थापित हुआ था. म्यूजियम में सबसे पहली डॉल जर्मनी से चंडीगढ़ लाई गई थी. मौजूदा समय में यहां 300 से ज्यादा डॉल्स हैं. म्यूजियम को स्थापित करने का उद्देश्य मनोरंजन का एक साधन शहरवासियों को मुहैया कराना था.

International Doll Museum in Chandigarh
1985 में इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम की स्थापना

इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम में 300 से अधिक गुड़िया: चंडीगढ़ सेक्टर-23 स्थित डॉल म्यूजियम में देश के अलग-अलग राज्यों की भी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. सेक्टर-23 के बाल भवन के अंदर बना इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम में भारत के साथ विदेशी संस्कृति और स्थानीय पहनावा से सजी 300 से ज्यादा डॉल यहां रखी गयी हैं. इसके साथ ही म्यूजियम में विदेश के लोगों के पहनावे के साथ रंग-रूप दर्शाती हुई डॉल रखी गयी हैं. म्यूजियम के अंदर नॉर्वे, फ्रांस, चीन, थइलैंड, फिलीपींस, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, रशिया, कोरिया सहित विभिन्न देशों की डॉल्स को डिस्प्ले किया गया है. म्यूजियम में सुबह 11 बजे से शाम साढ़े चार बजे तक खुला रहता है.

International Doll Museum in Chandigarh
चंडीगढ़ इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम में 300 से अधिक गुड़िया

पहले यह सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के अंदर इस म्यूजियम का देखरेख का जिम्मा सौंपा गया था. लेकिन 2009 से यह डायरेक्टर ऑफ म्यूजियम द्वारा देखरेख की जा रही है. चंडीगढ़ सेक्टर-23 में ही डॉल म्यूजियम को बनाने का फैसला लिया गया था. इस डॉल म्यूजियम के पास ही बाल भवन बनाया गया है, जहां पर बच्चों से जुड़े कार्यक्रम और प्रस्तुतियां दी जाती हैं.

चंडीगढ़ डॉल म्यूजियम में 29 देशों की डॉल: चंडीगढ़ डॉल म्यूजियम में 29 देशों की डॉल यानी गुड़िया को भी जगह दी गई है. सबसे खास बात यह है कि यहां मौजूद हर एक डॉल की अपनी एक कहानी है. और यह कहानी वाकई में बहुत ही खास है.

International Doll Museum in Chandigarh
डॉल म्यूजियम में देश के अलग-अलग राज्यों की संस्कृति की झलक.

डॉल ऑफ नॉर्वे की है विशेष कहानी: नॉर्वे के एक दंपति जिनकी अपनी एक कोई संतान नहीं थी, उनके द्वारा सालों तक एक गुड़िया को बच्चे की तरह पाला गया. जैसे ही वे बुजुर्ग हुए तो उन्होंने अपनी डॉल म्यूजियम में रखवाने का फैसला किया. चंडीगढ़ में जितनी भी डॉल विदेशों से आई हुई हैं वे सभी एंबेसी के जरिए यहां लाई गई हैं. ऐसे ही डॉल ऑफ नॉर्वे को यहां लाया गया. पिछले 40 सालों से यह डॉल यहां रखी हुई है. इस डॉल को प्राइड ऑफ डॉल भी कहा जाता है.

International Doll Museum in Chandigarh
फिलीपींस और नॉर्वे की डॉल्स हैं बेहद खास.

फिलीपींस की गुड़िया को पहनाया गया है 200 साल पुराना गाउन: इसके अलावा रूस से लाई हुई वुडन डॉल, जो अलग-अलग आकार में यहां रखी गई है. वहीं, इन वुडन डॉल पर जो रंग इस्तेमाल किए गए हैं. वह सभी नेचुरल रंग हैं, जो फूलों से तैयार किए गए हैं. सभी गुड़िया में फिलीपींस की एक ऐसी गुड़िया है, जिसे 200 साल पुराना गाउन पहनाया गया है. इसका कपड़ा और इसकी कढ़ाई 200 साल पुरानी है. इसे लाते समय बहुत ही सावधानी बरती गई थी ताकि डॉल और फैब्रिक को नुकसान न पहुंचे.

International Doll Museum in Chandigarh
शादी के जोड़े में डॉल्स.

रख-रखाव में बरती जाती है विशेष सावधानी: यहां रखी सभी 300 से अधिक डॉल्स को प्रिजर्व करने के लिए सेक्टर-10 की आर्ट गैलरी में हर 5 महीने बाद इन डॉल्स को ले जाया जाता है और इन्हें प्रिजर्व करने से संबंधित काम किया जाता है. इस दौरान कुछ डॉल्स ज्यादा पुरानी होने के चलते खराब हो जाती हैं, लेकिन क्योंकि यह हेरिटेज से संबंधित हैं, इसीलिए इन्हें इनके मौजूदा रूप में रखा जाता है.

म्यूजियम में गिफ्ट के तौर पर मिली हैं कई डॉल्स: वहीं, चंडीगढ़ इंटरनेशनल डॉल म्यूजियम में कई ऐसी डॉल्स हैं ,जो गिफ्ट के तौर पर दी गई हैं. ऐसी ही एक हैंडीकैप की संस्था है जिन्होंने वियतनाम से भारत में भेजा है. वियतनाम की हैंडीक्राफ्ट बॉय हैंडीकैप के द्वारा इन सभी डॉल को नेचुरल इनग्रेडिएंट से बनाया गया है, जिसमें अंडे और नेचुरल रंग इस्तेमाल किए गए हैं.

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Last Updated : Jun 8, 2023, 2:19 PM IST
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