चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बालिग लड़कियों को अपनी पसंद का साथी चुनने और जहां भी चाहे रहने-जीने का हक है. हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसे मामलों में अदालत उन पर किसी भी प्रतिबंध को लागू करने के लिए अभिभावक की भूमिका नहीं निभा सकती.
बता दें कि हाई कोर्ट ने ये फैसला एक व्यक्ति द्वारा अपनी बेटी को खुद को सौंपने के लिए दायर याचिका पर दिया. याचिकार्ता की दो बेटियां घर से भाग गई थी. पिता की याचिका दायर करने के बाद पूछने पर उन्होंने माता-पिता के साथ रहने से इंकार कर दिया.
हाई कोर्ट ने हरियाणा के नूंह जिले की इन दो बालिग लड़कियों को उनकी पसंद की जगह पर रहने की इजाजत दे दी. बता दें कि इस व्यक्ति ने याचिका दायर कर पुलिस को उसकी बेटियों की खोज करने के निर्देश देने की मांग की थी. उसका आरोप था कि कुछ व्यक्तियों ने उसकी बेटियों को बंधक बनाकर रखा हुआ है.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उसकी बेटियां अविवाहित हैं, दोनों अपने घर से कुछ पैसे और आभूषण के साथ कुछ व्यक्तियों द्वारा अपहृत कर ली गई हैं. उसने 13 जुलाई 2020 को इस संबंध में नूंह के एसपी को शिकायत भी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. 11 अगस्त को हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में याचिका में नामित निजी व्यक्तियों के परिसर में जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त किया गया, लेकिन याचिका में बताए गए स्थान पर लड़कियां नहीं मिली.
फिर 25 सितंबर को लड़कियों ने हाई कोर्ट में अपने वकील के माध्यम से अपने अपहरण की बात को नकारा. इस पर हाई कोर्ट ने उन्हें चंडीगढ़ के नारी निकेतन में रखने के आदेश दिए और चंडीगढ़ के न्यायिक मजिस्ट्रेट से लड़कियों के बयान रिकॉर्ड करने के लिए कहा. जिसके समक्ष लड़कियों ने अपने बयान में बताया कि उन्होंने अपने घर छोड़ा है, क्योंकि उन दोनों के साथ उनके मामा के बेटों ने दुष्कर्म किया था.
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लड़कियों ने बताया कि जब उन्होंने पिता को इस घटना के बारे में बताया तो उन्होंने उनको ही पीटा औकर फटकार लगाई. लड़कियों के अनुसार ही शोषण और गलत व्यवहार के कारण उन्होंने अपने घर को छोड़ दिया था.