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विधवा महिला की पेंशन रोकने के मामले में रोडवेज प्रबंधक दोषी, लगा 50 हजार का जुर्माना

हाईकोर्ट ने कहा कि महाप्रबंधक का यह कदम महिला को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने और कोर्ट के आदेश को अंगूठा दिखाने वाला है. नियम के अनुसार इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जा सकती.

Roadways manager convicted for stopping widow's pension and he fined 50 thousand
विधवा महिला की पेंशन रोकने के मामले में रोडवेज प्रबंधक दोषी
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Published : Sep 10, 2020, 10:57 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा रोडवेज चंडीगढ़ के महाप्रबंधक अमरिंदर सिंह को एक विधवा महिला के पति का पेंशन रोकना मंहगा पड़ गया. हाईकोर्ट ने महाप्रबंधक पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इसके साथ ही उनके खिलाफ अवमानना का केस भी दर्ज करने के निर्देश दिए.

क्या है मामला?

मामला हरियाणा रोडवेज पंचकूला के एक ड्राइवर की विधवा की फैमिली पेंशन देने का है. विधवा रामरति के प्रति सज्जन सिंह हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर के पद पर तैनात थे. उनकी 28 सितंबर 1991 को मौत हो गई तब से लेकर आज तक महिला फैमिली पेंशन और अन्य लाभ की आस लगाए बैठी है.

महिला ने साल 2017 में हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी. हाईकोर्ट ने पिछले साल 28 दिसंबर को हरियाणा रोडवेज के महानिदेशक के आश्वासन के बाद याचिका का निपटारा कर दिया था. हाईकोर्ट ने विभाग को आदेश दिया था कि विभाग 3 महीने में ब्याज समेत रामरति को उसकी सभी लाभ राशि जारी कर देगा, लेकिन हरियाणा रोडवेज चंडीगढ़ के महाप्रबंधक अमरिंदर सिंह ने इस आदेश के खिलाफ समय सीमा बीत जाने के बाद भी पिछले महीने हाईकोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर कर इस आदेश को गलत बताते हुए दोबारा विचार करने की मांग कर डाली.

कोर्ट ने महाप्रबंधक को ठहराया दोषी

कोर्ट ने महाप्रबंधक की पुनर्विचार याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि विभाग के एक विधवा महिला को पिछले 29 साल से मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहा है. जबकि वे सभी लाभ की हकदार है रोडवेज के महानिदेशक ने भी हाईकोर्ट में इस बात को स्वीकार किया, लेकिन महाप्रबंधक कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहा है.

अवमानना का केस दर्ज करने का दिया आदेश

हाईकोर्ट ने कहा कि महाप्रबंधक का यह कदम महिला को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने और कोर्ट के आदेश को अंगूठा दिखाने वाला है. नियम के अनुसार इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जा सकती और कोर्ट द्वारा महिला को उसके लाभ देने कि तय समय भी खत्म हो चुकी है. हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि जुर्माने की यह राशि महाप्रबंधक के जेब से ली जाए ना कि सरकारी खजाने से अदा की जाए. जुर्माना भरने की जानकारी हाई कोर्ट को भी दी जाए. हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को भी आदेश दिया कि इस मामले में संज्ञान लेकर महाप्रबंधक के खिलाफ हाई कोर्ट की अवमानना का मामला चलाया जाए.

ये भी पढ़ें- फतेहाबाद: रैली में जा रहे किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया

चंडीगढ़: हरियाणा रोडवेज चंडीगढ़ के महाप्रबंधक अमरिंदर सिंह को एक विधवा महिला के पति का पेंशन रोकना मंहगा पड़ गया. हाईकोर्ट ने महाप्रबंधक पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इसके साथ ही उनके खिलाफ अवमानना का केस भी दर्ज करने के निर्देश दिए.

क्या है मामला?

मामला हरियाणा रोडवेज पंचकूला के एक ड्राइवर की विधवा की फैमिली पेंशन देने का है. विधवा रामरति के प्रति सज्जन सिंह हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर के पद पर तैनात थे. उनकी 28 सितंबर 1991 को मौत हो गई तब से लेकर आज तक महिला फैमिली पेंशन और अन्य लाभ की आस लगाए बैठी है.

महिला ने साल 2017 में हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी. हाईकोर्ट ने पिछले साल 28 दिसंबर को हरियाणा रोडवेज के महानिदेशक के आश्वासन के बाद याचिका का निपटारा कर दिया था. हाईकोर्ट ने विभाग को आदेश दिया था कि विभाग 3 महीने में ब्याज समेत रामरति को उसकी सभी लाभ राशि जारी कर देगा, लेकिन हरियाणा रोडवेज चंडीगढ़ के महाप्रबंधक अमरिंदर सिंह ने इस आदेश के खिलाफ समय सीमा बीत जाने के बाद भी पिछले महीने हाईकोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर कर इस आदेश को गलत बताते हुए दोबारा विचार करने की मांग कर डाली.

कोर्ट ने महाप्रबंधक को ठहराया दोषी

कोर्ट ने महाप्रबंधक की पुनर्विचार याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि विभाग के एक विधवा महिला को पिछले 29 साल से मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहा है. जबकि वे सभी लाभ की हकदार है रोडवेज के महानिदेशक ने भी हाईकोर्ट में इस बात को स्वीकार किया, लेकिन महाप्रबंधक कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहा है.

अवमानना का केस दर्ज करने का दिया आदेश

हाईकोर्ट ने कहा कि महाप्रबंधक का यह कदम महिला को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने और कोर्ट के आदेश को अंगूठा दिखाने वाला है. नियम के अनुसार इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की जा सकती और कोर्ट द्वारा महिला को उसके लाभ देने कि तय समय भी खत्म हो चुकी है. हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि जुर्माने की यह राशि महाप्रबंधक के जेब से ली जाए ना कि सरकारी खजाने से अदा की जाए. जुर्माना भरने की जानकारी हाई कोर्ट को भी दी जाए. हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को भी आदेश दिया कि इस मामले में संज्ञान लेकर महाप्रबंधक के खिलाफ हाई कोर्ट की अवमानना का मामला चलाया जाए.

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