चंडीगढ़: हरियाणा के 2 हजार निजी स्कूल बंद होंगे. हरियाणा सरकार ने इन स्कूलों की अस्थायी मान्यता को एक्सटेंड नहीं किया है. सरकार के इस फैसले से निजी स्कूल संचालक परेशान हैं. उनका कहना है कि सरकार छोटे स्कूलों को बंद कर बड़े स्कूलों को फायदा पहुंचाना चाहती है. इस मुद्दे पर फेडरेशन ऑफ़ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन (Federation of Private Schools Welfare Association) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी की चपेट के कारण आर्थिक मंदी से प्राइवेट स्कूल निकलने की ही कोशिश कर रहे थे कि सरकार ने उनको बंद करने की तैयारी कर ली है.
उन्होंने कहा कि सरकार अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर छोटे स्कूलों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के नियमों का हवाला देकर बंद (private schools closed in haryana) करना चाहती है. जबकि सरकार के खुद के स्कूल आरटीई के नियमों की पालना नहीं करते हैं. कुलभूषण शर्मा की आरटीआई पर जानकारी मिली कि हरियाणा में बहुत से सरकारी स्कूल भी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के नियमों पर खरा नहीं उतरते हैं. ऐसे में उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रकार की कार्रवाई सिर्फ छोटे-छोटे प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ़ ही क्यों करना चाहती है.
जो 20-20 सालों से प्रदेश के बच्चों को सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों से एक तिहाई से 1/6 से भी कम पर प्राइवेट स्कूलों (Haryana Private and Government Schools) में बच्चों को पढ़ाई प्रदान कर रहे है. उन्होंने मुख्यमंत्री से इस भेदभाव पूर्ण कार्य पर तुरंत रोक लगा कर ऐसे स्कूलों को राहत प्रदान करने की मांग की है तथा अनुरोध किया है की जब पूरे भारतवर्ष में कहीं भी प्राइवेट स्कूलों से ऐसा व्यवहार नहीं हो रहा है तो हरियाणा में ऐसा भेदभावपूर्ण व्यवहार बंद होना चाहिए और ऐसे स्कूलों को नियमों में राहत प्रदान कर मान्यता प्रदान करनी चाहिए.
कुलभूषण शर्मा ने प्राइवेट स्कूलों में और सरकारी स्कूलों में प्रवेश में हो रहे भेदभाव का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा की सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन दाखिला करने पर ओटीपी सरकारी स्कूल के मुखिया के फ़ोन पर जाता है जबकि प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश करने पर ओटीपी अभिभावकों के फ़ोन पर जाता है. जिससे प्राइवेट स्कूल के विद्यार्थियों को प्रवेश देने में दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा की यह प्रक्रिया एक सामान होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत शिक्षा और विद्यार्थियों के हित में निजी और सरकारी विद्यार्थियों में भेदभाव खत्म करना चाहिए वरना निजी स्कूल इसके लिए आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.