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दिल्ली एनसीआर में दमघोंटू ज़हरीली हवा के लिए कौन जिम्मेदार, आखिर कब तक मिलेगा छुटकारा, जानिए आपके हर सवाल का जवाब

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या से सभी परेशान है. कहा जा रहा है कि पराली इसके लिए जिम्मेदार है. मामले में जमकर सियासत हो रही है और एक राज्य दूसरे राज्य को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है. लेकिन लोग जानना चाहते हैं कि आखिर कब इस दमघोंटू माहौल से मुक्ति मिलेगी. ऐसे में ईटीवी भारत ने प्रदूषण को लेकर एक्सपर्ट से बात की है जिसके बाद आपको अपने तमाम सवालों के जवाब मिल जाएंगे.

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दिल्ली एनसीआर में दमघोंटू ज़हरीली हवा के लिए कौन जिम्मेदार
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 4, 2023, 11:50 AM IST

प्रदूषण की समस्या पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?

चंडीगढ़ : देश के उत्तरी राज्यों में प्रदूषण ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. पिछले कई दिनों से एयर क्वालिटी इंडेक्स की हालत ख़राब है और लोगों का दम घुट रहा है. दिल्ली के अलावा हरियाणा के ज्यादातर शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से 400 के बीच चल रहा है जो लोगों को डरा रहा है. सरकार भले ही अपने स्तर पर प्रदूषण से निपटने के लिए कदम उठाने की बात कर रही हो, पर हालात चिंताजनक बने हुए हैं. वहीं पंजाब और हरियाणा में जल रही पराली को भी प्रदूषण की बड़ी वजह माना जा रहा है. लेकिन क्या वाकई दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदारी है और कैसे प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है, इसको लेकर हमने ख़ास बातचीत की पीजीआई में पर्यावरण और पब्लिक हेल्थ विभाग के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल से.

मौसम में बदलाव से बढ़ता है प्रदूषण : प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल ने बताया कि अक्टूबर, नवंबर के महीने में मौसम में बदलाव आता है. इस दौरान वातावरण स्थिर हो जाता है. प्रदूषण के कारक जस के तस बने रहते हैं. वहीं सर्दियां आने से आग जलाने की गतिविधियां बढ़ जाती है. इन वजहों से पॉल्यूशन का लेवल डबल हो जाता है. उन्होंने कहा कि जैसे ही मौसम बदलेगा, बारिश होगी या हवाएं चलेंगी, उससे प्रदूषण का स्तर कम हो जाएगा.

ये भी पढ़ें : फतेहाबाद में प्रदूषण ने लोगों का जीना किया दूभर, गुरुग्राम में भी प्रदूषण से लोगों का हाल बेहाल, जानिए कैसे आंखों को प्रदूषण से रखें महफूज़ ?

पराली जलाने में आई कमी : पराली जलाने के आंकड़ों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि साल 2019 में इस वक्त पराली जलाने के 50,000 के करीब मामले थे।. वहीं 2020 और 2021 में ये बढ़कर 90,000 तक पहुंच गए. वहीं साल 2022 में ये आंकड़ा घटकर 50,000 तक आ गया. वहीं इस साल की अगर बात करें तो इसमें करीब 47 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की जा रही है.

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पराली जलाने के आंकड़े में कमी

10 दिन में मिलेगी राहत ? : उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हवा की गति बढ़ेगी और प्रदूषण से कुछ हद तक निजात मिल जाएगी. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले 10 दिनों में प्रदूषण का लेवल कम होगा और लोगों को राहत मिलेगी.

लॉन्ग टर्म रणनीति की जरूरत : प्रदूषण से निपटने के उपायों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए लॉन्ग टर्म रणनीति पर काम करना होगा. नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम भी बनाया गया है. भारत सरकार ने इस पर 4000 करोड़ से ज्यादा की मदद भी की है. पहले टारगेट 2024 का रखा गया था, लेकिन कोरोना काल की वजह से टारगेट को 2026 कर दिया गया है. वहीं लोगों में जागरुकता भी पैदा करनी होगी ताकि सरकार और हम सब मिलकर इस पर काम कर सकें.


प्रदूषण की समस्या पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?

चंडीगढ़ : देश के उत्तरी राज्यों में प्रदूषण ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. पिछले कई दिनों से एयर क्वालिटी इंडेक्स की हालत ख़राब है और लोगों का दम घुट रहा है. दिल्ली के अलावा हरियाणा के ज्यादातर शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से 400 के बीच चल रहा है जो लोगों को डरा रहा है. सरकार भले ही अपने स्तर पर प्रदूषण से निपटने के लिए कदम उठाने की बात कर रही हो, पर हालात चिंताजनक बने हुए हैं. वहीं पंजाब और हरियाणा में जल रही पराली को भी प्रदूषण की बड़ी वजह माना जा रहा है. लेकिन क्या वाकई दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदारी है और कैसे प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है, इसको लेकर हमने ख़ास बातचीत की पीजीआई में पर्यावरण और पब्लिक हेल्थ विभाग के प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल से.

मौसम में बदलाव से बढ़ता है प्रदूषण : प्रोफेसर डॉ. रविंद्र खैवाल ने बताया कि अक्टूबर, नवंबर के महीने में मौसम में बदलाव आता है. इस दौरान वातावरण स्थिर हो जाता है. प्रदूषण के कारक जस के तस बने रहते हैं. वहीं सर्दियां आने से आग जलाने की गतिविधियां बढ़ जाती है. इन वजहों से पॉल्यूशन का लेवल डबल हो जाता है. उन्होंने कहा कि जैसे ही मौसम बदलेगा, बारिश होगी या हवाएं चलेंगी, उससे प्रदूषण का स्तर कम हो जाएगा.

ये भी पढ़ें : फतेहाबाद में प्रदूषण ने लोगों का जीना किया दूभर, गुरुग्राम में भी प्रदूषण से लोगों का हाल बेहाल, जानिए कैसे आंखों को प्रदूषण से रखें महफूज़ ?

पराली जलाने में आई कमी : पराली जलाने के आंकड़ों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि साल 2019 में इस वक्त पराली जलाने के 50,000 के करीब मामले थे।. वहीं 2020 और 2021 में ये बढ़कर 90,000 तक पहुंच गए. वहीं साल 2022 में ये आंकड़ा घटकर 50,000 तक आ गया. वहीं इस साल की अगर बात करें तो इसमें करीब 47 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की जा रही है.

Pollution Problem Parali stubble burning Air quality index Delhi NCR Haryana Punjab Noida Up Haryana News
पराली जलाने के आंकड़े में कमी

10 दिन में मिलेगी राहत ? : उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हवा की गति बढ़ेगी और प्रदूषण से कुछ हद तक निजात मिल जाएगी. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले 10 दिनों में प्रदूषण का लेवल कम होगा और लोगों को राहत मिलेगी.

लॉन्ग टर्म रणनीति की जरूरत : प्रदूषण से निपटने के उपायों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए लॉन्ग टर्म रणनीति पर काम करना होगा. नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम भी बनाया गया है. भारत सरकार ने इस पर 4000 करोड़ से ज्यादा की मदद भी की है. पहले टारगेट 2024 का रखा गया था, लेकिन कोरोना काल की वजह से टारगेट को 2026 कर दिया गया है. वहीं लोगों में जागरुकता भी पैदा करनी होगी ताकि सरकार और हम सब मिलकर इस पर काम कर सकें.


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