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FIR में शिकायतकर्ता संशोधन करवा सकता है, किसी इंसान की फोटोग्राफिक मेमोरी नहीं होती: HC

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि जब किसी मामले में कोई एफआईआर दर्ज होती है तो बाद में शिकायतकर्ता को कोई बात याद आती है तो वह उसे शामिल करवा सकता है.

punjab and haryana high court said complainant in fir can get amended
FIR में शिकायतकर्ता संशोधन करवा सकता है, किसी इंसान की फोटोग्राफिक मेमेरी नहीं होती: HC
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Published : Jul 15, 2020, 11:09 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में यौन शोषण से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिल खेत्रपाल बड़ा स्टेटमेंट दिया. जस्टिस खेत्रपाल ने एक महिला द्वारा अपनी ही बेटी का यौन उत्पीड़न करने के केस में कहा कि इंसान-इंसान होता है, उससे फोटोग्राफिक मेमोरी मशीन जैसी उम्मीद नहीं की जा सकती. बता दें कि जस्टिस ने ये स्टेटमेंट दोषी ठहराई गई महिला समेत दो दोषियों की तरफ से याचिका को खारिज करते हुए दी.

बताया जा रहा है कि दोषी महिला अपने पति से अलग रह रही थी और उसका बहन के पति के साथ अवैध संबंध था. महिला के बहनोई ने उसकी बेटी का यौन शोषण करने की भी कोशिश की थी, महिला ने बेटी का साथ देने के बजाय अपने बहनोई का पक्ष लिया.

जिला अदालत में दोषी ठहराई गई थी महिला

पीड़ित लड़की ने नवंबर 2014 में चंडीगढ़ पुलिस की ओपन विंडो में शिकायत की थी. जिसके बाद लड़की की मां और मौसा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इस शिकायत के बाद महिला और उसके बहनोई दोनों को जिला अदालत चंडीगढ़ द्वारा दोषी ठहराया गया. इस सजा के खिलाफ दोनों ने हाई कोर्ट में अपील दायर कर सजा कर सजा को चुनौती दी.

हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

जस्टिस के अनुसार शिकायतकर्ता बार-बार समय और तारीख बदल रही है. हाईकोर्ट ने यह भी साफ कहा कि जब किसी मामले में कोई एफआईआर दर्ज होती है तो बाद में शिकायतकर्ता को कोई बात याद आती है तो वह उसे शामिल करवा सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता या गवाह से कोई फोटोग्राफिक मेमोरी की उम्मीद नहीं की जा सकती.

ये भी पढ़िए: करनाल: CBSE 12वीं में 99.6 अंक लेकर पुलकित अग्गी ने जिले में किया टॉप

चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में यौन शोषण से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिल खेत्रपाल बड़ा स्टेटमेंट दिया. जस्टिस खेत्रपाल ने एक महिला द्वारा अपनी ही बेटी का यौन उत्पीड़न करने के केस में कहा कि इंसान-इंसान होता है, उससे फोटोग्राफिक मेमोरी मशीन जैसी उम्मीद नहीं की जा सकती. बता दें कि जस्टिस ने ये स्टेटमेंट दोषी ठहराई गई महिला समेत दो दोषियों की तरफ से याचिका को खारिज करते हुए दी.

बताया जा रहा है कि दोषी महिला अपने पति से अलग रह रही थी और उसका बहन के पति के साथ अवैध संबंध था. महिला के बहनोई ने उसकी बेटी का यौन शोषण करने की भी कोशिश की थी, महिला ने बेटी का साथ देने के बजाय अपने बहनोई का पक्ष लिया.

जिला अदालत में दोषी ठहराई गई थी महिला

पीड़ित लड़की ने नवंबर 2014 में चंडीगढ़ पुलिस की ओपन विंडो में शिकायत की थी. जिसके बाद लड़की की मां और मौसा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इस शिकायत के बाद महिला और उसके बहनोई दोनों को जिला अदालत चंडीगढ़ द्वारा दोषी ठहराया गया. इस सजा के खिलाफ दोनों ने हाई कोर्ट में अपील दायर कर सजा कर सजा को चुनौती दी.

हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

जस्टिस के अनुसार शिकायतकर्ता बार-बार समय और तारीख बदल रही है. हाईकोर्ट ने यह भी साफ कहा कि जब किसी मामले में कोई एफआईआर दर्ज होती है तो बाद में शिकायतकर्ता को कोई बात याद आती है तो वह उसे शामिल करवा सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता या गवाह से कोई फोटोग्राफिक मेमोरी की उम्मीद नहीं की जा सकती.

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