चंडीगढ़: आज के समय में कालाबाजारी, किसी चीज के बदले ज्यादा पैसे वसूलना, बगैर मानक वस्तुओं की बिक्री, ठगी, सामान की बिक्री के बाद गारंटी और वारंटी जैसी समस्याओं को लेकर ग्राहक आज के समय में इंटरनेट और गुगल पर निर्भर रहते हैं. जिससे न सिर्फ वे अपने साथ हुए नुकसान की भरपाई करते हैं, बल्कि और ज्यादा नुकसान कर बैठते हैं. क्योंकि जानकारी की कमी के चलते कंपनियां लोगों को अपनी कानूनी दाव पेच में फंसा कर अपना फायदा करती हैं.
ऐसी समस्याओं से लोगों को निजात दिलाने और अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल विश्व में 15 मार्च को वर्ल्ड कंज्यूमर राइट्स डे मनाया जाता है. वास्तव में यह उपभोक्ता को उनकी शक्तियों और अधिकारों के बारे में जागरूक करने के तौर पर मनाया जाता है. ताकि वे अपनी साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत उपभोक्ता अदालत में कर सकें. भारत में उपभोक्ता संरक्षण कानून में स्पष्ट किया गया है, कि हर वह व्यक्ति जिसने किसी वस्तु या सेवा के बदले पैसों का भुगतान किया है और ऐसे ही किसी तरह से ग्राहक का शोषण हुआ है. उसके खिलाफ वह अपनी आवाज उठा सकता है और उस संबंध में कानूनी मदद ले सकता है.
इसी मामले को लेकर ईटीवी भारत से चंडीगढ़ सेक्टर-43 स्थित डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की सीनियर वकील पूनम ठाकुर ने बातचीत की. बता दें कि एडवोकेट पूनम ठाकुर पिछले 10 सालों से इस तरह के मामलों का निपटारा करवा रही हैं. एडवोकेट पूनम ठाकुर ने बताया कि उपभोक्ताओं को इस समय सबसे ज्यादा जो समस्या का सामना करना पड़ रहा है वह किसी भी कंपनी व दुकान द्वारा बिल न लिया जाना और बिना प्रोडक्ट की जानकारी लिए उससे इस्तेमाल कर लेना. वहीं, लोग खरीदारी करते समय सोच विचार भी नहीं करते हैं.
यहां तक की जीएसटी जैसे टैक्स में कुछ पैसों की बचत के चक्कर में कंपनी व दुकानदार के कहने पर बिल नहीं लेते. जिससे ग्राहक को धोखे में रखा जाता है. अगर किसी उपभोक्ता की चीज खराब हो जाती है, तो वह क्लेम नहीं कर पाता है कि कंपनी द्वारा उसे खराब चीज दी जाती है. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार और वकीलों की एसोसिएशन द्वारा लोगों को जागरूक करने की कोशिश की गई है. वहीं, लोग वकीलों के चक्कर में न पड़ने व कुछ पैसे बचाने के चलते अपना उपभोक्ता के तौर पर हक लेने में अनदेखी कर देते हैं.
वहीं, उपभोक्ताओं की समस्याओं को देखते हुए एक प्रोटेक्शन एक्ट बनाया गया है. जिसकी मदद लेते हुए उपभोक्ता अपना पैसा कंपनियों से निकलवा सकता है. पूनम ठाकूर ने बताया कि हर कोई अपनी जानकारी को प्राप्त करने के लिए गूगल पर ही रिसर्च करता है. गूगल व इंटरनेट से पहल के तौर पर जानकारी लेने गलत नहीं होगा. लेकिन उस जानकारी को ही आधार न बनाया जाए. क्योंकि गूगल व इंटरनेट द्वारा बिना किसी की केस को जाने सुझाव दिए जाते हैं. ऐसे में अधूरी जानकारी उस केस और भी पेचीदा कर देती है. वहीं, गूगल के चक्कर में न पड़ते हुए लोगों को स्टेट लीगल सर्विस और किसी जाने माने वकील से राय मशवरा कर चाहिए. जहां लोग अपनी शिकायतों को बारीकी से बता सकते हैं.
ये भी पढ़ें: Kurukshetra News: पिहोवा में चैत्र चौदस मेले का DMC ने किया औचक निरीक्षण, अधिकारियों में मचा हड़कंप