चंडीगढ़: कोरोना वायरस की वजह से स्कूल, कॉलेज और दफ्तर कई महीनों से बंद पड़े हैं. बच्चे घर में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं तो बड़े वर्क फ्रॉम होम. कई घंटों तक मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर की स्क्रीन के आगे बैठने से बच्चों और बड़ों दोनों की आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है. जिसका नतीजा ये हुआ है कि कोरोना काल में एंटी ग्लेयर और नजर के चश्मों की बिक्री में 20 से 25 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
चश्मे का काम करने वाले दुकानदारों ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद से चश्मा और आंखों की दवाइयों की बिक्री में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. लोग एंटी ग्लेयर चश्मा और आंखों के नंबर के चश्मे भी बनवा रहे हैं. इसके अलावा आंखों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों के ग्राहक भी बढ़ गए हैं. ज्यादातर आंखों की ब्राइटनेस कम करने वाले लुब्रिकेंट्स की मांग हो रही है.
कुछ दुकानदारों का ये भी कहना था कि इस दौरान आंखों में होने वाली समस्याएं तो बड़ी हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से बहुत से लोग नया चश्मे की जगह पुराने चश्मे को ही रिपेयर करा रहे हैं..
क्यों बढ़ रही है आंखों की समस्याएं?
आखिर घर से काम और पढ़ाई करने पर आंखों की समस्या क्यों बढ़ रही है? ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने नेत्र विशेषक्ष डॉ. अशोक शर्मा से बात की. डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से लोगों में आंखों की ड्राइनेस की समस्या ज्यादा बढ़ रही है, क्योंकि कंप्यूटर या मोबाइल पर काम करते समय हमारे पलक झपकने की दर कम हो जाती है. जिससे आंखों में ड्राइनेस बढ़ जाती है.
ऐसे रखें आंखों का ख्याल-
- स्क्रीन के सामने हमेशा करें एंटी ग्लेयर चश्मे का इस्तेमाल
- नहीं होने दें पलक झपकाने की दर में कमी
- प्रति मिनट 18 से 20 बार अवश्य झपकाएं पलकें
- स्क्रीन की ब्राइटनेस ना कम हो और ना ही ज्यादा
- अंधेरे कमरे में नहीं करें पढ़ाई/काम
- खान-पान पर भी दें विशेष ध्यान
- ज्यादा से ज्यादा करें हरी सब्जियों का सेवन
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वर्क फॉर्म होम और ऑनलाइन स्टडीज की वजह से स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है और स्क्रीन टाइम बढ़ने से ज्यादा लोग आंखों की परेशानी का शिकार हो रहे हैं, लेकिन अगर थोड़ी सावधानियां बरती जाएं तो आंखों में पड़ने वाले दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.