ETV Bharat / state

वो सीएम जिन्हें 'आया राम, गया राम' कहावत का जनक माना जाता है!

साल 2018 में आपने कर्नाटक का नाटक को देखा ही होगा. सत्ता के लिए नेता और नेताओं के लिए पार्टी किस कदर कुटनीति करती है ये देख कर आम जनता भी हैरान होती है, लेकिन ये सब नया नहीं था. हरियाणा में भी एक दौर ऐसा था कि कर्नाटक का नाटक भी बस नौटंकी महसूस होगा. वो दौर था भजन लाल का.

भजन लाल, पूर्व सीएम, हरियाणा (हरियाणा के मुख्यमंत्री)
author img

By

Published : Oct 20, 2019, 9:29 AM IST

चंडीगढ़: भजन लाल हरियाणा के तीसरे 'लाल' थे जो सूबे के मुख्यमंत्री बने. 6 अक्टूबर 1930 को इनका जन्म हुआ था. बाद में वो हिसार आकर बसे थे. भजनलाल अपने शुरुआती दिनों में ओढणी बेचने का काम करते थे. इसके बाद भजनलाल ने घी बेचने का काम भी किया. व्यापार में बढोतरी होने के बाद भजनलाल ने हिसार की अनाज मंडी में अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी. मंडी के एक दुकानदार ने भजनलाल की कुशलता को भांप लिया और उनको अपनी दुकानदारी में हिस्सेदारी पर रख लिया.

व्यापारी से बने राजनेता
धीरे-धीरे उनकी रूची राजनीति में हुई. उन्होंने पंचायती स्तर से राजनीति में हाथ आजमाया और 8 साल के राजनीतिक सफर में ही मुख्यमंत्री बन गए थे. आगे चलकर इसी कुशलता के दम पर भजनलाल ने विधायक जुटाए और अपनी सरकार बनाई.

रिपोर्ट देखिए: वो सीएम जिन्हें 'आया राम, गया राम' कहावत का जनक माना जाता है!

ये पढ़ें- विधानसभा चुनाव स्पेशल: जानिए हरियाणा के पहले सीएम के बारे में जिन्हें दलबदल नेता ले डूबे!

आया राम, गया राम कहावत के जनक थे भजन लाल!
भजन लाल को राजनीति के सबसे लोकप्रिय कहावत 'आया राम, गया राम' का जनक भी माना जाता है. साल 1967 का था. भारतीय राजनीति के इतिहास में एक नई इबारत लिखी जा रही थी. इस इबारत को लिखने वाले इंसान का नाम था गया लाल... गया लाल हरियाणा के पलवल जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे.

उन्होंने एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदली. पहले तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर जनता पार्टी का दामन थाम लिया. फिर थोड़ी देर में कांग्रेस में वापस आ गए. फिर 9 घंटे बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और एक बार फिर जनता पार्टी में चले गए. खैर गया लाल के हृदय परिवर्तन का सिलसिला जारी रहा और वापस कांग्रेस में आ गए.

कांग्रेस में वापस आने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन नेता राव बीरेंद्र सिंह उनको लेकर चंडीगढ़ पहुंचे और वहां एक संवाददाता सम्मेलन किया. राव बीरेंद्र ने उस मौके पर कहा था, 'गया राम अब आया राम है' इस घटना के बाद से पाला बदलने वाले दलबदलुओं के लिए 'आया राम, गया राम' वाक्य का इस्तेमाल होने लगा.

ये पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने प्रधानमंत्री को झुका दिया, लेकिन उसके अपने ही ले डूबे!

जब हुआ हजकां का गठन...
साल 1991 से 1996 तक फिर भजनलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद सत्ता परिवर्तन हो गया. पहले बंसीलाल फिर चौधरी देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला वापस सत्ता में आ गए. बाद में कांग्रेस के ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2005 में मुख्यमंत्री बने. उस समय ही भजनलाल को एहसास हो गया था कि वो कांग्रेस लीडरशिप के खिलाफ बगावत नहीं कर सकते.

गांधी परिवार ने भजनलाल को उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई और चंद्रमोहन को अच्छे पदों पर जगह का वादा किया था, लेकिन आगे चलकर राजनीतिक समीकरण बदले. भजनलाल ने 2007 में कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस बना ली थी.

ये पढ़ें- 'हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिन्हें जवानी में घड़ियों की स्मलिंग करते पकड़ा गया था'

यूं खत्म हुआ हजकां का वजूद!
भजनलाल के दो बेटे चंद्र मोहन बिश्नोई और कुलदीप बिश्नोई और एक बेटी रोशनी है. चंद्र मोहन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उप मुख्यमंत्री थे. लेकिन इन पर अनुपस्थिति के आरोप लगाकर 2008 में पद से हटा दिया गया था.

कुलदीप बिश्नोई आदमपुर विधानसभा से तीसरी बार विधायक हैं. कुलदीप बिश्नोई ने 2016 में अपनी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस का इंडियन नेशनल कांग्रेस में विलय कर दिया. 2019 लोकसभा चुनावों में कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. लेकिन उन्होंने ट्विटर पर इस बात का खंडन किया.

चंडीगढ़: भजन लाल हरियाणा के तीसरे 'लाल' थे जो सूबे के मुख्यमंत्री बने. 6 अक्टूबर 1930 को इनका जन्म हुआ था. बाद में वो हिसार आकर बसे थे. भजनलाल अपने शुरुआती दिनों में ओढणी बेचने का काम करते थे. इसके बाद भजनलाल ने घी बेचने का काम भी किया. व्यापार में बढोतरी होने के बाद भजनलाल ने हिसार की अनाज मंडी में अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी. मंडी के एक दुकानदार ने भजनलाल की कुशलता को भांप लिया और उनको अपनी दुकानदारी में हिस्सेदारी पर रख लिया.

व्यापारी से बने राजनेता
धीरे-धीरे उनकी रूची राजनीति में हुई. उन्होंने पंचायती स्तर से राजनीति में हाथ आजमाया और 8 साल के राजनीतिक सफर में ही मुख्यमंत्री बन गए थे. आगे चलकर इसी कुशलता के दम पर भजनलाल ने विधायक जुटाए और अपनी सरकार बनाई.

रिपोर्ट देखिए: वो सीएम जिन्हें 'आया राम, गया राम' कहावत का जनक माना जाता है!

ये पढ़ें- विधानसभा चुनाव स्पेशल: जानिए हरियाणा के पहले सीएम के बारे में जिन्हें दलबदल नेता ले डूबे!

आया राम, गया राम कहावत के जनक थे भजन लाल!
भजन लाल को राजनीति के सबसे लोकप्रिय कहावत 'आया राम, गया राम' का जनक भी माना जाता है. साल 1967 का था. भारतीय राजनीति के इतिहास में एक नई इबारत लिखी जा रही थी. इस इबारत को लिखने वाले इंसान का नाम था गया लाल... गया लाल हरियाणा के पलवल जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे.

उन्होंने एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदली. पहले तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर जनता पार्टी का दामन थाम लिया. फिर थोड़ी देर में कांग्रेस में वापस आ गए. फिर 9 घंटे बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और एक बार फिर जनता पार्टी में चले गए. खैर गया लाल के हृदय परिवर्तन का सिलसिला जारी रहा और वापस कांग्रेस में आ गए.

कांग्रेस में वापस आने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन नेता राव बीरेंद्र सिंह उनको लेकर चंडीगढ़ पहुंचे और वहां एक संवाददाता सम्मेलन किया. राव बीरेंद्र ने उस मौके पर कहा था, 'गया राम अब आया राम है' इस घटना के बाद से पाला बदलने वाले दलबदलुओं के लिए 'आया राम, गया राम' वाक्य का इस्तेमाल होने लगा.

ये पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने प्रधानमंत्री को झुका दिया, लेकिन उसके अपने ही ले डूबे!

जब हुआ हजकां का गठन...
साल 1991 से 1996 तक फिर भजनलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद सत्ता परिवर्तन हो गया. पहले बंसीलाल फिर चौधरी देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला वापस सत्ता में आ गए. बाद में कांग्रेस के ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2005 में मुख्यमंत्री बने. उस समय ही भजनलाल को एहसास हो गया था कि वो कांग्रेस लीडरशिप के खिलाफ बगावत नहीं कर सकते.

गांधी परिवार ने भजनलाल को उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई और चंद्रमोहन को अच्छे पदों पर जगह का वादा किया था, लेकिन आगे चलकर राजनीतिक समीकरण बदले. भजनलाल ने 2007 में कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस बना ली थी.

ये पढ़ें- 'हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिन्हें जवानी में घड़ियों की स्मलिंग करते पकड़ा गया था'

यूं खत्म हुआ हजकां का वजूद!
भजनलाल के दो बेटे चंद्र मोहन बिश्नोई और कुलदीप बिश्नोई और एक बेटी रोशनी है. चंद्र मोहन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उप मुख्यमंत्री थे. लेकिन इन पर अनुपस्थिति के आरोप लगाकर 2008 में पद से हटा दिया गया था.

कुलदीप बिश्नोई आदमपुर विधानसभा से तीसरी बार विधायक हैं. कुलदीप बिश्नोई ने 2016 में अपनी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस का इंडियन नेशनल कांग्रेस में विलय कर दिया. 2019 लोकसभा चुनावों में कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. लेकिन उन्होंने ट्विटर पर इस बात का खंडन किया.

Intro:Body:

story about former chief minister bhajan lal

 


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.