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हरियाणा के इस गांव में घर-घर में कब्रिस्तान, सालों से ग्रामीण मांग रहे ज़मीन, घरों में आने से डरते हैं लोग - DEMAND FOR CEMETERY

चरखी दादरी के गांव गुडाना में घर-घर में कब्रिस्तान है. ग्रामीणों को कब्रिस्तान की दरकार है जिसके लिए उन्होंने जमीन मांगी है.

DEMAND FOR CEMETERY
हरियाणा के इस गांव में घर-घर में कब्रिस्तान (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 14 hours ago

चरखी दादरी: जिले के गुडाना गांव में कोई कब्रिस्तान नहीं है. यहां शव दफनाने के लिए जमीन नहीं होने के कारण पीड़ित परिजनों को घर के परिसर में ही शव दफनाने पड़ रहे हैं. कई सालों से कब्रिस्तान की जमीन नहीं होने के लिए ग्रामीण अधिकारी से लेकर मंत्री तक से मिल चुके हैं, बावजूद इसके आश्वासन के अलावा कोई समाधान नहीं मिला है. अब मुस्लिम समाज के लोगों ने परिवार में किसी का निधन होने पर अधिकारियों के द्वार पर शव रखकर प्रदर्शन करने का फैसला लिया है.

वहीं, गांव में चकबंदी प्रक्रिया नहीं होने के कारण ग्राम पंचायत द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती. ऐसे में ग्रामीण भी उधार के श्मशान घाट में शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. अधिकारियों द्वारा जमीन कोर्ट में होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है.

गुडाना गांव में कब्रिस्तान की दरकार (Etv Bharat)

आस-पास के लोग भी घरों में आने से डरने लगे : दरअसल, झोझू कलां ब्लाक के गांव गुडाना में मुस्लिम समाज के करीब 50 परिवार रह रहे हैं. मुस्लिम समाज का कब्रिस्तान नहीं होने के कारण बस्ती में उनके घर परिसर में ही शवों का दफनाया जा रहा है. बस्ती में कब्रों के बीच रहना इन लोगों के लिए आम बात हो गई है. यहां के लोगों का कहना है कि पंचायत के पास कब्रिस्तान के लिए जगह नहीं है और श्मशान घाट भी दूसरे गांव की जमीन पर है. ऐसे में वे अपने घर परिसर में ही शवों को दफनाने पर मजबूर हैं. ऐसे में जहां उनको घर में खाना खाते समय भी डर लगता है. वहीं आसपास के लोग भी उनके घरों में आने से डरने लगे हैं.

कब्रिस्तान के लिए स्थाई जगह दिलवाने की मांग को लेकर अधिकारियों से लेकर मंत्री तक गुहार लगा चुके हैं. बावजूद इसके कोई समाधान नहीं हुआ. मौके पर मौजूद ग्रामीण कर्मबीर खान, रोशन, रफीक, जितेंद्र पंच, अब्दुल रहीम, रज्जाक, सबीर और रफीक ने कहा कि इस बार किसी का निधन होने पर शव को लेकर अधिकारियों के द्वार पहुंचकर धरना-प्रदर्शन करेंगे.

अब अधिकारियों के द्वार पर शव रखकर करेंगे प्रदर्शन : उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उनके परिवार में एक बुजुर्ग महिला का निधन होने पर शव को दफनाने के लिए तीन दिन इंतजार करना पड़ा. आखिरकार घर परिसर में ही शव काे दफनाया गया. प्लॉट में अब तक करीब एक दर्जन शवाें का दफनाया जा चुका है. बार-बार कब्रिस्तान की मांग करने पर कोई समाधान नहीं हुआ. अब वे अधिकारियों के द्वार पर शव को लेकर धरना-प्रदर्शन करेंगे.

चकबंदी नहीं होने के कारण आ रही समस्या : गांव गुडाना के सरपंच रविंद्र कुमार ने बताया कि गांव में जमीन की चकबंदी नहीं होने के कारण कब्रिस्तान व श्मशान घाट की जमीन नहीं है. मामला हाईकोर्ट में होने के चलते पंचायत की जमीन कब्रिस्तान व श्मशान घाट के लिए निर्धारित नहीं हो पा रही है. मुस्लिम समाज के अलावा ग्रामीण भी मजबूर हैं. जल्द ही कब्रिस्तान व श्मशान घाट की जमीन को लेकर अधिकारियों से मिलकर मांग उठाई जाएगी.

कोर्ट का फैसला आने पर होगा समाधान : खंड विकास अधिकारी स्वाति अग्रवाल ने कैमरे के सामने आने से मना करते हुए बताया कि गांव गुडाना में कब्रिस्तान नहीं होने के बारे में शिकायत मिली थी. तहसीलदार और राजस्व विभाग की रिपोर्ट अनुसार गांव की जमीन का चकबंदी मामला हाईकोर्ट में लंबित है. कोर्ट का फैसला आने पर ही स्थाई समाधान होगा.

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चरखी दादरी: जिले के गुडाना गांव में कोई कब्रिस्तान नहीं है. यहां शव दफनाने के लिए जमीन नहीं होने के कारण पीड़ित परिजनों को घर के परिसर में ही शव दफनाने पड़ रहे हैं. कई सालों से कब्रिस्तान की जमीन नहीं होने के लिए ग्रामीण अधिकारी से लेकर मंत्री तक से मिल चुके हैं, बावजूद इसके आश्वासन के अलावा कोई समाधान नहीं मिला है. अब मुस्लिम समाज के लोगों ने परिवार में किसी का निधन होने पर अधिकारियों के द्वार पर शव रखकर प्रदर्शन करने का फैसला लिया है.

वहीं, गांव में चकबंदी प्रक्रिया नहीं होने के कारण ग्राम पंचायत द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती. ऐसे में ग्रामीण भी उधार के श्मशान घाट में शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. अधिकारियों द्वारा जमीन कोर्ट में होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है.

गुडाना गांव में कब्रिस्तान की दरकार (Etv Bharat)

आस-पास के लोग भी घरों में आने से डरने लगे : दरअसल, झोझू कलां ब्लाक के गांव गुडाना में मुस्लिम समाज के करीब 50 परिवार रह रहे हैं. मुस्लिम समाज का कब्रिस्तान नहीं होने के कारण बस्ती में उनके घर परिसर में ही शवों का दफनाया जा रहा है. बस्ती में कब्रों के बीच रहना इन लोगों के लिए आम बात हो गई है. यहां के लोगों का कहना है कि पंचायत के पास कब्रिस्तान के लिए जगह नहीं है और श्मशान घाट भी दूसरे गांव की जमीन पर है. ऐसे में वे अपने घर परिसर में ही शवों को दफनाने पर मजबूर हैं. ऐसे में जहां उनको घर में खाना खाते समय भी डर लगता है. वहीं आसपास के लोग भी उनके घरों में आने से डरने लगे हैं.

कब्रिस्तान के लिए स्थाई जगह दिलवाने की मांग को लेकर अधिकारियों से लेकर मंत्री तक गुहार लगा चुके हैं. बावजूद इसके कोई समाधान नहीं हुआ. मौके पर मौजूद ग्रामीण कर्मबीर खान, रोशन, रफीक, जितेंद्र पंच, अब्दुल रहीम, रज्जाक, सबीर और रफीक ने कहा कि इस बार किसी का निधन होने पर शव को लेकर अधिकारियों के द्वार पहुंचकर धरना-प्रदर्शन करेंगे.

अब अधिकारियों के द्वार पर शव रखकर करेंगे प्रदर्शन : उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उनके परिवार में एक बुजुर्ग महिला का निधन होने पर शव को दफनाने के लिए तीन दिन इंतजार करना पड़ा. आखिरकार घर परिसर में ही शव काे दफनाया गया. प्लॉट में अब तक करीब एक दर्जन शवाें का दफनाया जा चुका है. बार-बार कब्रिस्तान की मांग करने पर कोई समाधान नहीं हुआ. अब वे अधिकारियों के द्वार पर शव को लेकर धरना-प्रदर्शन करेंगे.

चकबंदी नहीं होने के कारण आ रही समस्या : गांव गुडाना के सरपंच रविंद्र कुमार ने बताया कि गांव में जमीन की चकबंदी नहीं होने के कारण कब्रिस्तान व श्मशान घाट की जमीन नहीं है. मामला हाईकोर्ट में होने के चलते पंचायत की जमीन कब्रिस्तान व श्मशान घाट के लिए निर्धारित नहीं हो पा रही है. मुस्लिम समाज के अलावा ग्रामीण भी मजबूर हैं. जल्द ही कब्रिस्तान व श्मशान घाट की जमीन को लेकर अधिकारियों से मिलकर मांग उठाई जाएगी.

कोर्ट का फैसला आने पर होगा समाधान : खंड विकास अधिकारी स्वाति अग्रवाल ने कैमरे के सामने आने से मना करते हुए बताया कि गांव गुडाना में कब्रिस्तान नहीं होने के बारे में शिकायत मिली थी. तहसीलदार और राजस्व विभाग की रिपोर्ट अनुसार गांव की जमीन का चकबंदी मामला हाईकोर्ट में लंबित है. कोर्ट का फैसला आने पर ही स्थाई समाधान होगा.

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