हरियाणा: टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) का आज यानी शुक्रवार को 15वां दिन है. भारत अब तक दो सिल्वर और पांच ब्रॉन्ज मेडल जीत चुका है. आज पुरुषों की फ्री स्टाइल 65 किग्रा में पहलवान बजरंग पूनिया ने क्वॉर्टर फाइनल मुकाबला जीत लिया है. हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले बजरंग पूनिया दुनिया के श्रेष्ठ पहलवानों में टॉप पर हैं. अर्जुन पुरस्कार, खेल रत्न और पद्म श्री से सम्मानित वर्ल्ड चैंपियन रेसलर बजरंग पूनिया की कहानी भले ही एक छोटे से गांव के दंगल से शुरू हुई थी पर उनकी कड़ी मेहनत और जुनून उन्हें उस मुकाम पर लेकर आया जहां बजरंग बन चुके हैं 130 करोड़ भारतीयों की टोक्यो ओलंपिक की सबसे बड़ी उम्मीद.
बता दें कि, आज लगभग हर खेलप्रेमी की जुबान पर बजरंग पूनिया का नाम है, लेकिन ये मुकाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिल गया. इसके लिए उन्होंने बड़ी मेहनत की है. 65 किलोग्राम वर्ग में विश्व के नंबर वन पहलवान बजरंग पुनिया ने पहलवानी की शुरूआत 7 साल की उम्र में झज्जर जिले के एक छोटे से गांव खुदन से की थी. एक साधारण किसान परिवार में जन्में बजरंग शुरू से ही बेहद मेहनती रहे हैं. उनके पिता और भाई भी पहलवानी करते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते केवल बजरंग को ही पहलवानी में आगे बढ़ाया गया. उनके पिता बलवान सिंह पूनिया ने बताया कि वो भी पहलवानी करते थे इसलिए उनकी इच्छी थी कि उनका एक बेटा पहलवान जरूर बनें. दोनों बेटों को पहलवानी के लिए भेजा जाता था, लेकिन घर की हालत ठीक न होने के चलते फिर केवल बजरंग को ही आगे बढ़ाया, और उनके बेटे ने उनकी इच्छा पूरी भी कर दी.
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भारतीय ओलंपिक संघ ने हाल ही में ऐलान भी किया था कि ओलंपिक के समापन समारोह में बजरंग पूनिया भारतीय दल की अगुवाई करेंगे. भारत को अभी भी ओलंपिक में पहलवानी में गोल्ड का इंतजार है. करोड़ों देशवासियों को टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड का सूखा खत्म करने की सबसे ज्यादा उम्मीदें बजरंग पूनिया से ही हैं. बजरंग पूनिया के भाई हरेन्द्र पूनिया का भी कहना है कि उनका भाई इस बार ओलंपिक में गोल्ड जीतकर पूरे देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा.
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