चंडीगढ़: अब तक 5 कोरोना पॉजिटिव मरीज ठीक हो चुके हैं जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और वह सही सलामत अपने घर पहुंच चुके हैं. इन्हीं मरीजों में से एक चंडीगढ़ के एक अधिकारी के बेटे यश शर्मा ने कोरोना पॉजिटिव होने से लेकर ठीक होने तक के सफर को हमारे साथ साझा किया. यश ने एक वीडियो संदेश के जरिए अपने अनुभव के बारे में बताया.
यश शर्मा ने ये वीडियो अंग्रेजी में भेजा. इसलिए हम अपने हिंदी समझने वाले रीडर्स के लिए हिंदी में डब कर रहे हैं. कोरोना वायरस की जंग जीत चुके यश शर्मा की ये वीडियो देखिए-
क्या कहा यश शर्मा ने-
''मुझमें कोरोना वायरस के लक्षण हल्का बुखार से शुरु हुआ, जैसे 99.4 और 99.5 डिग्री थी. मुझे बुखार महसूस होते ही, मैंने सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क किया. मैंने खुद में दिख रहे लक्षणों को डॉक्टर को बताया और अस्पताल में एडमिट हो गया. मैंने इलाज के दौरान कोई परेशानी नहीं महसूस की. पूरा प्रोसेस बहुत समूथ था. पूरा स्टाफ बहुत हेल्पफुल था. डॉक्टर्स, नर्सेज, पूरा स्टाफ बहुत ही हेल्पफुल और केयरिंग थे. इसलिए मुझे इलाज के दौरान किसी प्रक्रिया में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. शुरुआत के कुछ दिन मुझे हल्का बुखार महसूस हुआ. 4 से 5 दिन बाद मुझे 2 दिन तेज बुखार महसूस हुआ.
उसके बाद शरीर में दर्द होना शुरु हुआ और कफ आने लगा. जब बुखार नहीं होता तो मैं बिल्कुल सही महसूस करता था. शारीरिक रूप से भी कोई परेशानी नहीं होती थी, लेकिन तब भी मैं पूरी तरह से स्वस्थ नहीं था. उस समय हमारे शरीर में संक्रमण मौजूद ही होता है, डॉक्टर इसलिए हम तब आइसोलेशन वार्ड में रखते हैं. इस वजह से किसी भी तरह से दूसरों में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं होता है. मैंने कुल 17 दिन आइसोलेशन वार्ड में गुजारा. मैंने 7-8 दिन बाद कोविड संक्रमण का लक्षण महसूस किया. जैसे बुखार, शरीर में दर्द और कफ. मैंने इस दौरान ठीक होने के लिए ज्यादा समय आराम करने में बिताया. जब मैं कोविड के लक्षणों से ग्रसित था मैंने अपना समय पढ़ने, परिवार और दोस्तों से बात करने में बिताया.
आपको फोन, लैपटॉप वगरह इस्तेमाल करने अलाउड होता है. इसलिए मैने आइसोलेशन वार्ड में अपना फोन और लैपटॉप साथ रखा. जिसने मुझे लैपटॉप पर पसंद की चीजे पढ़ने में मदद की. मैंने यूट्यूब पर वीडियो देखी. मैंने अपने परिवार और फैमली से वीडियो कॉल के जरिए बात चीत की, तो इन सब चीजों ने मुझे मेरा समय व्यतीत करने में मदद की.
मेरा भारत के लोगों को संदेश है कि, सबसे पहले मैं सभी डॉक्टर्स, नर्स और स्टाफ... और वो सभी आवश्यक कामों में लगे हुए वर्कर्स जो इस आतंकी वायरस से लड़ रहे हैं उनका धन्यवाद कहना चाहता हूं. सबसे ज्यादा डॉक्टर्स और वो लोग जो अस्पताल में काम कर रहे हैं, वो बहुत बड़े रिस्क में काम कर रहे हैं. वो जानते हैं कि कैसे तेजी से वायरस फैल रहा है मगर अपने बहुमुल्य जीवन को रिस्क पर रख रहे हैं. मैं उनके इस महान काम के लिए आभारी हूं.
दूसरा... मेरा दूसरा मैसेज है कि कोई भी शुरुआत में इस वायरस को महसूस नहीं करता है. ये बहुत खतरनाक है. मैटर नहीं करता की आपकी उम्र क्या है कोई मतलब नहीं कि आप कितने जवान हो, आप कितनी ज्यादा रोगप्रतिरोध क्षमता वाले हैं,. मेरा अनुभव है कि आपकी इम्यून मैटर नहीं करता. उपर से आप दूसरों के लिए भी वायरस फैलाने वाले बन जाते हैं. इसलिए मैं कहता हूं कि इम्यून का कोई मतलब नहीं है. आपको सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना होगा. सरकार के आदेशों का पालन करें, जैसे कर्फ्यू... लॉकडाउन... गवर्मेंट की और WHO की गाइडलाइंस को फोलो करें.''
डरें नहीं जागरुक रहने की जरूरत है!
यश के अनुभवों से पता चलता है कि कोरोना वायरस बेशक खतरनाक है, लेकिन जागरूक रहने पर इस जंग को जीत सकते हैं. लक्षण दिखते ही हमें बस सही समय पर डॉक्टर्स से संपर्क करना है. लोगों से सुरक्षित दूरी रखनी है. बेशक कोई वेक्सीन नहीं है मगर एहतियात बरतने पर इस बीमारी से जीता जा सकता है.