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पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा की हिस्सेदारी मामला: भगवंत मान की मनाही के बाद बैठक बेनतीजा, मनोहर लाल ने कही ये बात - सीएम भगवंत मान

पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्सेदारी के मामले को लेकर हुई बैठक (PU haryana equity meeting update) में आज किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है. अब इस संबंध में 3 जुलाई को अगली बैठक होगी.

PU haryana equity meeting update
पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा की हिस्सेदारी मामला
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Published : Jun 5, 2023, 1:47 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को लेकर आज फिर से चंडीगढ़ प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की अध्यक्षता में बैठक हुई. इस बैठक में हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ-साथ दोनों राज्यों के मुख्य सचिव भी मौजूद रहे. आज की बैठक भी पिछली बैठक की तरह ही बेनतीजा रही. अब अगली बैठक 3 जुलाई को सुबह 11 बजे होगी. बैठक में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय का विकल्प मिलना चाहिए. कॉलेज के एफिलिएशन से विश्वविद्यालय में हरियाणा के छात्र भी शिक्षा ले पाएंगे.


चंडीगढ़ प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि ज्ञान की गंगा हमेशा बहती रहनी चाहिए, तक्षशिला, नालंदा के वक्त से हमारी संस्कृति ने ज्ञान दिया है. लेकिन हरियाणा के युवाओं और शिक्षा के शेयर के खिलाफ पंजाब के सीएम भगवंत मान फिर भी अड़े रहे. जबकि पंजाब विश्व विद्यालय के मुताबिक पंजाब सरकार, विश्वविद्यालय में अपना वित्तीय शेयर नहीं दे रही है. विश्वविद्यालय को केंद्र की तरफ से पिछले 10 सालों में औसतन 200-300 करोड़ रुपये प्रति वर्ष मिले हैं.

ये भी पढ़ें : क्या है पंजाब यूनिवर्सिटी का मामला? हरियाणा के ग्रांट देने के बाद जानें क्या होगा असर

जबकि पंजाब की तरफ से पिछले 10 सालों में केवल औसतन 20-21 करोड़ रुपये ही मिले हैं. पंजाब की तरफ से 40 फीसदी हिस्से के मुकाबले में 7 से 14 फीसदी ही मिल पाता है. इस बैठक में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के युवाओं और कॉलेज को पंजाब विश्वविद्यालय का विकल्प मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि कॉलेज के एफिलिएशन से विश्वविद्यालय में हरियाणा के छात्र भी शिक्षा ले पाएंगे.

वहीं चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय को लेकर हुई बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि 1970 में जब बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. उस वक्त उन्होंने अपनी मर्जी से विश्व विद्यालय से हिस्सा निकाल लिया था. इस दौरान जो कॉलेज पीयू से जुड़े थे, उनको कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से जोड़ लिया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पीयू को 40 प्रतिशत फंड पंजाब दे रहा है.

ये भी पढ़ें : पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के सीएम की बैठक, इन अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

उन्होंने कहा कि हिमाचल ने भी अपनी मर्जी से हिस्सेदारी छोड़ी थी. इसके बाद पीयू को केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनाने का खेल चला. भगवंत मान ने इस दौरान 26 अगस्त 2008 को पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी भी दिखाई. जिसमें उन्होंने पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने को लेकर किसी तरह का ऑब्जेक्शन न होने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी कि इसे सेंट्रल बॉडी न बनाएं.

इसके बाद पंजाब विधानसभा में पिछले वर्ष 30 जून को प्रस्ताव भी पास किया गया. जिसमें कहा गया कि केंद्र पीयू में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह इंटरस्टेट बॉडी ही रहेगी. पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी तरफ से इसको लेकर मनाही है. इस दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि क्या हरियाणा वाले कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी को ऐसा नहीं बना सके, जिससे यहां के स्टूडेंट पंजाब यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने की बात कह रहे हैं.

चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को लेकर आज फिर से चंडीगढ़ प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की अध्यक्षता में बैठक हुई. इस बैठक में हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ-साथ दोनों राज्यों के मुख्य सचिव भी मौजूद रहे. आज की बैठक भी पिछली बैठक की तरह ही बेनतीजा रही. अब अगली बैठक 3 जुलाई को सुबह 11 बजे होगी. बैठक में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय का विकल्प मिलना चाहिए. कॉलेज के एफिलिएशन से विश्वविद्यालय में हरियाणा के छात्र भी शिक्षा ले पाएंगे.


चंडीगढ़ प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि ज्ञान की गंगा हमेशा बहती रहनी चाहिए, तक्षशिला, नालंदा के वक्त से हमारी संस्कृति ने ज्ञान दिया है. लेकिन हरियाणा के युवाओं और शिक्षा के शेयर के खिलाफ पंजाब के सीएम भगवंत मान फिर भी अड़े रहे. जबकि पंजाब विश्व विद्यालय के मुताबिक पंजाब सरकार, विश्वविद्यालय में अपना वित्तीय शेयर नहीं दे रही है. विश्वविद्यालय को केंद्र की तरफ से पिछले 10 सालों में औसतन 200-300 करोड़ रुपये प्रति वर्ष मिले हैं.

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जबकि पंजाब की तरफ से पिछले 10 सालों में केवल औसतन 20-21 करोड़ रुपये ही मिले हैं. पंजाब की तरफ से 40 फीसदी हिस्से के मुकाबले में 7 से 14 फीसदी ही मिल पाता है. इस बैठक में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के युवाओं और कॉलेज को पंजाब विश्वविद्यालय का विकल्प मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि कॉलेज के एफिलिएशन से विश्वविद्यालय में हरियाणा के छात्र भी शिक्षा ले पाएंगे.

वहीं चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय को लेकर हुई बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि 1970 में जब बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. उस वक्त उन्होंने अपनी मर्जी से विश्व विद्यालय से हिस्सा निकाल लिया था. इस दौरान जो कॉलेज पीयू से जुड़े थे, उनको कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से जोड़ लिया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पीयू को 40 प्रतिशत फंड पंजाब दे रहा है.

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उन्होंने कहा कि हिमाचल ने भी अपनी मर्जी से हिस्सेदारी छोड़ी थी. इसके बाद पीयू को केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनाने का खेल चला. भगवंत मान ने इस दौरान 26 अगस्त 2008 को पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी चिट्ठी भी दिखाई. जिसमें उन्होंने पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने को लेकर किसी तरह का ऑब्जेक्शन न होने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी कि इसे सेंट्रल बॉडी न बनाएं.

इसके बाद पंजाब विधानसभा में पिछले वर्ष 30 जून को प्रस्ताव भी पास किया गया. जिसमें कहा गया कि केंद्र पीयू में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह इंटरस्टेट बॉडी ही रहेगी. पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी तरफ से इसको लेकर मनाही है. इस दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि क्या हरियाणा वाले कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी को ऐसा नहीं बना सके, जिससे यहां के स्टूडेंट पंजाब यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने की बात कह रहे हैं.

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