चंडीगढ़: शुक्रवार (11 अक्टूबर) को चंडीगढ़ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) सेंट्रल बोर्ड की बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की. बोर्ड ने अपनी 579 वीं बैठक में वर्तमान आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों और रिजर्व बैंक के संचालन के विभिन्न क्षेत्रों की समीक्षा की.
पीएमसी बैंक में घोटाले के बाद सतर्क हुई सरकार
ये बैठक खासतौर पर बैंकों की कार्यप्रणाली को बेहतर करने के मुद्दे पर केंद्रित थी, क्योंकि 1 दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी पीएमसी बैंक में करीब 4500 करोड़ के घोटाले को लेकर कहा था की ये आरबीआई की जिम्मेदारी है और आरबीआई सुनिश्चित करे कि बैंकों के साथ इस तरह के घोटाले ना हो. इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है. उन्होंने कहा था कि इस तरह के कई घोटाले सामने आ चुके हैं, जिससे बैंकों को काफी नुकसान पहुंचा है.
बैंकों की वर्तमान स्थिति को लेकर हुई चर्चा
वित्त मंत्री के इस बयान के 1 दिन बाद ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और अन्य अधिकारियों ने इसी मुद्दे पर बैठक बुलाई. इसके इलावा बोर्ड ने एनबीएफसी के साथ-साथ वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों के विनियामक और पर्यवेक्ष वास्तुकला पर विशेष ध्यान देने के साथ वित्तीय क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा की.
बोर्ड ने वित्तीय समावेश करना, स्थानीय बोर्डों की वार्षिक गतिविधि रिपोर्ट, बोर्ड की विभिन्न उप-समितियों और कुछ केंद्रीय कार्यालय विभागों के कामकाज को बढ़ाने में भुगतान बैंकों और लघु वित्त बैंकों की भूमिका पर भी चर्चा की.
आर्थिक से जुड़े अधिकारी रहे मौजूद
इस बैठक में डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन, बीपी कानूनगो ,महेश कुमार जैन और उत्तरी क्षेत्र सेंट्रल बोर्ड के निदेशक-एन चंद्रशेखरन, भारत दोशी आदि अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
क्या है पीएमसी बैंक घोटला?
बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिए गए कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगाई गई है. बैंक ने एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपये में से 6,500 करोड़ रुपये का ऋण दिया था. ये उसके कुल कर्ज का करीब 73 प्रतिशत है. पूरा कर्ज पिछले दो-तीन साल से एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) बनी हुई है.
अब तक क्या हुई कार्रवाई?
बैंक के पूर्व अध्यक्ष और एचडीआईएल के दो निदेशकों की पुलिस हिरासत को अदालत ने बुधवार को 14 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दियाल है. ये मामला 4,355 करोड़ रुपये के घोटाले का है. पीएमसी बैंक फिलहाल रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक के अंतर्गत काम कर रहा है. बैंक के पूर्व प्रबंधकों की पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा जांच कर रही है. इसके अलावा इस अवधि में बैंक द्वारा नया कर्ज देने पर भी आरबीआई ने रोक लगाई हुई है.