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10 सितंबर को मुहर्रम के लिए हरियाणा में प्रतिबंधित अवकाश - मुहर्रम हरियाणा

हरियाणा में 10 सितंबर को प्रतिबंधित छुट्टी घोषित की गई है. इस बार 10 सितंबर को मुहर्रम की छुट्टी प्रस्तावित है. इस दिन मातमी जुलूस और ताजिए निकाले जाएंगे. मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है.

10 सितंबर को मुहर्रम के लिए हरियाणा में प्रतिबंधित अवकाश
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Published : Sep 10, 2019, 12:10 AM IST

चंडीगढ़ः हरियाणा में 10 सितंबर को प्रतिबंधित छुट्टी घोषित की गई है. इस बार 10 सितंबर को मुहर्रम की छुट्टी प्रस्तावित है. इस दिन मातमी जुलूस और ताजिए निकाले जाएंगे. मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है. इस महीने आशूरा के दिन दुनियाभर में शिया मुसलमान इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन की इराक के कर्बला में हुई शहादत की याद में मातम मनाते हैं.

कर्बला का इतिहास
दरअसल, इस्लामिक नए साल की दस तारीख को नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन अपने 72 साथियों और परिवार के साथ मजहब-ए-इस्लाम को बचाने, हक और इंसाफ को जिंदा रखने के लिए शहीद हो गए थे. लिहाजा, मोहर्रम पर पैगंबर-ए-इस्लाम के नवासे (नाती) हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद ताजा हो जाती है. किसी शायर ने खूब ही कहा है- कत्ले हुसैन असल में मरगे यजीद है, इस्लाम जिंदा होता है हर करबला के बाद. दरअसल, करबला की जंग में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हर धर्म के लोगों के लिए मिसाल है. यह जंग बताती है कि जुल्म के आगे कभी नहीं झुकना चाहिए, चाहे इसके लिए सिर ही क्यों न कट जाए, लेकिन सच्चाई के लिए बड़े से बड़े जालिम शासक के सामने भी खड़ा हो जाना चाहिए.

holiday on muharram haryana
अवकाश के लिए जारी प्रशासनिक पत्र

क्या होता है प्रतिबंधित अवकाश ?
कुछ त्योहार ऐसे होते हैं, जो प्रतिबंधित अवकाश कहलाते हैं. ये भी त्योहारों के लिए मिलने वाले अवकाश के समान ही होते हैं और पहले से निर्धारित होते हैं. इन्हें प्रतिबंधित अवकाश (रेस्ट्रिक्टेड हॉलिडे) इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन्हें कभी बदला या स्थगित नहीं किया जा सकता. ये राष्ट्रीय या अनिवार्य अवकाशों के समान ही पूर्व निर्धारित और निश्चित होते हैं. इन त्योहारों पर मिलने वाले अवकाशों की विशेषता ये हैं कि इसे सभी धर्म को मानने वालों के लिए समान हैं, जैसे अगर कोई व्यक्ति मुस्लिम हैं और वो दिवाली, होली या दशहरा नहीं मनाता हैं, लेकिन उसे भी इन उत्सवों पर अवकाश का लाभ मिलेगा. ऐसा ही मुस्लिम त्योहार पर हिन्दू और ईसाई को भी मिल सकता हैं.

चंडीगढ़ः हरियाणा में 10 सितंबर को प्रतिबंधित छुट्टी घोषित की गई है. इस बार 10 सितंबर को मुहर्रम की छुट्टी प्रस्तावित है. इस दिन मातमी जुलूस और ताजिए निकाले जाएंगे. मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है. इस महीने आशूरा के दिन दुनियाभर में शिया मुसलमान इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन की इराक के कर्बला में हुई शहादत की याद में मातम मनाते हैं.

कर्बला का इतिहास
दरअसल, इस्लामिक नए साल की दस तारीख को नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन अपने 72 साथियों और परिवार के साथ मजहब-ए-इस्लाम को बचाने, हक और इंसाफ को जिंदा रखने के लिए शहीद हो गए थे. लिहाजा, मोहर्रम पर पैगंबर-ए-इस्लाम के नवासे (नाती) हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद ताजा हो जाती है. किसी शायर ने खूब ही कहा है- कत्ले हुसैन असल में मरगे यजीद है, इस्लाम जिंदा होता है हर करबला के बाद. दरअसल, करबला की जंग में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हर धर्म के लोगों के लिए मिसाल है. यह जंग बताती है कि जुल्म के आगे कभी नहीं झुकना चाहिए, चाहे इसके लिए सिर ही क्यों न कट जाए, लेकिन सच्चाई के लिए बड़े से बड़े जालिम शासक के सामने भी खड़ा हो जाना चाहिए.

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अवकाश के लिए जारी प्रशासनिक पत्र

क्या होता है प्रतिबंधित अवकाश ?
कुछ त्योहार ऐसे होते हैं, जो प्रतिबंधित अवकाश कहलाते हैं. ये भी त्योहारों के लिए मिलने वाले अवकाश के समान ही होते हैं और पहले से निर्धारित होते हैं. इन्हें प्रतिबंधित अवकाश (रेस्ट्रिक्टेड हॉलिडे) इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन्हें कभी बदला या स्थगित नहीं किया जा सकता. ये राष्ट्रीय या अनिवार्य अवकाशों के समान ही पूर्व निर्धारित और निश्चित होते हैं. इन त्योहारों पर मिलने वाले अवकाशों की विशेषता ये हैं कि इसे सभी धर्म को मानने वालों के लिए समान हैं, जैसे अगर कोई व्यक्ति मुस्लिम हैं और वो दिवाली, होली या दशहरा नहीं मनाता हैं, लेकिन उसे भी इन उत्सवों पर अवकाश का लाभ मिलेगा. ऐसा ही मुस्लिम त्योहार पर हिन्दू और ईसाई को भी मिल सकता हैं.

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11 सितंबर को मुहर्रम के लिए हरियाणा में प्रतिबंधित अवकाश

restricted holiday on 11 september in haryana





हरियाणा में 11 सितंबर को प्रतिबंधित छुट्टी घोषित की गई है. इस बार 11 सितंबर को मुहर्रम की छुट्टी प्रस्तावित है. इस दिन मातमी जुलूस और ताजिए निकाले जाएंगे.  मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है. इस महीने आशूरा के दिन दुनियाभर में शिया मुसलमान इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन की इराक के कर्बला में हुई शहादत की याद में मातम मनाते हैं. 



कर्बला का इतिहास

दरअसल, इस्लामिक नए साल की दस तारीख को नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन अपने 72 साथियों और परिवार के साथ मजहब-ए-इस्लाम को बचाने, हक और इंसाफ को जिंदा रखने के लिए शहीद हो गए थे. लिहाजा, मोहर्रम पर पैगंबर-ए-इस्लाम के नवासे (नाती) हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद ताजा हो जाती है. किसी शायर ने खूब ही कहा है- कत्ले हुसैन असल में मरगे यजीद है, इस्लाम जिंदा होता है हर करबला के बाद. दरअसल, करबला की जंग में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हर धर्म के लोगों के लिए मिसाल है. यह जंग बताती है कि जुल्म के आगे कभी नहीं झुकना चाहिए, चाहे इसके लिए सिर ही क्यों न कट जाए, लेकिन सच्चाई के लिए बड़े से बड़े जालिम शासक के सामने भी खड़ा हो जाना चाहिए.



क्या होता है प्रतिबंधित अवकाश

कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं, जो प्रतिबंधित अवकाश कहलाते हैं. ये  भी त्योहारों के लिए मिलने वाले अवकाश के समान ही होते हैं और पहले से निर्धारित होते हैं. इन्हें प्रतिबंधित अवकाश (रेस्ट्रिक्टेड हॉलिडे) इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इन्हें कभी बदला या स्थगित नहीं किया जा सकता. ये राष्ट्रीय या अनिवार्य अवकाशों के समान ही पूर्व निर्धारित और निश्चित होते हैं. इन त्योहारों पर मिलने वाले अवकाशों की विशेषता ये हैं कि इसे सभी धर्म को मानने वालों के लिए समान हैं, जैसे अगर कोई व्यक्ति मुस्लिम हैं और वो दिवाली, होली या दशहरा नहीं मनाता हैं, लेकिन उसे भी इन उत्सवों पर अवकाश का लाभ मिलेगा. ऐसा ही मुस्लिम त्यौहार पर हिन्दू और ईसाई को भी मिल सकता हैं. 

 


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