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स्कूल बसों में मासूमों की मौत होने पर HC में डली याचिका, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

बुधवार को हाई कोर्ट में हरियाणा सरकार की हरियाणा सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी को सही से लागू किए जाने को लेकर एक याचिका डाली गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हरियाणा सरकार सहित अन्य पक्षों से जवाब मांगा है.

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Published : May 23, 2019, 4:48 AM IST

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

चंडीगढ़: बुधवार को स्कूली बसों में मासूमों की सुरक्षा के लिए एक याचिका दायर की गई. जिसमे कहा गया कि सरकार नियमित रूप से बसों की जांच नहीं करवा रही है. जोकि बच्चों के लिए खतरा बन सकता है. इस मामले पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार सहित परिवहन सचिव, डीजीपी और अन्य सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है.

याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया है कि हाई कोर्ट ने वर्ष 2014 में स्कूली बस की एक दुर्घटना जिसमें मासूमों की जान चली गई थी के मामले में संज्ञान लेकर पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य सरकारों को इस मामले में एक ठोस नीति बनाए जाने के आदेश दिए थे. ताकि स्कूली बसों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

याची ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेशों पर ही हरियाणा और पंजाब दोनों ही राज्य सरकारों ने नीति बना दी थी. हरियाणा सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी तो पंजाब ने सेफ स्कूल पॉलिसी बना लागु कर दी थी. इस पॉलिसी के तहत राज्य और जिला स्तर पर कमेटियां गठित कर समय-समय पर स्कूली बसों की जांच की जानी तय की गई थी.

याचिकाकर्ता के बताया यह नीति बनाए जाने के बावजूद भी इसे लागु नहीं किया जा रहा है और अब भी स्कूली बसों की दुर्घटना में मासूमों की जाने जा रही हैं.

याचिकाकर्ता ने पिछले कुछ दिनों में इन स्कूली बसों की ऐसी ही दुर्घटनाओं का हवाला दिया है. जिसमें जांच के दौरान पता चला कि अगर बस की समय पर जांच की गई होती तो मासूमों की जान बचाई जा सकती थी, क्योंकि इन दुर्घटनाओं में यही सामने आया है कि खामी इन बसों में ही होती है.

चंडीगढ़: बुधवार को स्कूली बसों में मासूमों की सुरक्षा के लिए एक याचिका दायर की गई. जिसमे कहा गया कि सरकार नियमित रूप से बसों की जांच नहीं करवा रही है. जोकि बच्चों के लिए खतरा बन सकता है. इस मामले पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार सहित परिवहन सचिव, डीजीपी और अन्य सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है.

याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया है कि हाई कोर्ट ने वर्ष 2014 में स्कूली बस की एक दुर्घटना जिसमें मासूमों की जान चली गई थी के मामले में संज्ञान लेकर पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य सरकारों को इस मामले में एक ठोस नीति बनाए जाने के आदेश दिए थे. ताकि स्कूली बसों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

याची ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेशों पर ही हरियाणा और पंजाब दोनों ही राज्य सरकारों ने नीति बना दी थी. हरियाणा सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी तो पंजाब ने सेफ स्कूल पॉलिसी बना लागु कर दी थी. इस पॉलिसी के तहत राज्य और जिला स्तर पर कमेटियां गठित कर समय-समय पर स्कूली बसों की जांच की जानी तय की गई थी.

याचिकाकर्ता के बताया यह नीति बनाए जाने के बावजूद भी इसे लागु नहीं किया जा रहा है और अब भी स्कूली बसों की दुर्घटना में मासूमों की जाने जा रही हैं.

याचिकाकर्ता ने पिछले कुछ दिनों में इन स्कूली बसों की ऐसी ही दुर्घटनाओं का हवाला दिया है. जिसमें जांच के दौरान पता चला कि अगर बस की समय पर जांच की गई होती तो मासूमों की जान बचाई जा सकती थी, क्योंकि इन दुर्घटनाओं में यही सामने आया है कि खामी इन बसों में ही होती है.

Intro:स्कूली बसों में मासूमों की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट के आदेशों के बाद बनाई गयी सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी Body:
स्कूली बसों में मासूमों की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट के आदेशों के बाद बनाई गयी सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी को सख्ती से लागु नहीं किये जाने और स्कूली बसों की नियमित जाँच नहीं होने से इन बसों के हुए हादसों में कई मासूम अपनी जान गंवा बैठे हैं और सरकार है कि फिर भी इन बसों की जाँच नहीं करवा रही है इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार सहित परिवहन सचिव, डी.जी.पी. और अन्य सभी प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है
चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने यह नोटिस इस मामले को लेकर भिवानी के बाल क्रांति ट्रस्ट की ओर से उसके चेयरमैन सुशिल वर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है दायर याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया है कि हाई कोर्ट ने वर्ष 2014 में स्कूली बस की एक दुर्घटना जिसमे मासूमों की जान चली गई थी के मामले में संज्ञान ले पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य सरकारों को इस मामले में एक ठोस नीति बनाये जाने के आदेश दिए थे तांकि स्कूली बसों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके
हाई कोर्ट के आदेशों पर ही हरियाणा और पंजाब दोनों ही राज्य सरकारों ने नीति बना दी थी हरियाणा सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी तो पंजाब ने सेफ स्कूल पॉलिसी बना लागु कर दी थी इस पॉलिसी के तहत राज्य और जिला स्तर पर कमेटियां गठित कर समय-समय पर स्कूली बसों की जाँच की जानी तय की गई थी तांकि जाँच की जा सके कि यह स्कूली बसें तय मानकों के तहत चल रही है और इन बसों में मासूमों की सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध किये गए हैं या नहीं याचिकाकर्ता के बताया यह नीति बनाये जाने के बावजूद भी इसे लागु नहीं किया जा रहा है और अब भी स्कूली बसों की दुर्घटना में मासूमों की जाने जा रही हैं।
Conclusion:याचिकाकर्ता ने पिछले कुछ दिनों में इन स्कूली बसों की ऐसी ही दुर्घटनाओं का हवाला दिया है जिसमे मासूमों की जाँच गई है याचिकाकर्ता के अनुसार अगर इन स्कूली बसों की समय पर जाँच की जाती तो मासूमों की जाँच बचायी जा सकती थी क्योंकि इन दुर्घटनाओं में यही सामने आया है कि खामी इन बसों में ही थी जिसके चलते मासूमों की जा गई है हाई कोर्ट ने याचिका में उठाये गए मुद्दे को बेहद ही गंभीर मानते हुए हरियाणा सरकार सहित अन्य सभी प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है ।
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