चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार चंडीगढ़ 2020-21 चंडीगढ़ की आबकारी नीति को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई की. इस केस के बारे में जस्टिस राजन गुप्ता और करमजीत सिंह की खंडपीठ ने बताया कि नोटिस और दावा तब आया जब कुछ डिपार्टमेंटल स्टोर्स को विदेशी शराब बेचने का लाइसेंस 20 लाख रुपये में दिया गया, जबकि L-2 के खुदरा विक्रेताओं को लाइसेंस के रूप में लगभग 4 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ा.
याची राजबीर सिंह की तरफ से दायर याचिका वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के लिए आई थी, इस सुनवाई में याची की तरफ से पेश वकील आनंद छिब्बर ने प्रशासन द्वारा अपनाई गई आबकारी नीति को पूरी तरह से मनमाना और विधायी सीमा के दायरे से परे बताया. इस मामले में खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन और अन्य उत्तरदाताओं को 8 जुलाई के लिए प्रस्ताव का नोटिस भी जारी किया.
'सिर्फ 5 लोगों को होलसेल शराब बेचने का हक'
याची के वकील छिब्बर ने कोर्ट के सामने दलील दी कि नीति कुछ लोगों की कंपनियों के माध्यम से कुछ व्यक्तियों के कार्टेलिजेशन और एकाधिकार को बढ़ावा देने वाली है. याचिकाकर्ता ने दायर याचिका में बताया गया कि इस पॉलिसी के तहत देश में बने विदेशी ब्रांड की शराब की होलसेल करने वालों की संख्या सिर्फ पांच है. इन्हीं से सभी रिटेलर को यह ब्रांड लेने पड़ते हैं. ऐसे में इस पूरे क्षेत्र में कुछ खास लोगों का एकाधिकार होता जा रहा है.
कोर्ट ने प्रशासन से मांगा जवाब
याचिकाकर्ता ने बताया कि लाइसेंस एल10-बी की वजह से भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. इस लाइसेंस के चलते कुछ खास डिपार्टमेंटल स्टोर जो कि 10 शर्ते पूरी करते हैं, उन्हें विदेशी ब्रांड रखने की इजाजत दी गई है. इसका लाइसेंस फीस महज 20 लाख रुपए है. इस मामाले हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
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