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Ram Rahim Parole Case: हरियाणा सरकार का नया कानून बना राम रहीम के लिए रामबाण, जानिए कैसे मिल रही बार-बार पैरोल

रेप और हत्या के दोषी राम रहीम (Ram Rahim Parole Case) को कौन दे रहा पैरोल. हरियाणा सरकार ने जुलाई 2022 में किसके लिए बदल दिया पैरोल का नियम. पैरोल सरकार देती है या कोर्ट. ये ऐसे सवाल हैं जो राम रहीम को पैरोल दिये जाने पर लोग पूछ रहे हैं. इन्हीं सब सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने बातचीत की पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एचसी अरोड़ा से. हरियाणा में पैरोल का नियम जानकर आप हैरान रह जायेंगे.

Ram Rahim Parole Case
Ram Rahim Parole Case
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Published : Jan 27, 2023, 8:17 PM IST

क्या राम रहीम के लिए सरकार ने बदल दिया कानून

चंडीगढ़: सिरसा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और साध्वियों के साथ रेप समेत हत्या के मामले में दोषी गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने का मामला कटघरे में है. हरियाणा की बीजेपी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि राजनीतिक लाभ के लिए सरकार राम रहीम को बार-बार पैरोल दे रही है. लेकिन सरकार इसके लिए कानून का हवाला देकर किनारा कर लेती है. जानकार मानते हैं कि हरियाणा सरकार के कानून ही राम रहीम की मदद कर रहे हैं. राम रहीम को पैरोल देने में सरकार की कितनी भूमिका है इसको लेकर ईटीवी भारत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एचसी अरोड़ा से बातचीत की.

हरियाणा में पैरोल का नियम- हरियाणा में कैदियों को पैरोल मिलने के मामले में एचसी अरोड़ा कहते हैं कि 1998 में पंजाब और हरियाणा में पैरोल देने के लिए अलग कानून था. पैरोल लेने के लिए कैदी को पहले कारण बताना होता था. जिसके तहत अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग अवधि तय की गई थी. लेकिन जुलाई 2022 में हरियाणा सरकार ने कानून बदल दिया. इस नये नियम के तहत हार्डकोर अपराधियों की परिभाषा बदल दी गई और पैरोल किसी भी कैदी को मिलने लगा. एचसी अरोड़ा के मुताबिक हरियाणा में अब पैरोल लेने के लिए कोई कारण बताना भी जरूरी नहीं है. इसमें रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधी भी शामिल हैं.

बिना कारण बताये दी जाती है पैरोल- एचसी अरोड़ा कहते हैं कि जिन कैदियों को पहले 5 साल सजा पूरी होने तक पैरोल नहीं मिलती थी, उनको भी अब हरियाणा में पैरोल मिलने लगी. जेल जाने के पहले दिन से ही वो पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है. इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने 1 साल में 10 सप्ताह की पैरोल मिलने का नियम भी बना दिया. उसमें कैदियों का कोई भी वर्गीकरण नहीं किया गया है. सामान्य और हार्ड कोर अपराधी सभी इसका फायाद उठा सकते हैं. कैदी साल में दो बार कभी भी 10 हफ्ते की पैरोल ले सकता है, वो भी बिना वजह बताये. हरियाणा सरकार इस मामले में बहुत ही लिबरल हो गई है. समझ नहीं आता कि कैदी घर से जेल आते हैं या जेल से घर जाते हैं. जिस तरीके से नियमों में बदलाव किया गया उसको देखकर लगता है कि राम रहीम के लिए ही यह सब हुआ है, हालांकि इसका फायदा सभी कैदियों को मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- रेप का दोषी राम रहीम आज आ सकता है जेल से बाहर, 14 महीने में चौथी बार मिली पैरोल

मैंने एक बार पंजाब में एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें मैंने मांग की थी कि रेप जैसे मामलों के दोषियों को रियायत नहीं दी जानी चाहिए. पंजाब सरकार ने वो बात मान ली थी. पंजाब में अब 15 अगस्त हो गया 26 जनवरी, रेप के दोषी को इस तरीके की छूट नहीं मिलती. हरियाणा सरकार के लिए लगता है वोट बैंक ही सबकुछ है. तभी तो कोई भी कैदी 90 दिन की पैरोल ले सकता है. इतनी छुट्टी फौज में नहीं मिलती, जितनी कैदी पैरोल ले लेते हैं. एचसी अरोड़ा, वरिष्ठ अधिवक्ता, पंजाब एवं हरियाणा होईकोर्ट


राम रहीम एक हजार कैदियों के बराबर- पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिकवक्ता कहा कहना है कि लॉ एंड ऑर्डर और जेल राज्य सरकार का सब्जेक्ट है. कम से कम रेप जैसे मामलों में तो कम सरकार को एक संदेश देना ही चाहिए. यानी रेप के मामलों में सरकार को जीरो टॉलरेंस की थ्योरी अपनानी चाहिए. लेकिन यह तो सभी तरह के अपराधियों को बराबर समझते हैं. जिस शख्स ने रेप किया और हत्या भी की हो वह हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में आता है. उसको पहले 5 साल तक पैरोल नहीं मिलती थी. लेकिन हरियाणा ने तो नियम ही बदल दिया.

एचसी अरोड़ा कहते हैं कि मैं हरियाणा सरकार द्वारा दी जाने रियायत पर सवाल नहीं उठा रहा लेकिन राम रहीम को हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में रखा जाना चाहिए. पंजाब के मुकाबले हरियाणा सरकार पैरोल के मामले में बहुत लिबरल है. कहने को तो कहा जाता है कि कानून सभी कैदियों के लिए है लेकिन वो एक कैदी यानी राम रहीम हजारों कैदियों के बराबर है. राम रहीम के श्रद्धालुओं की संख्या इतनी ज्यादा है कि सरकार उन्हें नाराज नहीं करना चाहती.

ये भी पढ़ें- राम रहीम की नहीं बढ़ेगी पैरोल, जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला बोले- नियमानुसार 40 दिन की है पैरोल अवधि

पैरोल कौन देता है- एचसी अरोड़ा कहते हैं कि सरकार में एक अधिकारी इस मामले के लिए कंपिटेंट अथॉरिटी नियुक्त होता है. जैसे डिवीजनल कमिश्नर कंपीटींट अथॉरिटी बनाया गया है. किसी कर्मचारी की ट्रांसफर करनी है या नहीं करनी है, अगर मुख्यमंत्री फोन कर दे तो फिर कौन उसमें हस्तक्षेप कर सकता है. यह सब एडमिनिस्ट्रेटिव मामला है. इस मामले में कोर्ट का कोई लेना देना नहीं है. कोर्ट का मामला तो तब होता है अगर उन्हें पैरोल ना मिले और वे कोर्ट में एप्लीकेशन लगाएं. सरकार ही सब कुछ करती है. हरियाणा सरकार ने ऐसा कानून बना दिया है कि डिवीजनल कमिश्नर भी पैरोल देने से इनकार नहीं कर सकता.

राम रहीम को कब-कब पैरोल मिली- रेप और हत्या के दोषी डेरा प्रमुख राम रहीम ने 24 अक्टूबर 2020 को अपनी मां से मिलने के लिए एक दिन की पैरोल ली थी. 17 मई 2021 को मांग की बीमारी का हवाला देकर उसने फिर से पैरोल ली. राम रहीम को पहली बार 7 फरवरी 2022 को 21 दिन की फरलो मिली थी. उसके बाद 17 जून को 30 दिन की पैरोल. और अक्टूबर 2022 में एक बार फिर 40 दिन की पैरोल दी गई.

पैरोल के दौरान राम रहीम बाकायदा ऑनलाइन सत्संग भी कर रहा है. उसके सत्संग में बीजेपी के नेता भी शामिल हो रहे हैं. राम रहीम यूपी के बागपत डेरे में है. हरियाणा के सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम दो साध्वियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में 2017 में सजा सुनाई गई थी. वो पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड और डेरे के मैनेजर रहे रणजीत हत्याकांड में भी सजायाफ्ता है. फिलहाल राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है.

ये भी पढ़ें- बरगाड़ी बेअदबी मामला, पंजाब से बाहर केस की सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

क्या राम रहीम के लिए सरकार ने बदल दिया कानून

चंडीगढ़: सिरसा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और साध्वियों के साथ रेप समेत हत्या के मामले में दोषी गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने का मामला कटघरे में है. हरियाणा की बीजेपी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि राजनीतिक लाभ के लिए सरकार राम रहीम को बार-बार पैरोल दे रही है. लेकिन सरकार इसके लिए कानून का हवाला देकर किनारा कर लेती है. जानकार मानते हैं कि हरियाणा सरकार के कानून ही राम रहीम की मदद कर रहे हैं. राम रहीम को पैरोल देने में सरकार की कितनी भूमिका है इसको लेकर ईटीवी भारत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एचसी अरोड़ा से बातचीत की.

हरियाणा में पैरोल का नियम- हरियाणा में कैदियों को पैरोल मिलने के मामले में एचसी अरोड़ा कहते हैं कि 1998 में पंजाब और हरियाणा में पैरोल देने के लिए अलग कानून था. पैरोल लेने के लिए कैदी को पहले कारण बताना होता था. जिसके तहत अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग अवधि तय की गई थी. लेकिन जुलाई 2022 में हरियाणा सरकार ने कानून बदल दिया. इस नये नियम के तहत हार्डकोर अपराधियों की परिभाषा बदल दी गई और पैरोल किसी भी कैदी को मिलने लगा. एचसी अरोड़ा के मुताबिक हरियाणा में अब पैरोल लेने के लिए कोई कारण बताना भी जरूरी नहीं है. इसमें रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधी भी शामिल हैं.

बिना कारण बताये दी जाती है पैरोल- एचसी अरोड़ा कहते हैं कि जिन कैदियों को पहले 5 साल सजा पूरी होने तक पैरोल नहीं मिलती थी, उनको भी अब हरियाणा में पैरोल मिलने लगी. जेल जाने के पहले दिन से ही वो पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है. इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने 1 साल में 10 सप्ताह की पैरोल मिलने का नियम भी बना दिया. उसमें कैदियों का कोई भी वर्गीकरण नहीं किया गया है. सामान्य और हार्ड कोर अपराधी सभी इसका फायाद उठा सकते हैं. कैदी साल में दो बार कभी भी 10 हफ्ते की पैरोल ले सकता है, वो भी बिना वजह बताये. हरियाणा सरकार इस मामले में बहुत ही लिबरल हो गई है. समझ नहीं आता कि कैदी घर से जेल आते हैं या जेल से घर जाते हैं. जिस तरीके से नियमों में बदलाव किया गया उसको देखकर लगता है कि राम रहीम के लिए ही यह सब हुआ है, हालांकि इसका फायदा सभी कैदियों को मिल रहा है.

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मैंने एक बार पंजाब में एक जनहित याचिका लगाई थी. जिसमें मैंने मांग की थी कि रेप जैसे मामलों के दोषियों को रियायत नहीं दी जानी चाहिए. पंजाब सरकार ने वो बात मान ली थी. पंजाब में अब 15 अगस्त हो गया 26 जनवरी, रेप के दोषी को इस तरीके की छूट नहीं मिलती. हरियाणा सरकार के लिए लगता है वोट बैंक ही सबकुछ है. तभी तो कोई भी कैदी 90 दिन की पैरोल ले सकता है. इतनी छुट्टी फौज में नहीं मिलती, जितनी कैदी पैरोल ले लेते हैं. एचसी अरोड़ा, वरिष्ठ अधिवक्ता, पंजाब एवं हरियाणा होईकोर्ट


राम रहीम एक हजार कैदियों के बराबर- पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिकवक्ता कहा कहना है कि लॉ एंड ऑर्डर और जेल राज्य सरकार का सब्जेक्ट है. कम से कम रेप जैसे मामलों में तो कम सरकार को एक संदेश देना ही चाहिए. यानी रेप के मामलों में सरकार को जीरो टॉलरेंस की थ्योरी अपनानी चाहिए. लेकिन यह तो सभी तरह के अपराधियों को बराबर समझते हैं. जिस शख्स ने रेप किया और हत्या भी की हो वह हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में आता है. उसको पहले 5 साल तक पैरोल नहीं मिलती थी. लेकिन हरियाणा ने तो नियम ही बदल दिया.

एचसी अरोड़ा कहते हैं कि मैं हरियाणा सरकार द्वारा दी जाने रियायत पर सवाल नहीं उठा रहा लेकिन राम रहीम को हार्डकोर क्रिमिनल की श्रेणी में रखा जाना चाहिए. पंजाब के मुकाबले हरियाणा सरकार पैरोल के मामले में बहुत लिबरल है. कहने को तो कहा जाता है कि कानून सभी कैदियों के लिए है लेकिन वो एक कैदी यानी राम रहीम हजारों कैदियों के बराबर है. राम रहीम के श्रद्धालुओं की संख्या इतनी ज्यादा है कि सरकार उन्हें नाराज नहीं करना चाहती.

ये भी पढ़ें- राम रहीम की नहीं बढ़ेगी पैरोल, जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला बोले- नियमानुसार 40 दिन की है पैरोल अवधि

पैरोल कौन देता है- एचसी अरोड़ा कहते हैं कि सरकार में एक अधिकारी इस मामले के लिए कंपिटेंट अथॉरिटी नियुक्त होता है. जैसे डिवीजनल कमिश्नर कंपीटींट अथॉरिटी बनाया गया है. किसी कर्मचारी की ट्रांसफर करनी है या नहीं करनी है, अगर मुख्यमंत्री फोन कर दे तो फिर कौन उसमें हस्तक्षेप कर सकता है. यह सब एडमिनिस्ट्रेटिव मामला है. इस मामले में कोर्ट का कोई लेना देना नहीं है. कोर्ट का मामला तो तब होता है अगर उन्हें पैरोल ना मिले और वे कोर्ट में एप्लीकेशन लगाएं. सरकार ही सब कुछ करती है. हरियाणा सरकार ने ऐसा कानून बना दिया है कि डिवीजनल कमिश्नर भी पैरोल देने से इनकार नहीं कर सकता.

राम रहीम को कब-कब पैरोल मिली- रेप और हत्या के दोषी डेरा प्रमुख राम रहीम ने 24 अक्टूबर 2020 को अपनी मां से मिलने के लिए एक दिन की पैरोल ली थी. 17 मई 2021 को मांग की बीमारी का हवाला देकर उसने फिर से पैरोल ली. राम रहीम को पहली बार 7 फरवरी 2022 को 21 दिन की फरलो मिली थी. उसके बाद 17 जून को 30 दिन की पैरोल. और अक्टूबर 2022 में एक बार फिर 40 दिन की पैरोल दी गई.

पैरोल के दौरान राम रहीम बाकायदा ऑनलाइन सत्संग भी कर रहा है. उसके सत्संग में बीजेपी के नेता भी शामिल हो रहे हैं. राम रहीम यूपी के बागपत डेरे में है. हरियाणा के सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम दो साध्वियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में 2017 में सजा सुनाई गई थी. वो पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड और डेरे के मैनेजर रहे रणजीत हत्याकांड में भी सजायाफ्ता है. फिलहाल राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है.

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