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हरियाणा में तेज बारिश से लुढ़का पारा, शीतलहर-धुंध का अलर्ट, किसानों के खिले चेहरे - HEAVY RAIN IN HARYANA

हरियाणा के कई इलाकों में रात से हो रही बारिश से किसानों के चेहरों पर रौनक है. वहीं, पारा भी लगातार लुढ़क रहा है.

heavy rain in Haryana
heavy rain in Haryana (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 16 hours ago

Updated : 16 hours ago

रेवाड़ी/हिसार/चरखी दादरी/चंडीगढ़: पूरे उत्तर भारत में ठंड ने लोगों को सताना शुरू कर दिया है. कहीं शीतलहर चलने लगी है, तो कहीं पर धुंध का अलर्ट जारी हो गया है. पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के बाद अब मैदानी इलाकों में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी से ठिठुरन बढ़ गई है. चंडीगढ़-हरियाणा में पारा लगातार लुढ़क रहा है. वहीं, देर रात हुई बारिश के बाद से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है. फसलों के लिए बारिश काफी अच्छी मानी जा रही है. मौसम विभाग ने रेवाड़ी में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है.

कब शुष्क होगा मौसम: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मौसम विज्ञान विभाग ने अध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण हरियाणा के मौसम में बदलाव रहेगा. 27/28 दिसंबर को प्रदेश में मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहेगा. उत्तरी और दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्रों में कहीं-कहीं बूंदाबांदी की संभावना है. लेकिन 29 दिसंबर से मौसम शुष्क रहेगा. बरसात के बाद धुंध की संभावना जताई जा रही है. जिससे गेहूं की फसल को काफी अहम मानी जा रही है. बरसात से बीमारी भी कम होगी. साथ ही बेलदार फसल को भी फायदा रहेगा. प्रदूषण से भी राहत मिलेगी.

बारिश से खिले किसानों के चेहरे: सड़कों पर हो रहे जलभराव से भी लोगों को परेशानी हो रही है. कृषि विभाग ने रबी की फसलों के लिए बारिश को काफी फायदेमंद बताया है. चरखी दादरी में भी सुबह से बारिश हो रही है, जिसके चलते पारा लुढ़क गया है. बारिश के कारण चरखी दादरी शहर व बाढड़ा कस्बे में कई स्थानों पर जलभराव होने से वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है. वहीं, दूसरी ओर किसान भी खुश नजर आ रहे हैं. कृषि विशेषज्ञ डॉ. चंद्रभान श्योराण ने कहा कि बारिश रबी की फसलों के फायदेमंद है. बारिश ने एक सिंचाई का काम कर दिया है और इस बारिश का असर फसलों की वृद्धि पर आगामी दो दिनों में ही देखने को मिल जाएगा.

heavy rain in Haryana (Etv Bharat)

फसल बचाव के टिप्स: मौसम वैज्ञानिकों ने हरियाणा के किसानों के लिए बारिश के समय फसलों के बचाव के टिप्स बताए हैं. जिससे किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकता है. डॉ.चंद्र मोहन ने बताया कि यह बारिश किसानों के लिए लाभदायक है. फसलों को फायदा होगा. गेहूं की फसल के लिए बारिश फायदेमंद होती है. बारिश में तापमान कम हो जाता है और पैदावार बढ़ती है. परंतु ज्यादा पानी भी फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है.

कृषकों के लिए विशेष सलाह: गेहूं एवं सरसों में सिंचाई को स्थगित करें, ताकि फसल गिरने से बच सकें. रोगों को रोकने के लिए अनुशंसित फफूंद नाशक का छिड़काव करें. चने के पौधों को सहारा देने के लिए बांस का उपयोग करें. फफूंद संक्रमण रोकने के लिए सुरक्षात्मक फफूंद नाशक का छिड़काव करें. यदि फसलें परिपक्कता के करीब हैं, तो जल्दी कटाई करें. ताकि नुकसान को कम किया जा सके. ओलावृष्टि के बाद नियमित रूप से खेतों का निरीक्षण करें, नुकसान का आकलन करें और समय पर सुधारात्मक उपाय करें.

ऑर्किड/बागवानी फसलों जैसे संतरा, जामुन, फूल, सब्जियां आदि में हेलनेट का उपयोग करें. शीत लहर के दौरान प्रकाश और लगातार सिंचाई प्रदान करें. स्प्रिंकलर सिंचाई से शीतलहर के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलेगी. शीत लहर के दौरान पौधों के मुख्य तने के पास मिट्टी को काली या चमकीली प्लास्टिक शीट, घास फूस या सरकंडे की घास से ढके. यह विकिरण अवशोषित कर मिट्टी को ठंडी में भी गर्म बनाये रखता है. कम तापमान के पूर्वानुमान के कारण रबी की फसलों में पाला पड़ने की संभावना है. इसलिए फसलों को पाले से बचाने के लिए रात में स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई करें.

ये भी पढ़ें: करनाल के किसान ने की कश्मीरी ऐपल बेर की ऑर्गेनिक खेती, बदल गई किस्मत, विदेशी भी आ रहे सीखने

ये भी पढ़ें: हरियाणा में बारिश और ओलावृष्टि का अलर्ट, हिसार रहा सबसे ठंडा जिला, शीतलहर की भी चेतावनी

रेवाड़ी/हिसार/चरखी दादरी/चंडीगढ़: पूरे उत्तर भारत में ठंड ने लोगों को सताना शुरू कर दिया है. कहीं शीतलहर चलने लगी है, तो कहीं पर धुंध का अलर्ट जारी हो गया है. पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के बाद अब मैदानी इलाकों में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी से ठिठुरन बढ़ गई है. चंडीगढ़-हरियाणा में पारा लगातार लुढ़क रहा है. वहीं, देर रात हुई बारिश के बाद से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है. फसलों के लिए बारिश काफी अच्छी मानी जा रही है. मौसम विभाग ने रेवाड़ी में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है.

कब शुष्क होगा मौसम: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मौसम विज्ञान विभाग ने अध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण हरियाणा के मौसम में बदलाव रहेगा. 27/28 दिसंबर को प्रदेश में मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहेगा. उत्तरी और दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्रों में कहीं-कहीं बूंदाबांदी की संभावना है. लेकिन 29 दिसंबर से मौसम शुष्क रहेगा. बरसात के बाद धुंध की संभावना जताई जा रही है. जिससे गेहूं की फसल को काफी अहम मानी जा रही है. बरसात से बीमारी भी कम होगी. साथ ही बेलदार फसल को भी फायदा रहेगा. प्रदूषण से भी राहत मिलेगी.

बारिश से खिले किसानों के चेहरे: सड़कों पर हो रहे जलभराव से भी लोगों को परेशानी हो रही है. कृषि विभाग ने रबी की फसलों के लिए बारिश को काफी फायदेमंद बताया है. चरखी दादरी में भी सुबह से बारिश हो रही है, जिसके चलते पारा लुढ़क गया है. बारिश के कारण चरखी दादरी शहर व बाढड़ा कस्बे में कई स्थानों पर जलभराव होने से वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है. वहीं, दूसरी ओर किसान भी खुश नजर आ रहे हैं. कृषि विशेषज्ञ डॉ. चंद्रभान श्योराण ने कहा कि बारिश रबी की फसलों के फायदेमंद है. बारिश ने एक सिंचाई का काम कर दिया है और इस बारिश का असर फसलों की वृद्धि पर आगामी दो दिनों में ही देखने को मिल जाएगा.

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फसल बचाव के टिप्स: मौसम वैज्ञानिकों ने हरियाणा के किसानों के लिए बारिश के समय फसलों के बचाव के टिप्स बताए हैं. जिससे किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकता है. डॉ.चंद्र मोहन ने बताया कि यह बारिश किसानों के लिए लाभदायक है. फसलों को फायदा होगा. गेहूं की फसल के लिए बारिश फायदेमंद होती है. बारिश में तापमान कम हो जाता है और पैदावार बढ़ती है. परंतु ज्यादा पानी भी फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है.

कृषकों के लिए विशेष सलाह: गेहूं एवं सरसों में सिंचाई को स्थगित करें, ताकि फसल गिरने से बच सकें. रोगों को रोकने के लिए अनुशंसित फफूंद नाशक का छिड़काव करें. चने के पौधों को सहारा देने के लिए बांस का उपयोग करें. फफूंद संक्रमण रोकने के लिए सुरक्षात्मक फफूंद नाशक का छिड़काव करें. यदि फसलें परिपक्कता के करीब हैं, तो जल्दी कटाई करें. ताकि नुकसान को कम किया जा सके. ओलावृष्टि के बाद नियमित रूप से खेतों का निरीक्षण करें, नुकसान का आकलन करें और समय पर सुधारात्मक उपाय करें.

ऑर्किड/बागवानी फसलों जैसे संतरा, जामुन, फूल, सब्जियां आदि में हेलनेट का उपयोग करें. शीत लहर के दौरान प्रकाश और लगातार सिंचाई प्रदान करें. स्प्रिंकलर सिंचाई से शीतलहर के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलेगी. शीत लहर के दौरान पौधों के मुख्य तने के पास मिट्टी को काली या चमकीली प्लास्टिक शीट, घास फूस या सरकंडे की घास से ढके. यह विकिरण अवशोषित कर मिट्टी को ठंडी में भी गर्म बनाये रखता है. कम तापमान के पूर्वानुमान के कारण रबी की फसलों में पाला पड़ने की संभावना है. इसलिए फसलों को पाले से बचाने के लिए रात में स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई करें.

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Last Updated : 16 hours ago
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