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पंजाब में हरियाणा से करीब 10 गुना ज्यादा जल रही पराली, यहां देखें रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़े

Stubble Burning Cases In Haryana: रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में हरियाणा से ज्यादा पराली जलाई जा रही है. इस मुद्दे पर तीन राज्यों के बीच जमकर सियासत हो रही है.

Stubble Burning Cases In Haryana
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 7, 2023, 8:40 PM IST

चंडीगढ़: पराली जलाने का मामला तीन राज्यों के बीच सियासत का केंद्र बना हुआ है. एक तरफ सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर पंजाब सरकार को फटकार लगा चुका है, तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर तीनों राज्यों के नेताओं के बीच टिप्पणियां की जा रही हैं. इस मुद्दे पर सियासत इसलिए भी हो रही है, क्योंकि जब तक पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं थी, तब तक दिल्ली सरकार पंजाब और हरियाणा को इस मौसम में बिगड़ते वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराती थी.

ये भी पढ़ें- Haryana Parali Pollution Politics: हरियाणा में पराली, पॉल्यूशन और पॉलिटिक्स, 6 जिलों में AQI 300 के पार, आप और सरकार के बीच जंग, क्या कहते हैं जानकार?

अब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. जिसके बाद दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर घिरती नजर आ रही है. पराली को लेकर हो रही इस सियासत को अगर आंकड़ों की नजर में देखें, तो तस्वीर खुद बयां कर रही है कि पराली जलाने के मामले पंजाब आगे है. यही वजह है कि हरियाणा लगातार बिगड़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स के लिए पंजाब को जिम्मेदार ठहरा रहा है. वहीं पंजाब सरकार इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है.

Stubble Burning Cases In Haryana
रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़े

बता दें कि 15 सितंबर से पराली जलाने के मामलों का आंकड़ा एकत्रित किया जाता है. 15 सितंबर से 6 नवंबर तक हरियाणा सरकार के आंकड़ों के मुताबिक सूबे में 1579 मामले सामने आए हैं, जो बीते 2 साल उसे बहुत कम हैं. अगर हम साल 2022 की बात करें, तो हरियाणा में ये आंकड़ा 6 नवंबर तक 2576 था. वहीं साल 2021 में ये आंकड़ा इसी अवधि में 4216 था. यानी 2022 के मुकाबले हरियाणा में इस बार 6 नवंबर तक करीब हजार मामले कम आए हैं.

ये भी पढ़ें- पराली पर आप का पलटवार, हरियाणा की पराली 100 किलोमीटर दूर पंजाब की 500 किलोमीटर दूर, खट्टर सरकार ने क्या किया ?

दूसरी ओर पंजाब के आंकड़ों की बात करें, तो 15 सितंबर से 6 नवंबर तक पंजाब में हरियाणा के मुकाबले 12 गुना अधिक पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. पंजाब में 15 सितंबर से 6 नवंबर तक ये आंकड़ा 19463 है. हालांकि पंजाब में भी पिछले सालों के मुकाबले पराली जलाने के मामलों में कमी दिखाई दे रही है. साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में 29999 मामले पराली जलाने के सामने आए थे, जबकि साल 2021 में 32734 मामले सामने आए थे.

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पराली जलाने के आंकड़े

यानी पंजाब में भी इस बार पिछली साल के मुकाबले करीब 10000 मामले कम हुए हैं. पराली के रियल टाइम मॉनिटरिंग डाटा के मुताबिक 15 सितंबर से छह नवंबर तक पंजाब में 19463, हरियाणा में 1579, यूपी में 1270, दिल्ली 2, एमपी 6218, राजस्थान 1109 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. वहीं पिछली साल छह नवंबर तक पंजाब में 29999, हरियाणा 2576, यूपी 955, दिल्ली 9, राजस्थान 614 और एमपी में 2638 मामले पराली जलाने के सामने आए थे.

ये भी पढ़ें- दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर SC सख्त, पंजाब सरकार को कहा- हर हाल में बंद हो पराली जलाना

वहीं पंजाब विश्वविद्यालय और पीजीआई चंडीगढ़ भी लगातार पराली के मामलों पर नजर बनाए हुए है. उनके आंकड़ों के मुताबिक भी पंजाब में छह नवंबर तक 14616 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं हरियाणा में ये आंकड़ा 1992 है. यानी इनके आंकड़े भी बीते सालों के मुकाबले इस बार पराली जलाने के मामलों में 45 से 47 फीसदी की गिरावट दर्ज कर रहे हैं.

चंडीगढ़: पराली जलाने का मामला तीन राज्यों के बीच सियासत का केंद्र बना हुआ है. एक तरफ सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर पंजाब सरकार को फटकार लगा चुका है, तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर तीनों राज्यों के नेताओं के बीच टिप्पणियां की जा रही हैं. इस मुद्दे पर सियासत इसलिए भी हो रही है, क्योंकि जब तक पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं थी, तब तक दिल्ली सरकार पंजाब और हरियाणा को इस मौसम में बिगड़ते वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराती थी.

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अब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. जिसके बाद दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर घिरती नजर आ रही है. पराली को लेकर हो रही इस सियासत को अगर आंकड़ों की नजर में देखें, तो तस्वीर खुद बयां कर रही है कि पराली जलाने के मामले पंजाब आगे है. यही वजह है कि हरियाणा लगातार बिगड़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स के लिए पंजाब को जिम्मेदार ठहरा रहा है. वहीं पंजाब सरकार इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है.

Stubble Burning Cases In Haryana
रियल टाइम मॉनिटरिंग के आंकड़े

बता दें कि 15 सितंबर से पराली जलाने के मामलों का आंकड़ा एकत्रित किया जाता है. 15 सितंबर से 6 नवंबर तक हरियाणा सरकार के आंकड़ों के मुताबिक सूबे में 1579 मामले सामने आए हैं, जो बीते 2 साल उसे बहुत कम हैं. अगर हम साल 2022 की बात करें, तो हरियाणा में ये आंकड़ा 6 नवंबर तक 2576 था. वहीं साल 2021 में ये आंकड़ा इसी अवधि में 4216 था. यानी 2022 के मुकाबले हरियाणा में इस बार 6 नवंबर तक करीब हजार मामले कम आए हैं.

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दूसरी ओर पंजाब के आंकड़ों की बात करें, तो 15 सितंबर से 6 नवंबर तक पंजाब में हरियाणा के मुकाबले 12 गुना अधिक पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. पंजाब में 15 सितंबर से 6 नवंबर तक ये आंकड़ा 19463 है. हालांकि पंजाब में भी पिछले सालों के मुकाबले पराली जलाने के मामलों में कमी दिखाई दे रही है. साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में 29999 मामले पराली जलाने के सामने आए थे, जबकि साल 2021 में 32734 मामले सामने आए थे.

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पराली जलाने के आंकड़े

यानी पंजाब में भी इस बार पिछली साल के मुकाबले करीब 10000 मामले कम हुए हैं. पराली के रियल टाइम मॉनिटरिंग डाटा के मुताबिक 15 सितंबर से छह नवंबर तक पंजाब में 19463, हरियाणा में 1579, यूपी में 1270, दिल्ली 2, एमपी 6218, राजस्थान 1109 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. वहीं पिछली साल छह नवंबर तक पंजाब में 29999, हरियाणा 2576, यूपी 955, दिल्ली 9, राजस्थान 614 और एमपी में 2638 मामले पराली जलाने के सामने आए थे.

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वहीं पंजाब विश्वविद्यालय और पीजीआई चंडीगढ़ भी लगातार पराली के मामलों पर नजर बनाए हुए है. उनके आंकड़ों के मुताबिक भी पंजाब में छह नवंबर तक 14616 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं हरियाणा में ये आंकड़ा 1992 है. यानी इनके आंकड़े भी बीते सालों के मुकाबले इस बार पराली जलाने के मामलों में 45 से 47 फीसदी की गिरावट दर्ज कर रहे हैं.

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