चंडीगढ़: बरोदा उपचुनाव को लेकर हरियाणा की राजनीति में हलचल बढ़ गई है. एक तरफ जहां कांग्रेस और इनेलो इस सीट पर जीत का दावा कर रही हैं. वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन में इस सीट को लेकर अंदरखाने खींचतान चल रही है. हालांकि सार्वजनिक तौर पर बीजेपी अभी मौन है, लेकिन जेजेपी की तरफ से खुले मंच से ये जाहिर कर दिया है कि बेशक दोनों पार्टियों से सिर्फ एक ही उम्मीदवार लड़ेगा, मगर बरोदा में उम्मीदवार उतारने का उनका हक बनता.
जेजेपी ने ठोका इशारों में दावा, बीजेपी मौन
जेजेपी के अध्यक्ष निशान सिंह चुनाव में उम्मीदवार उतारने का दावा होने की बात कहते नजर आ रहे हैं. वो ये भी कह चुके हैं कि चुनाव लड़ने की इच्छा सभी की होती है और उनके हिसाब से इस सीट पर जेजेपी का दावा काफी मजबूत है. बीजेपी ने अभी तक इस सीट को लेकर चुप्पी साधी है. पार्टी की तरफ से बस जीत का दावा किया जा रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला अभी चुनाव में समय होने और समय नजदीक आने पर रणनीति की बात कहते नजर आ रहे हैं. सुभाष बराला के मुताबिक बीजेपी और सरकार का ध्यान अभी कोरोना को रोकने पर है. जबकि पार्टी की वर्चुअल रैली और घर-घर जाकर केंद्र की उपलब्धियों को गिनाने का काम जोरों पर कर रही है.
2019 में बीजेपी जितने ही थे जेजेपी के वोट- उपमुख्यमंत्री
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी इशारों ही इशारों में जेजेपी का ही बरोदा पर हक बता दिया. उन्होंने ये जरूर कहा कि दोनों पार्टियां इस मसले पर मिलकर फैसला लेंगी, लेकिन साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि 2019 के चुनाव में बीजेपी से वो भी कम नहीं थे, क्योंकि उनकी पार्टी के उम्मीदवार के भी बीजेपी के बराबर वोट थे. दुष्यंत ने कहा कि बरोदा उपचुनाव हो नगर निगम या परिषद की बात हो जेजेपी के कार्यकर्ता मजबूती से चुनाव लड़ेंगे.
सीएम ने भी नहीं खोले पत्ते
इस मुद्दे पर सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सार्वजनिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया. उन्होंने उपचुनाव में जीत का दावा तो किया लेकिन चुनावी रणनीति को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले.
इनेलो ने किया जीत का दावा
वहीं इनेलो नेता और विधायक अभय चौटाला भी इस सीट को लेकर जीत का दावा कर रहे हैं. उनका दावा है कि इस बार सरकार से हर वर्ग परेशान है, जनता उनके साथ है. बरोदा चुनाव में उनकी पार्टी ही जितेगी.
2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर बाजी जीती थी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बरोदा के विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी. बेशक 2014 में ये सीट कांग्रेस ने जीती है, लेकिन अब राजनीतिक समीकरण अलग हैं. इनेलो और कांग्रेस ने मैदान में उतरने की तैयारी कर दी है, लेकिन अब पेंच गठबंधन में फंसता नजर आ रहा है. जेजेपी की इच्छा और बीजेपी की चुप्पी आने वाले वक्त में किसी अंदरूनी कलह का जड़ बनेगी या दोनों पार्टियां सर्वसहमती से उम्मीदवार उतारेगी, ये आने वाला वक्त ही तय करेगा.
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