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नाबालिग की मर्जी से शादी करने वाला रखता है अभिभावक होने का अधिकार: HC - शादी नाबालिक अभिभावक का अधिकार

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट-1956 का हवाला देते हुए कहा कि नाबालिग की मर्जी से शादी करने वाला अभिभावक होने का अधिकार रखता है.

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नाबालिग की मर्जी से शादी करने वाला रखता है अभिवावक होने का अधिकार
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Published : Jun 8, 2021, 10:58 PM IST

Updated : Jun 9, 2021, 6:40 AM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab And Haryana High Court) ने फैसला सुनाया है कि अगर कोई नाबालिक लड़की किसी पुरुष के साथ विवाह करती है. ऐसे में वो शख्स उसका स्वाभाविक अभिभावक (Right To Guardian) होने का अधिकार रखता है. कोर्ट ने कहा कि यह हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट 1956 के तहत हो सकता है.

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने ये फैसला पानीपत के एक शख्स की याचिका पर सुनावाई करते हुए कहा है. पानीपत में युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कहा गया था कि उसने नाबालिग मुस्लिम लड़की का अपहरण किया है.

लड़के और लड़की में पति-पत्नी का रिश्ता- कोर्ट

इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए युवक ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिस पर हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस गिल ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की. हाईकोर्ट के जस्टिस ने कहा कि नाबालिग लड़की ने लड़के से अपनी इच्छा से विवाह किया है. ऐसे में हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट-1956 (Hindu Minority and Guardianship Act-1956) के अनुसार युवक और लड़की का पति-पत्नी का रिश्ता है और युवक उस नाबालिग लड़की का स्वभाव एक अभिभावक का अधिकार रखता है.

ये पढ़ें- भाग कर शादी करने वाले दंपतियों को सुरक्षित घर उपलब्ध करवाना जरूरी- हाई कोर्ट

युवक पर अपहरण का केस नहीं बनता- कोर्ट

याचिका में युवक ने यह भी कहा था कि लड़की ने अपनी इच्छा से उससे शादी की है ना कि वो लड़की को घर से भगा कर लेकर आया. उसके पास मैरिज सर्टिफिकेट भी है जो कि संबंधित थाने में दिखाया भी गया. इस मामले में कोर्ट ने कहा कि युवक पर अपहरण का केस नहीं बनता. वहीं कोर्ट और अधिकारियों के समक्ष लड़की ने अपने बयानों में कबूल किया कि उसने अपनी मर्जी से उस व्यक्ति से शादी की थी और वह अपने पति के साथ रह रही है और उसी के साथ रहना चाहती है.

ये पढ़ें- अदालतों को सुनिश्चित करना होगा कि घर में बच्चों को सही परवरिश मिले: हाईकोर्ट

'नाबालिग ने अपनी मर्जी से पार्टनर चुना'

कोर्ट ने कहां की लड़की कथित तौर पर शादी के समय नाबालिग थी, लेकिन यह तथ्य यह भी कहते हैं कि उसने याचिकाकर्ता के साथ अपनी मर्जी से शादी की थी. कोर्ट ने कहा कि गार्जियनशिप एंड वाइज एक्ट 1890 के तहत माता-पिता कानूनी अभिभावक होते हैं और क्योंकि यह शादी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत अवैध ठहराए जाने योग्य है, लेकिन दंपत्ती ने माता-पिता की मर्जी के विरुद्ध जाकर अपने पार्टनर का चयन किया और दोनों साथ रहकर अपना रिश्ता निभा रहे हैं, ऐसे में यह कोर्ट गार्जियंस एंड वार्डस एक्ट 1890 की धारा 25 के तहत इन तथ्यों का संज्ञान ले सकता है.

युवक को मिला अभिभावक का अधिकार

कोर्ट ने कहा कि लड़की का कल्याण सबसे ऊपर है. जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ऐसे में क्योंकि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और अपनी ससुराल में वह खुश है. इसलिए याचिकाकर्ता पर कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता. कोर्ट की तरफ से युवक की याचिका को मंजूर किया गया. इसके साथ ही उसे स्वाभाविक अभिभावक का अधिकार भी दिया गया.

ये पढ़ें- चंडीगढ़: हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से अगली सुनवाई पर मांगा जवाब, क्या हिंदू धर्म अपनाने के लिए एफिडेविट काफी है?

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab And Haryana High Court) ने फैसला सुनाया है कि अगर कोई नाबालिक लड़की किसी पुरुष के साथ विवाह करती है. ऐसे में वो शख्स उसका स्वाभाविक अभिभावक (Right To Guardian) होने का अधिकार रखता है. कोर्ट ने कहा कि यह हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट 1956 के तहत हो सकता है.

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने ये फैसला पानीपत के एक शख्स की याचिका पर सुनावाई करते हुए कहा है. पानीपत में युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कहा गया था कि उसने नाबालिग मुस्लिम लड़की का अपहरण किया है.

लड़के और लड़की में पति-पत्नी का रिश्ता- कोर्ट

इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए युवक ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिस पर हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस गिल ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की. हाईकोर्ट के जस्टिस ने कहा कि नाबालिग लड़की ने लड़के से अपनी इच्छा से विवाह किया है. ऐसे में हिंदू माइनॉरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट-1956 (Hindu Minority and Guardianship Act-1956) के अनुसार युवक और लड़की का पति-पत्नी का रिश्ता है और युवक उस नाबालिग लड़की का स्वभाव एक अभिभावक का अधिकार रखता है.

ये पढ़ें- भाग कर शादी करने वाले दंपतियों को सुरक्षित घर उपलब्ध करवाना जरूरी- हाई कोर्ट

युवक पर अपहरण का केस नहीं बनता- कोर्ट

याचिका में युवक ने यह भी कहा था कि लड़की ने अपनी इच्छा से उससे शादी की है ना कि वो लड़की को घर से भगा कर लेकर आया. उसके पास मैरिज सर्टिफिकेट भी है जो कि संबंधित थाने में दिखाया भी गया. इस मामले में कोर्ट ने कहा कि युवक पर अपहरण का केस नहीं बनता. वहीं कोर्ट और अधिकारियों के समक्ष लड़की ने अपने बयानों में कबूल किया कि उसने अपनी मर्जी से उस व्यक्ति से शादी की थी और वह अपने पति के साथ रह रही है और उसी के साथ रहना चाहती है.

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'नाबालिग ने अपनी मर्जी से पार्टनर चुना'

कोर्ट ने कहां की लड़की कथित तौर पर शादी के समय नाबालिग थी, लेकिन यह तथ्य यह भी कहते हैं कि उसने याचिकाकर्ता के साथ अपनी मर्जी से शादी की थी. कोर्ट ने कहा कि गार्जियनशिप एंड वाइज एक्ट 1890 के तहत माता-पिता कानूनी अभिभावक होते हैं और क्योंकि यह शादी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत अवैध ठहराए जाने योग्य है, लेकिन दंपत्ती ने माता-पिता की मर्जी के विरुद्ध जाकर अपने पार्टनर का चयन किया और दोनों साथ रहकर अपना रिश्ता निभा रहे हैं, ऐसे में यह कोर्ट गार्जियंस एंड वार्डस एक्ट 1890 की धारा 25 के तहत इन तथ्यों का संज्ञान ले सकता है.

युवक को मिला अभिभावक का अधिकार

कोर्ट ने कहा कि लड़की का कल्याण सबसे ऊपर है. जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ऐसे में क्योंकि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और अपनी ससुराल में वह खुश है. इसलिए याचिकाकर्ता पर कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं हो सकता. कोर्ट की तरफ से युवक की याचिका को मंजूर किया गया. इसके साथ ही उसे स्वाभाविक अभिभावक का अधिकार भी दिया गया.

ये पढ़ें- चंडीगढ़: हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से अगली सुनवाई पर मांगा जवाब, क्या हिंदू धर्म अपनाने के लिए एफिडेविट काफी है?

Last Updated : Jun 9, 2021, 6:40 AM IST
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